JABALPUR. मध्य प्रदेश हाईकोर्ट ने एक मामले में महत्वपूर्ण बिंदु प्रतिपादित करते हुए व्यवस्था दी है कि यदि कर्मचारी की मृत्यु के बाद रिकवरी निकाली जाती है तो उसकी वसूली विधवा पत्नी से नहीं कर सकते। इस मत के साथ हाईकोर्ट ने पुलिस कर्मी की पत्नी पर निकाली गई रिकवरी और पेंशन रोकने के आदेश निरस्त कर दिए। जस्टिस विशाल धगट की एकलपीठ ने पुलिस विभाग को निर्देश दिए कि याचिकाकर्ता को 6 फीसद ब्याज के साथ सभी लंबित देयकों का भुगतान करें। कोर्ट ने इसके लिए 60 दिनों की मोहलत दी है।
कर्मचारी की मृत्यु के बाद निकाला रिकवरी आदेश
मंडला निवासी चंद्रावती बैरागी ने याचिका दायर कर बताया कि पुलिस विभाग में कार्यरत उसके पति फूलदास की मृत्यु 4 दिसंबर 2016 को हो गई थी। याचिकाकर्ता की ओर से अधिवक्ता अजय रायजादा ने बताया कि पुलिस अधीक्षक मंडला ने 22 मार्च 2018 को याचिकाकर्ता पर 5 लाख 75 हजार रुपए की रिकवरी निकाल दी। इसके बाद 23 जुलाई 2018 को आदेश जारी कर याचिकाकर्ता की पेंशन रोक दी गई। जबकि रिकवरी आदेश कर्मचारी की मृत्यु के बाद निकाला गया था।
शासन की ओर से बताया गया कि 1996 से 2016 के बीच किए गए अतिरिक्त भुगतान के एवज में रिकवरी निकाली गई है। सुनवाई के बाद कोर्ट ने कहा कि याचिकाकर्ता एक विधवा है और यदि उससे रिकवरी की गई तो उसके साथ अन्याय होगा।