Bhopal. राजधानी भोपाल के मौलाना आजाद राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी संस्थान (MANIT) प्रबंधन और स्टूडेंट के बीच आए दिन टकराव की स्थितियां बनती है। बीच सत्र में ही मैनिट प्रबंधन जबरन नए नियम विद्यार्थियों पर थोप देता है। बीते 2 दिनों से मैनिट में लगभग 500 स्टूडेंट्स और शोधार्थी अपनी मांगों को लेकर आंदोलन कर रहे हैं। बीटेक स्टूडेंट्स का कहना है कि मैनिट प्रबंधन ने हाल ही में सर्कुलर जारी किया है कि मिनी टेस्ट, मिड टर्म और एंड टर्म में वहीं विद्यार्थी शामिल हो पाएंगे जिनकी 75% उपस्थिति होगी। बीटेक फाइनल ईयर के विद्यार्थी प्लेसमेंट्स और विभिन्न प्रतियोगी परीक्षाओं को लेकर चिंतित है। बीटेक थर्ड ईयर के विद्यार्थी इंटर्नशिप कर रहे हैं। ऐसे में 75% उपस्थिति की अनिवार्यता प्रैक्टिकली संभव नहीं है। अभी से भी 100% उपस्थिति दी जाए तो भी 75% उपस्थिति की भरपाई विद्यार्थी नहीं कर पाएंगे।
मेस तक बंद, बाहर ने भोजन पैकेट बुलवा रहे स्टूडेंट
स्टूडेंट की आवाज को दबाने के लिए प्रबंधन हर तरीके अपना रहा है। 500 से अधिक स्टूडेंट मैनिट के गेट के बाहर बैठकर धरना दे रहे हैं, तो वहीं प्रबंधन ने मैनिट के मेस बंद कर दिए हैं। जिसके कारण अब स्टूडेंट बाहर से खाना बुलाकर खा रहे हैं। सीनियर स्टूडेंट धरने पर बैठे अपने साथियों को पुड़ी और सब्जी के भोजन पैकेट की व्यवस्था कर रहे हैं। स्टूडेंट गेट के बाहर ही खाना खा रहे हैं। एक स्टूडेंट ने नाम न प्रकाशित करने की शर्त पर बताया कि स्टूडेंट परेशान होकर अपना प्रदर्शन बंद कर दें इसलिए मैनिट प्रबंधन ने मेस बंद कर दिए हैं।
बच्चों को अंदर बाहर जाने दे रहे स्टूडेंट
मैनिट स्टूडेंट का प्रदर्शन और विरोध प्रबंधन के तानाशाही रवैये के खिलाफ है। स्टूडेंट ने दोनो गेटों को बंद कर दिया है। कोई भी गाड़ी इन गेटों से होकर अंदर नहीं जा पा रही है और न ही बाहर आ रही है। हालांकि कैंपस के अंदर रहने वाले अधिकारी कर्मचारियों के बच्चों को अंदर बाहर आने—जाने दिया जा रहा है। स्कूल बसों के लिए बकायदा स्टूडेंट खुद गेट खोल रहे हैं। मौके पर भारी पुलिस बल भी तैनात है। मैनिट स्टूडेंट उन्हें भी पानी के पाउच उपलब्ध करा रहे हैं।
ये भी है एक विवाद...
पिछले साल मैनिट ने बीच सत्र में ही पीएचडी शोधार्थियों को 3 वर्ष पूर्ण होने पर दो एससीआई/एससीआईई रिसर्च पब्लिकेशन की बाध्यता करते हुए फेलोशिप रोक दिए जाने का फरमान जारी कर दिया था। जिसके विरोध के बावजूद भी मैनिट प्रबंधन ने सर्कुलर वापस नहीं लिया। एमटेक शोधार्थियों का कहना है कि सिर्फ शोधार्थियों के लिए ही 15 सितंबर से बायोमैट्रिक अटेंडेंस ली जाएगी, जिसमें सुबह और शाम दोनों बार फिंगर स्केन करना पड़ेगा। मैनिट प्रबंधन, फैकल्टी और स्टाफ मेंबर्स के लिए भी बायोमैट्रिक अटेंडेंस की व्यवस्था होनी चाहिए।
सांसद के आश्वासन के बाद भी मांग पूरी नहीं
पिछले साल पीएचडी शोधार्थियों ने एचआरए की राशि दिये जाने और एससी/एसटी/दिव्यांग शोधार्थियों की ट्यूशन फीस माफी को लेकर व्यापक आंदोलन किया था। जिसमें सांसद प्रज्ञा सिंह के आश्वासन पर शोधार्थियों ने आंदोलन समाप्त कर दिया था। बावजूद इसके उनकी कोई भी मांग अभी तक पूरी नहीं की गई। इसी के चलते पीएचडी शोधार्थी भी बीटेक स्टूडेंट्स का इस आंदोलन में साथ दे रहे हैं। शोधार्थियों का कहना है कि अपनी मांगों को लेकर शिक्षा मंत्री से मिलने दिल्ली जाएंगे। मांगे पूरी नहीं की गई तो देशव्यापी व्यापक आंदोलन करेंगे और हाईकोर्ट की शरण लेंगे।
प्रबंधन ने अपनाया तानाशाही रवैया
पूरे मामले को लेकर मैनिट प्रबंधन तानाशाही रवैया अपनाया हुआ है। सैंकड़ों की संख्या में स्टूडेंट गेट के बाहर प्रदर्शन कर रहे हैं, लेकिन प्रबंधन की ओर से उनसे बात तक नहीं की जा रही। द सूत्र ने भी इस संबंध में प्रबंधन का पक्ष जानने मैनिट के डायरेक्टर नरेंद्र सिंह रघुवंशी से मोबाइल पर संपर्क करने की कोशिश की, मैसेज भी किए, पर कोई रिप्लाई नहीं आया। इधर एबीवीपी के महानगर मंत्री आशुतोष पाराशर ने कहा कि मैनिट प्रबंधन हमेशा तानाशाही रवैया अपनाता है, लेकिन हम स्टूडेंट की जायज मांग मनवाकर रहेंगे। वहीं इस प्रदर्शन को एनएसयूआई ने भी सपोर्ट किया है। एनएसयूआई के रवि परमार भी मैनिट पहुंचे थे।