BHOPAL. डिवीजनल ऑफ्थेल्मिक सोसायटी की ओर से ग्लॉकोमा के बारे में जन जागरुकता अभियान 12 से 18 मार्च तक चलाया जाए। इसके अंतर्गत 30 से अधिक स्थानों 18 मार्च को निशुल्क नेत्र परीक्षण शिविर लगाए जाएंगे। शिविर का समय प्रातः 10 से 12 बजे तक होगा। ज्यादा से ज्यादा लोग शिविर का लाभ लें, इसके लिए 13 मार्च से 18 मार्च तक पर्चे वितरित किए जाएंगे। यह जानकारी डिवीजनल ऑफ्थेल्मिक सोसायटी के अध्यक्ष डॉ. गजेंद्र चावला और सचिव डॉ. वसुधा दामले ने दी।
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समय पर इलाज न मिलने से चली जाती है आंखों की रोशनी
ग्लॉकोमा एक ऐसी बीमारी है, जिसमें व्यक्ति की आंखों की रोशनी चली जाती है। यदि मरीज के गंभीर लक्षणों की पहचान हो जाए और सही समय पर उसे उपचार न मिले तो उसकी आंखों रोशनी जा सकती है। ग्लॉकोमा के अधिकांश प्रकारों में, आमतौर पर कोई दर्द नहीं होता है। क्लोज्ड-एंगल ग्लोकोमा में व्यक्ति अचानक लक्षणों का अनुभव करता है, जब तक बीमारी काफी अधिक बढ़ जाती है।
क्या है ग्लॉकोमा?
ग्लॉकोमा आंख के ऑप्टिक नर्व को प्रभावित करती है, जिसकी वजह से रोशनी तक चली जाती है। जब हम कोई वस्तु को देखते है तब ऑप्टिक नर्व के माध्यम से देखी गई वस्तु की जानकारी हमारे दिमाग तक पहुंचती है और उस वस्तु को पहचान हो जाती है। लेकिन ग्लॉकोमा होने पर आंख की ऑप्टिक नर्व पर सबसे अधिक असर पड़ता है। आमतौर पर आंख के अंदर असामान्य रूप से बहुत अधिक दबाव के कारण ग्लॉकोमा होता है, लेकिन हमेशा ऐसा नहीं होता। समय के साथ आंख के अंदर बढ़ा हुआ दबाव ऑप्टिक नर्व के उतकों को नष्ट कर सकता है, जिससे नजर कमजोर होने के साथ ही अंधापन भी हो सकता है।
विश्वभर में 12 करोड़ से अधिक ग्लॉकोमा से है पीड़ित
विश्वभर में 12 करोड़ से भी अधिक मरीज ग्लॉकोमा जैसी भयानक बीमारी से पीड़ित हैं। भारत में ग्लॉकोमा के मरीजों की संख्या 1 करोड़ 25 लाख से भी अधिक हैं, जो लगातार बढ़ रही हैं।
ग्लॉकोमा पर 2 अप्रैल को होगी एक दिवसीय कार्यशाला
ग्लॉकोमा पर 2 अप्रैल को एक दिवसीय कार्यशाला होगी। यहां हैदराबाद के ग्लॉकोमा विभाग के प्रमुख विशेषज्ञ डॉ. चंद्रशेखर एवं इंदौर ग्लोकोम विशेषज्ञ डॉ. प्रदीप व्यास कार्यक्रम में बीमारी और उसके निदान से संबंधित जानकारी देंगे।
क्या है ग्लॉकोमा लक्षण?
आंखों में तेज दर्द, अचानक धुंधला दिखना, रोशनी के चारों ओर रंगीन छल्ले दिखना, नजर में अचानक गड़बड़ी होना आदि।