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International Desk. नेपाल में गुरूवार को राष्ट्रपति चुनाव में रामचंद्र पौडेल विजयी रहे। उन्होंने अपने निकटतम प्रतिद्वंदी सुभाष नेमबांग को 15 हजार से ज्यादा मतों से हराया है। चुनाव में पौडेल को 33,802 मत मिले जबकि नेमबांग को 15,518 वोट प्राप्त हुए। पौडेल अब बिद्यादेवी भंडारी का स्थान लेंगे जो कि 2015 से नेपाल की राष्ट्रपति के पद पर काबिज थीं।
इससे पहले रामचंद्र पौडेल नेपाल की संसद के अध्यक्ष रह चुके हैं। 27 फरवरी को नेपाल की सत्ता से बाहर हुए चीनी समर्थक केपी ओली की पार्टी सीपीएन-यूएमएल को राष्ट्रपति चुनाव के परिणाम से एक और बड़ा झटका लगा है।
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रामचंद्र पौडेल नेपाल कांग्रेस की ओर से प्रत्याशी थे, उन्हें शेर बहादुर देउबा और प्रधानमंत्री पुष्प कमल दहल प्रचंड की पार्टी समेत 8 दलों का समर्थन हासिल था। उधर केपी ओली की पार्टी के उम्मीदवार नेमबांग को उनकी पार्टी के अलावा केवल निर्दलीय सदस्यों का समर्थन मिला। वहीं राष्ट्रीय प्रजातंत्र पार्टी ने किसी भी उम्मीदवार को सपोर्ट करने से पहले ही इनकार कर रखा था।
नेपाल के संविधान के तहत इलेक्टोरल कॉलेज में 884 सदस्य हैं। जिन्होंने गुरूवार को हुए राष्ट्रपति चुनाव में मतदान किया। इनमें से 275 सदस्य
राष्ट्रपति चुनाव के लिए 884 सदस्यों ने डाले वोट प्रतिनिधि सभा के थे, जबकि 59 सदस्य नेशनल असेंबली के रहे। इनके अलावा देशभर की विधानसभा से 550 सदस्य भी इलेक्टोरल कॉलेज का हिस्सा रहे। चुनाव में एक सांसद के वोट का वेटेज 79 था जबकि एक विधायक के वोट का वेटेज 48 था। इसका मतलब राष्ट्रपति चुनाव के लिए कुल 52,786 वोट डाले गए।
नेपाल में दो महीने पहले प्रचंड की अगुआई में गठबंधन सरकार बनी थी। तय ये हुआ था कि शुरुआती ढाई साल प्रचंड प्रधानमंत्री रहेंगे और इसके बाद सीपीएन-यूएमएल के मुखिया केपी शर्मा ओली कुर्सी संभालेंगे। दो महीने तक सरकार ठीक-ठाक चली। फिर 9 मार्च को राष्ट्रपति चुनाव की घोषणा हुई, क्योंकि वर्तमान राष्ट्रपति बिद्या देवी भंडारी का कार्यकाल खत्म हो रहा था। प्रचंड को गठबंधन सरकार के प्रेसिडेंशियल कैंडिडेट का समर्थन करना चाहिए था, लेकिन उन्होंने सबको हैरान कर दिया।