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Jabalpur. जबलपुर में जून के महीने में होने जा रही पंडित प्रदीप मिश्रा की शिवपुराण कथा का आयोजन स्थगित कर दिया गया है। यह जानकारी कार्यक्रम के प्रमुख यजमान और इंडियन पीपुल्स पार्टी के अध्यक्ष पुरूषोत्तम तिवारी ने प्रेस कॉन्फ्रेंस कर दी। तिवारी ने जिला प्रशासन पर इस बड़े धार्मिक आयोजन को लेकर उदासीन रवैया अपनाने और सहयोग न करने का आरोप जड़ दिया है। उनका कहना है कि जिला प्रशासन ने पहले पार्किंग व्यवस्था करने का जिम्मा आयोजकों पर डाल दिया, फिर कार्यक्रम स्थल को नेशनल हाईवे पर शिफ्ट करने की शर्त रख दी। बीते दिनों हुई बारिश और कम समय बचने के कारण आयोजनकर्ताओं ने इस वृहद आयोजन को स्थगित करने का फैसला लिया है।
दो साल में मिल पाया था समय
पत्रकारों से चर्चा के दौरान इंडियन पीपुल्स पार्टी के अध्यक्ष और प्रमुख यजमान पुरूषोत्तम तिवारी ने बताया कि उन्हें पंडित प्रदीप मिश्रा से शिवपुराण के लिए दो साल मिन्नतें करने के बाद जून 2023 का समय मिला था। उन्होंने बताया कि शिवपुराण की कथा का श्रवण नर्मदा के तट पर करने से पुण्यलाभ मिलता है। लेकिन प्रशासन की हठधर्मिता के कारण वे यह आयोजन करा पाने में खुदको असमर्थ महसूस कर रहे हैं। उन्होंने इसके पीछे राजनैतिक द्वेष के भी आरोप लगाए हैं। उन्होंने साफ कहा कि जिस तरह मैहर में बागेश्वर धाम की कथा स्थगित करवाई गई इसी तरह पंडित प्रदीप मिश्रा की शिवपुराण कथा को जानबूझकर स्थगित करवाने के प्रयास किए गए।
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पहली बार पधारने वाले थे पं प्रदीप मिश्रा
आयोजकों ने बताया कि संस्कारधानी जबलपुर में पहली बार पं प्रदीप मिश्रा का आगमन होने जा रहा था, लेकिन यह हमारा और पूरी संस्कारधानी का दुर्भाग्य है कि अब वे जबलपुर नहीं पधारेंगे। पुरूषोत्तम तिवारी ने बताया कि अप्रैल महीने में जिला कलेक्टर ने अधिकारियों के साथ आयोजन स्थल का दौरा किया था और पूरा महीना बीतने के बाद आयोजकों को कार्यक्रम स्थल बदलने की बात बताई गई।
6 माह पहले दे दी थी जानकारी
मुख्य यजमान पुरूषोत्तम तिवारी ने बताया कि हमने 6 माह पूर्व ही तत्कालीन संभागायुक्त, कलेक्टर और एसपी को इस विराट आयोजन की जानकारी दे दी थी। 6 माह बीत गए लेकिन इस आयोजन के संबंध में प्रशासन ने कोई तैयारी नहीं की, बल्कि आयोजन स्थल छोटा होने और पार्किंग स्थल जैसे बहाने बनाए गए। उन्होंने कहा है कि प्रशासन को इस उदासीन रवैए के लिए संस्कारधानी की शिवभक्तों का आक्रोश और नाराजगी झेलनी पड़ेगी। इसके लिए जिला प्रशासन ही उत्तरदायी होगा।