Jabalpur. मध्यप्रदेश हाईकोर्ट ने सरकार से यह सवाल किया है कि पीएससी समेत अन्य परीक्षाओं में आरक्षित वर्ग के मैरिटोरियस अभ्यर्थियों को हर स्तर पर माइग्रेशन का लाभ क्यों दिया जा रहा है। मुख्य न्यायाधीश रवि मलिमठ और जस्टिस विशाल मिश्रा की डबल बेंच ने इस मामले की सुनवाई करते हुए विधि एवं विधायी कार्यविभाग के प्रमुख सचिव, एमपी पीएससी के सचिव और सामान्य प्रशासन विभाग के प्रमुख सचिव को नोटिस जारी कर जवाब तलब किया है। मामले की अगली सुनवाई 12 जून को नियत की गई है।
यह है मामला
इस मामले को लेकर दायर याचिका में कहा गया है कि मध्यप्रदेश लोक सेवा आयोग द्वारा भर्ती प्रक्रिया में राज्य सेवा परीक्षा नियम, 2015 में किए गए संशोधन 20.12.2021 को हाईकोर्ट में चुनौती दी गई है। याचिका में कहा गया है कि इस संशोधन के तहत परीक्षा के हर चरण में आरक्षित वर्ग के मैरिटोरियस छात्रों को सामान्य सीटों पर माइग्रेशन किया जा रहा है, जो कि अवैधानिक है। इससे पहले भी पीएससी से जुड़े एक मामले में अदालत स्पष्ट कर चुकी है कि ओबीसी के मैरिटोरियस अभ्यर्थियों को सामान्य कोटे की सीटों में माइग्रेशन का लाभ केवल फाइनल चरण में ही दिया जाएगा।
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यह याचिका भानू प्रताप सिंह तोमर द्वारा दायर की गई है जिस पर अधिवक्ता अंशुल तिवारी ने पक्ष रखा। मुख्य न्यायाधीश रवि मलिमठ और जस्टिस विशाल मिश्रा की खंडपीठ ने याचिकाकर्ता की दलीलें सुनने के पश्चात राज्य सरकार और मप्र लोकसेवा आयोग को नोटिस जारी कर जवाब तलब किया है। साथ ही भर्ती संबंधी भविष्य में होने वाली कार्रवाई को याचिका के अंतिम आदेश के अधीन करने के निर्देश दिए हैं। इस मामले में अगली सुनवाई 12 जून 2023 को नियत की गई है।
जबलपुर निवासी याचिकाकर्ता भानु प्रताप सिंह तोमर की ओर से इस मामले में वरिष्ठ अधिवक्ता मनोज शर्मा और अंशुल तिवारी ने अदालत में पक्ष रखा। दलील दी गई कि भर्ती परीक्षाओं में हर चरण में माइग्रेशन दिया जाना सुप्रीम कोर्ट और हाईकोर्ट के न्यायदृष्टांतों के तहत अवैधानिक है।