संजय गुप्ता, INDORE. इंदौर हाईकोर्ट बेंच से उज्जैन सांसद अनिल फिरोजिया को बड़ी राहत मिल गई है। गुरुवार को हाईकोर्ट ने कांग्रेस प्रत्याशी बाबूलाल मालवीय की चुनाव याचिका निरस्त कर दी। सुनवाई के बाद हाईकोर्ट ने पाया कि वह चुनाव को लेकर जो आरोप लगा रहे हैं, वह साबित नहीं होते हैं, इसके चलते याचिका निरस्त की जाती है। मालवीय ने इस याचिका में कई तरह के आरोप लगाते हुए उनका निर्वाचन शून्य घोषित करने की मांग की थी।
यह लगाए थे याचिका में आरोप
साल 2019 में हुए लोकसभा चुनाव में अनिल फिरोजिया ने उज्जैन संसदीय सीट से भाजपा प्रत्याशी के रूप में चुनाव लड़ा था। उनका मुकाबला कांग्रेस प्रत्याशी बाबूलाल मालवीय से था। चुनाव में फिरोजिया ने तीन लाख 65 हजार मतों से मालवीय को हराया था। मालवीय ने इस निर्वाचन को चुनौती देते हुए फिरोजिया के खिलाफ हाई कोर्ट में चुनाव याचिका दायर कर दी। आरोप था कि चुनाव में अनियमितताएं हुई हैं। जनप्रतिनिधि अधिनियम के प्रविधानों का पालन नहीं किया गया और वीवीपेट मशीन से पर्याप्त संख्या में सैंपलिंग भी नहीं की गई। चुनाव में नियमों का पालन नहीं करने के चलते उनका चुना जाना विधिसंगत नहीं है, इसलिए उनका निर्वाचन शून्य किया जाए।
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सांसद की ओर से यह रखे गए तर्क
सांसद फिरोजिया की तरफ से पैरवी कर रहे अधिवक्ता विजय आसुदानी ने बताया कि हमने आरोपों को नकारते हुए कोर्ट के समक्ष तर्क रखे कि फिरोजिया ने चुनाव लगभग तीन लाख 65 हजार मतों से जीता है। याचिकाकर्ता का कहना है कि वीवीपेट की सैंपलिंग पर्याप्त संख्या में नहीं हुई, लेकिन याचिका में कहीं भी यह नहीं बताया गया कि पर्याप्त सैंपलिंग से परिणाम कैसे प्रभावित हो सकते थे। हमारे तर्कों से सहमत होते हुए चुनाव याचिका निरस्त कर दी गई है।
लोकसभा चुनाव में कांग्रेस को मिली थी केवल एक सीट
उल्लेखनीय है कि साल 2019 के चुनाव में प्रदेश में कांग्रेस की सरकार थी, इसके बाद भी इन चुनावों में उसे करारी हार हुई थी। प्रदेश की 29 लोकसभा सीट में से केवल एक लोकसभा सीट छिंदवाड़ा की ही कांग्रेस जीत सकी थी। बाकी 28 में हार का मुंह देखना पड़ा था, यहां तक कि उस समय कांग्रेस में रहे ज्योतिरादित्य सिंधिया तक गुना से पंरपरागत सीट हार गए थे।