BHOPAL. जगद्गुरु रामभद्राचार्य महाराज ने भोपाल का नाम 'भोजपाल' करने का मुद्दा उठाया है। उन्होंने ये मांग फिर दोहराई। रामभद्राचार्य ने इस मुद्दे को लेकर पीएम मोदी से मुलाकात कर बात करने को कहा है। उन्होंने प्रदेश की संस्कृति मंत्री उषा ठाकुर से कहा कि वे सीएम शिवराज को समझाएं। होशंगाबाद का नाम बदलकर नर्मदापुरम किया जा सकता हैं तो भोपाल में एक ही अक्षर 'ज' ही तो जोड़ना है। मध्यप्रदेश विधानसभा में इसका प्रस्ताव पास किया जाना चाहिए।
भोपाल में 1361 वीं रामकथा कर रहे भद्राचार्य
भोपाल में 1361वीं श्रीराम कथा कर रहे जगद्गुरु रामभद्राचार्य महाराज तब सुर्खियों में आए, जब उन्होंने भोपाल का नाम 'भोजपाल' किए जाने को लेकर प्रण लिया। उन्होंने कहा कि भोपाल 'भोजपाल' हो जाएगा तो संस्कृत के स्वाभिमान की रक्षा हो जाएगी। संस्कृत का स्वाभिमान हमारे राष्ट्र से जुड़ा हुआ है। मध्यप्रदेश विधानसभा इसका प्रस्ताव पास करें। ताकि, मैं जल्दी भोपाल में आ जाऊं।
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'भोपाल का नाम भोजपाल होगा तब ही भोपाल आऊंगा'
‘जब तक भोपाल का नाम भोजपाल नहीं हो जाता, तब तक अगली कथा करने नहीं आऊंगा। ये बात रामभद्राचार्य ने कही है। रामभद्राचार्य ने कहा कि भोजपाल नगरी के राजा भोज पालक थे। जब इलाहाबाद का नाम प्रयागराज हो गया है, फैजाबाद का नाम बदलकर अयोध्या कर दिया गया है, तो भोपाल का नाम बदलकर भोजपाल क्यों नहीं किया जा सकता? मैं अपने अनुज सीएम शिवराज सिंह चौहान से कहूंगा कि विधानसभा चुनाव के पहले इसका नाम बदल दें।
राजधानी का नाम बदलना भारत का गौरव बढ़ाने का काम
जगद्गुरु ने कहा कि आजकल योग की बहुत चर्चा चल रही है। पीएम नरेंद्र मोदी की कोशिशों से संयुक्त राष्ट्र संघ ने 21 जून को अंतरराष्ट्रीय योग दिवस घोषित कर दिया। जिस योग सूत्र की रचना महर्षि पतंजलि ने की थी, उसकी व्याख्या महाराज भोज ने की थी। वैसे राजा भोज के नाम पर राजधानी भोपाल का नाम बदलकर भोजपाल हो जाता है तो ये मध्यप्रदेश ही नहीं बल्कि भारत का गौरव बढ़ाने वाला काम होगा। उन्होंने संस्कृति मंत्री उषा ठाकुर से कहा कि मप्र विधानसभा में प्रस्ताव लाकर भोपाल का नाम भोजपाल कर देना चाहिए। मध्य प्रदेश में भोपाल का नाम बदल जाएगा तो मैं फिर से यहां वापस आऊंगा।
मां सरस्वती मूर्ति हमें मिल सकती है वापस
जगद्गुरु ने कहा कि भोजशाला की मां वाग्देवी की मूर्ति अंग्रेज उठाकर ले गए थे। मूर्ति 114 साल से लंदन के ब्रिटिश म्यूजियम ग्रेट रसल स्ट्रीट में रखी हुई है। मैं तो यही कहूंगा कि मप्र सरकार और मोदी सरकार मिलकर कोशिश करें, तो मां सरस्वती मूर्ति भी हमें वापस मिल सकती है।
46 साल से उठ रहा भोपाल का नाम बदलने का मुद्दा
मध्यप्रदेश की राजधानी भोपाल का नाम 'भोजपाल' करने का मुद्दा करीब 46 साल से उठता रहा है, लेकिन नगर निगम और राज्य सरकार में तालमेल नहीं बनने से इसे अमलीजामा नहीं पहनाया सका।