INDORE. लाख कोशिशों के बाद भी शैक्षणिक संस्थाओं में रैगिंग की वारदातें थमने का नाम नहीं ले रही है। शिकायतों के बाद सख्ती के नाम पर होने वाली छोटी-मोटी कार्रवाई से रैगिंग करने वाले रुकते नहीं है, नतीजतन पीड़ित छात्र या तो संस्थान छोड़ने को मजबूर हो जाता है या फिर आत्मघाती कदम उठाने तक पहुंच जाता है। रैगिंग का इसी तरह का एक मामला मध्यप्रदेश की राजधानी भोपाल में सामने आया है। इस मामले में पीड़ित कोई और नहीं बल्कि इंदौर पुलिस कमिश्नर हरिनारायणचारी मिश्रा का बेटा है।
आरोपी छात्रों पर की गई कार्रवाई
आपको बता दें कि भोपाल के नेशनल लॉ इंस्टिट्यूट यूनिवर्सिटी में रैगिंग का हाईप्रोफाइल मामला सामने आया है। 19 फरवरी की रात इंदौर पुलिस कमिश्नर हरिनारायणचारी मिश्रा के बेटे के साथ रैगिंग हुई थी। तीन सीनियर छात्रों ने उनके हॉस्टल पहुंचकर उसे शराब पीने और पिलाने को कहा था। मना करने पर उसके साथ मारपीट भी की थी। बात आगे बढ़ी तो पीड़ित छात्र ने इसकी शिकायत यूजीसी की एंटी-रैगिंग हेल्पलाइन में की थी। इसके बाद प्रॉक्टोरियल बोर्ड ने तीन दिन में जांच की और 25 फरवरी को कुलपति डॉ. वी विजयकुमार को रिपोर्ट सौंपी थी। जिन तीन छात्रों को हॉस्टल से निकाला गया है।
24 घंटे में कार्रवाई के निर्देश फिर भी 20 दिन लगे
इस मामले में बीस दिन बाद कार्रवाई करते हुए यूनिवर्सिटी प्रबंधन ने तीन सीनियर स्टूडेंट्स को दो साल के लिए हॉस्टल से निकाल दिया है। हालांकि, यूजीसी की गाइडलाइन कहती है कि रैगिंग की शिकायत में 24 घंटे में कार्रवाई करना चाहिए। लेकिन इस मामले में 20 दिन का समय लग गया वो भी तब जब पीडित हाईप्रोपाइल है आप इसी बात से अंदाजा लगा सकते हैं कि सामान्य पीड़ित के मामले में कार्रवाई की रफ्तार कितनी धीमी रहती होगी। बताया जा रहा है कि आरोपी छात्र विश्वविद्यालय की किसी भी गतिविधि में भाग नहीं ले सकेंगे। नेशनल लॉ इंस्टिट्यूट यूनिवर्सिटी के चीफ वार्डन प्रोफेसर उदयप्रताप सिंह ने कहा है कि रैगिंग मामले में दोनों पक्षों से पूछताछ की गई। सीसीटीवी कैमरों के वीडियो के आधार पर तीन छात्रों को दोषी पाया गया है। उन पर कार्रवाई की गई है। उन्हें हॉस्टल से बाहर कर दिया गया है। रिपोर्ट यूजीसी की एंटी रैगिंग हेल्पलाइन को भी भेज दी गई है।