एमपीः इस साल 64 फीसदी कम हुई गेहूं खरीदी, किराए से होगी 8 सौ करोड़ की बचत

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एमपीः इस साल 64 फीसदी कम हुई गेहूं खरीदी, किराए से होगी 8 सौ करोड़ की बचत

Bhopal. मध्यप्रदेश में गेहूं की सरकारी खरीदी बंद हो गई है। इसके लिए सरकार द्वारा दूसरी बार दी गई समय सीमा खत्म हो गई है। सरकारी रेट पर गेहूं खरीदने के मामले में भोपाल प्रदेश में अन्य शहरों से अव्वल रहा। गेहू की खरीद कम होने से शिवराज सरकार को 1215 करोड़ रुपए का सालाना ब्याज नहीं भरना पड़ेगा। एक अनुमान के मुताबिक बिगत सालों की अपेक्षा इस 36 फीसदी ही खरीदी हो पाई है। खरीद कम होने के चलते ही सरकार को 8.8 हजार करोड़ का ही कर्ज लेना पड़ा। इसके साथ  ही सरकार को गेहूं खरीदी के लिए आरबीआई की तरफ से 25 हजार करोड़ रुपए की कैश क्रेडिट लिमिट भी मिली थी। 





800 करोड़ की होगी सालाना बचत 





सरकारी मूल्य पर गेहूं बेचने वालों में भोपाल संभाग सबसे आगे रहा। कम खरीदी होने से खाद्य विभाग को हर महीने 75 करोड़ रुपए किराए में नहीं भरना पड़ेंगे। ऐसे में खाद्य विभाग को सालाना 800 करोड़ का बचत होगी। 





31 मई तय की गई थी समय सीमा





दरअसल पिछले महीने 13 मई को मोदी सरकार ने गेहूं के विदेशी निर्यात पर रोक लगा दी थी। इसके बाद मप्र सरकार ने गेहूं की सरकारी खरीद की समय सीमा जो 16 मई से बढ़ाकर 31 मई कर दिया था। इन 15 दिनों में कुल 4 लाख मीट्रिक टन गेहूं ही सरकारी खरीद केंद्रों में आया। आपको बता दें कि, निर्यात पर रोक के बाद भी खुले बाजारों में गेहूं के भाव सरकारी भाव से ज्यादा मिल रहें हैं। 



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