दमोह के एक सरकारी स्कूल परिसर में जलती हैं चिताएं, डर के कारण कई दिन स्कूल नहीं आते बच्चे, गांव में नहीं है मुक्तिधाम

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Rajeev Upadhyay
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दमोह के एक सरकारी स्कूल परिसर में जलती हैं चिताएं, डर के कारण कई दिन स्कूल नहीं आते बच्चे, गांव में नहीं है मुक्तिधाम

Damoh. ग्रामीण क्षेत्रों के विकास के लिए भले ही सरकार अनेकों योजनाएं चलाती है लेकिन आज भी दमोह जिले के कई गांव विकास की राह देख रहे हैं और आलम यह की दमोह के एक गांव में चिताएं जलाने शमशानघाट भी नहीं है और एक सरकारी स्कूल के परिसर में लोगों का अंतिम संस्कार किया जा रहा है।



सुरखी गांव का सरकारी स्कूल

दमोह जिला मुख्यालय से 15 किमी दूर स्थित सुरखी गांव के शासकीय प्राइमरी स्कूल परिसर में अंतिम संस्कार किए जा रहे हैं । शव जलने के कारण बच्चे डर की वजह से स्कूल जाने से भी कतराते हैं। दरअसल गांव में श्मशानघाट नहीं होने के कारण किसी भी व्यक्ति की मौत होने पर उसका अंतिम संस्कार स्कूल परिसर में किया जाता है और यह आज से नहीं कई वर्षों से हो रहा है। 



किसी की भी मौत पर करनी पड़ती है छुट्टी

स्कूल में  बच्चे जहां  राष्ट्रगान करते हैं  उसी जगह पर अंतिम संस्कार की क्रिया पूरी की जाती है । स्कूल में पढ़ाई के समय जब शव अंतिम संस्कार के लिए स्कूल परिसर पहुंचता है तो शिक्षकों को मजबूरी में छुट्टी करनी पड़ती है। स्कूल के प्रधानाध्यपक कम्पू प्रसाद पटेल का कहना है कि जब चिता जलती है, तो बच्चे डर जाते हैं और दुर्गंध से स्कूल में खड़ा हो पाना भी दूभर हो जाता है। 




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    ग्राम पंचायत सुरखी  के सरपंच महेश उपाध्याय का कहना है कि मेरी ग्राम पंचायत में चार गांव आते हैं , लेकिन चारों गांव में श्मशानघाट नहीं बना है और पिछले कई वर्षों से यहां अंतिम संस्कार किया जा रहा है। स्कूल परिसर में दाह संस्कार को रोकने के लिए जनपद के अधिकारियों से बात की है , लेकिन अभी तक कोई हल नहीं निकला है।



    दो-तीन दिन स्कूल में फटकते तक नहीं बच्चे

    जिस दिन दाह संस्कार होता है , उसके दो तीन दिन तक बच्चे डर के कारण स्कूल नहीं आते हैं । इसकी शिकायत वरिष्ठ अधिकारियों से भी की है , लेकिन दाह संस्कार की अन्यत्र व्यवस्था नहीं हो सकी है। सरपंच का कहना है की उनकी पहली प्राथमिकता गांव में शमशानघाट का निर्माण कराना है। 



    ग्रामीणों की जुबानी

    ग्रामीण काशीराम, गुलाब सिंह का कहना है की गांव में अंतिम संस्कार के लिए शमशानघाट नही है स्कूल परिसर में अंतिम संस्कार होते हैं। बच्चों के सामने मुर्दा जलता है तो वह डर के कारण कई दिनों तक स्कूल नहीं जाते। 



    अधिकारी की जानकारी में नहीं

    दमोह जनपद सीईओ विनोद जैन का कहना है की मुझे अब तक इस संबंध में जानकारी नहीं थी। स्कूल परिसर में शव का दाह संस्कार किया जाना हैरान करने वाली बात है । मामला संज्ञान में आ गया है , इसलिए तत्काल ही इस मामले में  कार्रवाई की जाएगी।


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