मध्यप्रदेश की सियासत के केंद्र हैं राम, 14 में से 12 साल चित्रकूट में बिताए; फिर भी नहीं बन पा रहा राम वन गमन पथ

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Arun Dixit
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मध्यप्रदेश की सियासत के केंद्र हैं राम, 14 में से 12 साल चित्रकूट में बिताए; फिर भी नहीं बन पा रहा राम वन गमन पथ

BHOPAL. विधानसभा चुनाव नजदीक आते ही एक बार फिर भगवान श्रीराम मध्यप्रदेश की सियासत के केंद्र में आ गए हैं। देश के साथ प्रदेश में भी राम पर हमेशा राजनीति होती रही है। पिछले 2 बार के चुनाव में राम वन गमन पथ राजनीति का केंद्र बिंदु बनता आ रहा है।



मध्यप्रदेश में नहीं बन पाया राम वन गमन पथ



राम 14 साल के वनवास में करीब 12 साल मध्यप्रदेश में रहे हैं, फिर भी यहां पर राम वन गमन पथ का निर्माण नहीं हो पाया है। 2018 में कांग्रेस ने अपने वचन पत्र में इसे शामिल किया तो कमलनाथ सरकार बन गई, लेकिन 15 महीने के बाद फिर बीजेपी सरकार बन गई। फिर राम वन गमन पथ केंद्र में आ गया। अब 2023 के विधानसभा चुनाव में फिर राम की चर्चा होने लगी है। कांग्रेस का राम वन गमन पथ अब बीजेपी का दिव्य वनवासी राम लोक बन गया है।



राम के वनवास का केंद्र रहा मध्यप्रदेश



भगवान राम को 14 वर्ष का वनवास मिला। राम के वनवास में सबसे ज्यादा सौभाग्यशाली मध्यप्रदेश रहा है। यहां पर राम ने 11 साल 11 महीने और 11 दिन का समय गुजारा। राम ने सीता और लक्ष्मण समेत सबसे ज्यादा समय चित्रकूट में गुजारा। प्रदेश में राम वन गमन पथ चित्रकूट से अमरकंटक तक 370 किलोमीटर है। कहा जाता है कि चित्रकूट में पग-पग पर राम की निशानियां बसी हैं। मध्यप्रदेश और उत्तर प्रदेश की सीमा पर बसे चित्रकूट नगरी के विकास के लिए बड़ी बातें की गईं। यहां से ही श्रीराम वन गमन पथ बनना है, लेकिन 14 साल में काम के नाम पर सिर्फ सर्वे हुआ है। संतों का दावा है कि पथ आज भी पगडंडी ही है।



ऐसा है प्रदेश में राम वन गमन पथ



प्रदेश में सतना जिले के चित्रकूट से राम की वन की यात्रा शुरू होती है। कामतानाथ मंदिर चित्रकूट से राम स्फटिक शिला और गुप्त गोदावरी के बाद सती अनुसुइया आश्रम पहुंचे। ये सभी स्थान सतना जिले में चित्रकूट में स्थित हैं। इसके बाद सलेहा मंदिर पन्ना, मैहर से होते हुए कटनी जिले के बड़वारा से होते हुए राम जबलपुर के शाहपुरा पहुंचे। जबलपुर के ग्वारी घाट से भी राम गुजरे हैं। यहां से सतना जिले के राम मंदिर तालाधाम से शहडोल के सीतामढ़ी और फिर अमरकंटक पहुंचे। राम के जन्म की सबसे ज्यादा लीला मध्यप्रदेश में ही हुई है, फिर भी यहां का राम वन गमन पथ उपेक्षा का शिकार है।



वीडियो देखने के लिए क्लिक करें..'मैं सिर्फ इसलिए लेता हूं राम का नाम, क्योंकि सियासत है मेरा काम...'



कमलनाथ सरकार में शुरू हुआ था राम पथ वन गमन पर काम



2018 में प्रदेश में कमलनाथ सरकार बनी। साल 2019-20 के पहले बजट में कमलनाथ ने राम वन गमन पथ के लिए 22 करोड़ रुपए का प्रावधान किया था। ये काम तत्कालीन धर्मस्व मंत्री पीसी शर्मा के जिम्मे था। इसका पूरा प्रोजेक्ट तैयार हो गया था। चित्रकूट से अमरंकटक के विशेष स्थानों और उनके विकास का पूरा नक्शा भी बना लिया गया था। इसके लिए राम वन गमन समिति का गठन किया गया था। राम वन गमन पथ बनाने के लिए बोर्ड का गठन किया जाना था, लेकिन इससे पहले कि राम वन गमन पथ पर काम शुरू होता प्रदेश की कमलनाथ सरकार गिर गई और चौथी बार शिवराज सिंह चौहान मुख्यमंत्री बन गए। इसके बाद राम पथ वन गमन का काम ठप हो गया। इस बार फिर कांग्रेस के वचन पत्र में राम वन गमन पथ को फिर से प्रमुखता से शामिल किया जाएगा।



चुनाव के पहले बीजेपी सरकार शुरू करेगी काम



चुनावी साल में बीजेपी सरकार का फोकस भी राम वन गमन पथ पर हो गया है। बीजेपी ने इसे दिव्य वनवासी रामलोक का नाम दिया है। इस बार के बजट में 250 करोड़ रुपए सलकनपुर मंदिर, ओरछा के रामराजा मंदिर और दिव्य वनवासी राम लोक के लिए रखे हैं। अब किस पर कितना खर्च होगा ये अलग बात है। संस्कृति मंत्री उषा ठाकुर कहती हैं कि जल्द ही चुनाव से पहले इसका निर्माण कार्य शुरू हो जाएगा। इसके लिए ट्रस्ट भी बनाया जा रहा है।


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