संजय गुप्ता, INDORE. मानहानि केस में दो साल की सजा पाने के बाद कांग्रेस नेता राहुल गांधी लोकसभा से अपनी सदस्यता खो चुके हैं, इस मामले में द सूत्र द्वारा राज्यसभा सांसद व जाने-माने अधिवक्ता विवेक तन्खा से सवाल पूछा कि क्या कांग्रेस ने इस मामले को सही तरह से टैकल नहीं किया? इस पर उन्होंने कहा कि इस मामले में अलग एप्रोच बदलकर काम किया सकता था। उनके जो वकील है, वह काफी सीनियर है लेकिन उनकी एप्रोच ट्रेडिशनल रही, पहल ट्रायल कोर्ट में अपील करो फिर सैशन जाओ, फिर हाईकोर्ट और इसके बाद सुप्रीम कोर्ट जाओ। इसमें गलती नहीं है लेकिन हो सकता है कि कपिल और मेरे पास यह बात आती हम सीधे सुप्रीम कोर्ट जाते। हो सकता है कि सफलता मिलती या नहीं, यह अलग बात है लेकिन यह सोच का विषय है। इस तरह इस मामले में तन्खा ने कांग्रेस द्वारा इस केस को टैकल करने की एप्रोच को ही कठघरे में खड़ा कर दिया है। इस पर पहले से ही सवाल खड़े हो रहे हैं कि कांग्रेस ने इस पूरे मामले को कानूनी तौर पर सही तरह से नहीं लड़ा।
सिब्बल ने भी कहा- केस में कई लूपपोल थे
इस मामले में सिब्बल ने भी कहा कि केस को लेकर कई सवाल है, राहुल की स्पीच कर्नाटक में थी, केस गुजरात में हुआ। मामला ओबीसी को लेकर उठाया गया, जबकि मोदी ओबीसी है नहीं, फिर जिन्हें लेकर टिप्पणी की वह कोई भी मोदी कोर्ट ही नहीं गया और दूसरा ही व्यक्ति गया। फिर दो साल की ही सजा हुई ताकि सदस्यता खत्म हो जाए, इसी तरह आजम खान के साथ भी हुआ था।
समलैंगिकता को मैं अपने घर पसंद नहीं करूंगा
समलैंगिकता को लेकर सुप्रीम कोर्ट में चल रहे केस को लेकर विवेक तन्खा ने बड़ी बेबाक टिप्पणी करते हुए कहा कि मैं इन लोगों को क्रिमिनल नहीं समझता, लेकिन मैं अपने घर में यह नहीं चाहूंगा। सिब्बल ने कहा कि मुझे इस केस को लेकर मदद चाही गई है इसलिए कोई टिपप्णी नहीं करूंगा।
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मैं कांग्रेस पार्टी में नहीं, लेकिन किसी भी पार्टी में अब नहीं जाऊंगा
सिब्बल ने द सूत्र के सवाल पर कि कांग्रेस क्या अपने नेताओं को संभाल नहीं पा रही, पर जवाब दिया कि मैं भले ही कांग्रेस पार्टी में नहीं हूं, लेकिन कांग्रेस मैन हूं। वहीं एक सवाल पर उन्होंने कहा कि मैं कभी भी किसी पार्टी में नहीं जाऊंगा, सपा को साफ कहा कि आप समर्थन कर रहे तो ठीक लेकिन पार्टी में नहीं जाऊंगा। बीजेपी में तो मरने वाले दिन भी नहीं जाउंगा। वही तन्खा ने कहा कि मुझे लगता है कि सिब्बल बाहर निर्दलीय रहकर विपक्ष को लेकर काफी अधिक काम कर सकते हैं जो कांग्रेस में रहकर नहीं कर सकते थे, यह विपक्षी एकजुटता के लिए काफी फायदेमंद है और वह सभी विपक्ष से मिले हुए हैं, ऐसे में यह काफी राजनीतिक रूप से बढिया कदम है।
कॉलेजियम पसंद नहीं, लेकिन सरकार पर भरोसा नहीं
तन्खा ने कॉलेजियम सिस्टम से जजों को चुनने को लेकर कहा कि हमे भी यह सिस्टम पसंद नहीं है लेकिन वर्तमान सरकार, शासकों पर हमारा भरोसा नहीं है, इसलिए इस स्थिति में तो हम कॉलेजियम के साथ है। अभी कॉलेजियम की बेइज्जती हो रही है, जस्टिस मुरलीधरन का नाम चीफ जस्टिस के लिए भेजा गया पांच माह पहले, अब कॉलेजियम ने वापस ले लिया, मैंने इसका विरोध किया है। पांच सुप्रीम कोर्ट की अनुशंसा को महीनों तक रोक कर रखा गया जो आज तक नहीं हुआ, बाद में दो नाम फिर भेजे गए। हम लोगों को सरकार का जो प्रभाव है कॉलेजियम पर ऐसे में हम आज के समय कॉलेजियम के पक्षधर है।
विपक्षी सरकार के यहां खुले हैं ईडी के दरवाजे
सिब्बल ने कहा कि आज देश में दो नक्शे हैं। दो तरह की सरकारें हैं, जहां बीजेपी सरकार नहीं है ईडी, सीबीआई के लिए वहा के दरवाजे खुले हैं, जहां हैं, वहां उनके लिए दरवाजे बंद है। देश में क्या हो रहा है, सभी संस्थाएं छिन्न-भिन्न हो रही है।