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हरीश दिवेकर, BHOPAL. जनजातीय गौरव दिवस मनाकर बीजेपी ने आदिवासियों की बड़ी मांग तो पूरी कर दी। लेकिन अब डर है कि आदिवासी वोट बैंक को रिझाने के लिए चला गया दांव कहीं खाली न चला जाए। डर केवल इतना ही नहीं राहुल गांधी की भारत जोड़ो यात्रा भी डर का कारण बनी हुई है। इसके जवाब में खुद बीजेपी एक बड़ी यात्रा निकालने जा रही है।
आदिवासियों को साधने की कोशिश
मध्यप्रदेश में यात्रा के जवाब में यात्रा की तैयारी है। इधर राहुल गांधी की भारत जोड़ो यात्रा प्रदेश में एंट्री करेगी। उधर बीजेपी भी रथ पर सवार होकर जनजातीय गौरव यात्रा निकालेगी। भारत जोड़ो यात्रा के असर को न्यूट्रलाइज करने के लिए तो बीजेपी ने ये पैंतरा चला ही है। इसके साथ ही डर ये भी है कि आदिवासी वोटर्स को रिझाने के लिए जो रणनीति तैयार की गई। जबरदस्त मंथन हुए और जोरशोर से घोषणाएं की गईं। वो कहीं खाली न चली जाएं। क्योंकि सीएम ने घोषणा तो भव्य कार्यक्रम से की है। लेकिन उसका कोई असर, खुशी या हल्ला अभी जमीनी स्तर पर नजर नहीं आया है। डर इस बात का है कि जिन आदिवासियों के लिए घोषणा की गई है, ऐसा न हो कि वही उससे अंजान रह जाएं। ये डर इस कदर हावी है कि शिवराज सिंह चौहान ने तय वक्त से पहले ही विधायक दल की बैठक भी बुला ली है।
बीजेपी भी निकालेगी यात्रा
मध्यप्रदेश में बुरहानपुर के रास्ते राहुल गांधी मध्यप्रदेश में प्रवेश करने वाले हैं। उनकी इस यात्रा का सामना बीजेपी की जनजातीय गौरव यात्रा से होगा। राहुल गांधी मालवा के अधिकांश इलाकों से होते हुए गुजरेंगे। बीजेपी की यात्रा उन इलाकों में निकलेगी जहां आदिवासी वोटर्स की बड़ी संख्या है। यात्रा के कई पड़ाव, स्थान या इलाके एक से होने की संभावना हो सकती है। बीजेपी की जनजातीय गौरव यात्रा का मकसद आदिवासियों को उन घोषणाओं की जानकारी देना है, जो सीएम शिवराज सिंह चौहान ने बढ़-चढ़कर, कर तो दी हैं। लेकिन इस बात को लेकर आशवस्त नहीं हैं कि उन घोषणाओं की जानकारी आदिवासियों तक ठीक-ठीक पहुंच रही है।
आम आदमी पार्टी का भी है डर
बिरसा मुंडा की जयंती पर बीजेपी ने पिछले साल की तर्ज पर बड़ा कार्यक्रम किया, जिसमें राष्ट्रपति द्रोपदी मुर्मू भी शामिल हुईं। इस कार्यक्रम में सीएम शिवराज सिंह चौहान ने प्रदेश में पेसा एक्ट लागू करने की घोषणा कर दी। पेसा एक्ट लागू करने कई सालों से आदिवासियों की बड़ी मांगों में शामिल रहा है। 2018 के चुनाव में आदिवासियों वोटर्स की बेरूखी झेल चुकी बीजेपी इस बार उन्हें नाराज नहीं करना चाहती। इसलिए पेसा एक्ट लागू करने की मांग कर दी गई। एक डर आम आदमी पार्टी का भी था। जयस तो पहले ही आदिवासी वोटर्स के बीच पैठ बनाने में जुटी है। दूसरी तरफ आम आदमी पार्टी भी चुनावी मैदान में उतरने की तैयारी में है। आम आदमी पार्टी प्रमुख अरविंद केजरीवाल गुजरात में जीत पर पेसा एक्ट लागू करने की घोषणा करने में बीजेपी से बाजी मार चुके हैं। इसलिए ये डर भी कहीं न कहीं है कि आम आदमी पार्टी भी आदिवासी वोट बैंक को रिझाने में कोई कसर नहीं छोड़ेगी। ऐसे में बीजेपी पेसा एक्ट लागू करने का पूरा क्रेडिट लेना चाहती है। इसके लिए आदिवासियों के बीच ये मैसेज पूरी तरह क्लीयर करना जरूरी है कि बीजेपी उनकी बड़ी मांग पूरी कर चुकी है। ये यात्रा बीस नवंबर से शुरू होगी। इसके लिए अब विधायकों को भी मुस्तैद किया जा रहा है।
सीएम ने विधायक दल की बैठक बुलाई
मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने 19 नवंबर को विधायक दल की बैठक बुलाई है। आमतौर पर बैठक सत्र से पहले बुलाई जाती है। लेकिन इस बार सत्र से कई दिन पहले ही बैठक की जा रही है। सभी विधायकों को बैठक में मौजूद रहने की हिदायत भी दी गई है। फिलहाल कहा जा रहा है कि हर विधायक से उसके क्षेत्र का हाल और मुद्दे पूछे जाएंगे। लेकिन अंदर की खबर ये भी है कि हर विधायक को उसके क्षेत्र के आदिवासी वोटर्स तक पेसा एक्ट और दूसरी घोषणा की जानकारी देने के निर्देश भी दिए जाएंगे। आदिवासी बाहुल इलाकों के विधायकों को खासतौर से इस काम में जुटना होगा। इसके अलावा जनजातीय गौरव यात्रा में भी ढिलाई न बरतने की हिदायत भी देना तय माना जा रहा है।
जयस के दावे से बीजेपी परेशान
पेसा एक्ट लागू कर बीजेपी ये मान चुकी थी कि आदिवासी वोट बैंक के लिए बड़ा तीर मारा है। लेकिन इस तीर का वार खाली जाए इसके लिए जयस और अन्य आदिवासी संगठन पूरी तरह तैयार बैठे हैं। जयस तो पहले ही ये दावा कर चुकी है कि पेसा एक्ट महज घोषणा भर है। इस एक्ट को लागू करने के लिए ग्राम पंचायतों का सशक्त होना बहुत जरूरी है। जयस का दावा है कि फिलहाल ग्राम पंचायतों के पास उतनी ताकत ही नहीं है। ऐसे में इस घोषणा से आदिवासियों को बहुत फायदा होने वाला नहीं है। जयस का ये दावा बीजेपी के डर की बड़ी वजह है। क्योंकि जो इम्पैक्ट बीजेपी ने सोचा था आदिवासी बाहुल इलाकों में पेसा एक्ट लागू करने की घोषणा का वो असर नजर नहीं आया। इसकी वजह से बीजेपी को ये डर सता रहा है कि सारी प्लानिंग के बावजूद कहीं आदिवासी वोट बैंक हाथ से न निकल जाए।
भारत जोड़ो यात्रा ने बढ़ाया बीजेपी का संकट
इस डर के अलावा दूसरा डर राहुल गांधी की भारत जोड़ो यात्रा का है। जो जोरशोर से प्रदेश में एंट्री करने वाली है। खबरें हैं कि आदिवासी इलाकों में कांग्रेस यात्रा के दौरान बड़े शो की तैयारी में है। इस खबर से भी बीजेपी में तनाव है। एक तरफ भारत जोड़ो यात्रा को फेल करने की तैयारियां जारी हैं तो दूसरी तरफ आदिवासियों को रिझाने के लिए जनजातीय गौरव यात्रा निकाली जा रही है। विधायकों को भी इस यात्रा की तैयारियों में जुटाया जा रहा है। इस यात्रा की रणनीति के साथ-साथ बीजेपी आगे की रणनीति पर भी चर्चा करेगी। 2023 के चुनाव के मद्देनजर विधायकों की परफोर्मेंस रिपोर्ट पर भी चर्चा हो सकती है।
बीजेपी में होगी बड़ी सर्जरी
यात्रा पूरी होने और गुजरात चुनाव खत्म होने के बाद बीजेपी खुद बड़ी सर्जरी की तैयारी में है। बैठक किसी भी बहाने से बुलाई जाए। उसमें एक एजेंडा इस सर्जरी की तैयारी भी हो सकता है। 2023 चुनाव से जोड़कर बीजेपी कोई खतरा मोल नहीं लेना चाहती। फिलहाल पहली प्रायोरिटी राहुल गांधी की यात्रा को फ्लॉप करना और आदिवासियों के बीच अपनी घोषणाओं की जानकारी पहुंचाना है। उसके बाद चुनाव से जुड़ी बड़ी रणनीतियों पर काम होगा। इस रणनीति का सबसे बड़ा हिस्सा क्षेत्रीय संतुलन बनाना और असंतोष को काबू करने का है। इसके लिए मंत्रिमंडल में फेरबदल और निगम मंडलों में नियुक्तियां की जाएंगी। किसी का कद बढ़ेगा किसी का कद घटेगा। कुछ नए चेहरे शामिल होंगे। दिसंबर अंत तक बीजेपी में कई बड़े बदलाव नजर आएं तो कोई हैरानी नहीं होगी।