MP: शिशु-मातृ मृत्यु दर काबू करने में ‘शिव’ नाकाम, मदद की बाट जोहती महिलाएं

author-image
एडिट
New Update
MP: शिशु-मातृ मृत्यु दर काबू करने में ‘शिव’ नाकाम, मदद की बाट जोहती महिलाएं

रुचि वर्मा, भोपाल। मध्य प्रदेश में हर साल करोड़ों रुपए के खर्च के बाद भी शिशु मृत्यु दर (IMR) और मातृ मृत्यु दर (MMR) काबू में नहीं आ पा रही है। हालत यह है कि प्रदेश में जननी सुरक्षा योजना (Maternity Safety Scheme Reality check) से लेकर प्रधानमंत्री मातृ वंदन योजना (PMMVY) जैसी कई योजनाएं पर भारी-भरकम पैसा खर्च किए जाने के बाद भी IMR और MMR राष्ट्रीय औसत तो दूर छत्तीसगढ़ और बिहार से भी कही ज्यादा है। इसकी एक बड़ी वजह गर्भवती महिलाओं (scheme for Pregnant women) को योजनाओं का पैसा और अन्य लाभ समय पर ना मिल पाना है। रीवा जिले की घूमन पंचायत के ग्राम खांधू की रघुराई देवी कोल इसकी जीती जागती मिसाल हैं। उन्होंने जुलाई 2016 में गर्भवती होने के दौरान PMVVY से मिलने वाली कुल 5 हजार रुपए की राशि के लिए अपना रजिस्ट्रेशन कराया था। लेकिन मार्च 2017 में बेटी को जन्म देने के 4 साल बाद भी उन्हें योजना का पैसा नहीं मिल पाया। स्वास्थ्य विशेषज्ञों का मानना है कि जब तक आदिवासी (scheme for tribal preganent women) एवं गरीब गर्भवती महिलाओं को योजनाओं का लाभ समय पर नहीं मिलेगा, तब तक प्रदेश में शिशु और मातृ मृत्यु दर (infant and maternal mortality) को काबू में लाना बड़ी चुनौती है।



MP में शिशु-मातृ मृत्यु दर छत्तीसगढ़, बिहार से भी ज्यादा: प्रदेश में गर्भवती महिलाओं को योजनाओं का लाभ समय पर नहीं मिल पाने की वजह जानने से पहले आपको बताते हैं कि प्रदेश में शिशु मृत्यु दर (mp infant mortality rate) और मातृ मृत्यु दर (Ground report on Maternal mortality rate) का क्या हाल है। प्रदेश में शिशु मृत्यु दर (46 प्रति 1000 नवजात) और मातृत्व मृत्यु दर का आंकड़ा (173 प्रति 1 लाख डिलीवरी) पड़ोसी राज्यों जैसे छत्तीसगढ़, राजस्थान, उत्तर प्रदेश, महाराष्ट्र और बिहार से भी कहीं ज्यादा है। मतलब प्रदेश में जन्म लेने वाली एक हजार बच्चों में से 46 बच्चों की मृत्यु हो जाती है। इसके अलावा प्रति एक लाख डिलीवरी में से 173 महिलाएं जीवित नहीं बच पातीं। यही नहीं, मप्र में खून की कमी से पीड़ित (एनेमिक) गर्भवती महिलाओं का प्रतिशत भी राष्ट्रीय औसत से ज्यादा है।



मप्र IMR छग, बिहार से भी ज्यादा (Source- SRS 2019): मध्य प्रदेश: 46, राष्ट्रीय औसत: 30 , छत्तीसगढ़: 40, राजस्थान: 35, उत्तर प्रदेश: 41, महाराष्ट्र: 17, बिहार: 29



मप्र में MMR भी राष्ट्रीय औसत से ज्यादा (Source- SRS 2016-18)  



मध्य प्रदेश: 173, राष्ट्रीय औसत: 113, छत्तीसगढ़: 159, राजस्थान: 164, महाराष्ट्र: 46, बिहार: 149  



MP में एनेमिक गर्भवती महिलाओं का प्रतिशत (15-49 साल): (सोर्स: NFHS -5) 



मध्य प्रदेश: 52.9, राष्ट्रीय औसत: 52.2, महाराष्ट्र: 45.7, छत्तीसगढ़: 51.8, राजस्थान: 46.3



कब और क्यों लागू की गई PMMVY?: केंद्र में पीएम नरेंद्र मोदी (PM Modi on food security act) की सरकार ने 1 जनवरी 2017 को नेशनल फूड सिक्योरिटी एक्ट 2013 के अंतर्गत PMMVY का ऐलान करते हुए वादा किया था कि आर्थिक रूप से कमजोर गर्भवती और स्तनपान कराने वाली महिलाओं को तीन किश्तों में 5000 रुपए की आर्थिक सहायता दी जाएगी, ताकि वह अपना एवं अपने होने वाले शिशु के स्वास्थ्य का ध्यान रख सकें। इस योजना में सहायता राशि सीधे हितग्राही महिला के खाते में जाती है। हर महिला को कुल 5 हजार रुपए की राशि तीन किस्तों में 30-30 दिन के अंतराल में दिए जाने का प्रावधान है। पूर्व में यह केंद्रीय योजना इंदिरा गांधी मातृत्व सहयोग योजना (Maternity Support Scheme) के नाम से संचालित होती थी लेकिन 2014 में नई दिल्ली में मोदी सरकार आने के बाद इसके नाम से इंदिरा गांधी शब्द हटा दिया गया। 



प्रधान मंत्री मातृ वंदना योजना का बजट एवं खर्च की गई राशि (सोर्स: WCD मिनिस्ट्री)









2018-19 में केंद्र से प्रदेश को मिली राशि


Rs185.81 करोड़





खर्च की गई राशि (केंद्र एवं राज्य का शेयर)


Rs337.85 करोड़





2019-20: केंद्र से प्रदेश को मिली राशि


Rs285.16 करोड़





खर्च की गई राशि (केंद्र एवं राज्य का शेयर)


Rs308.18 करोड़ 





2020-21: केंद्र केंद्र से प्रदेश को मिली राशि


Rs62.78 करोड़ 





खर्च की गई राशि (केंद्र एवं राज्य का शेयर)


Rs179.68 करोड़






रीवा की महिला को 4 साल बाद भी नहीं मिली राशि: रीवा जिले के ब्लॉक जवा की ग्राम पंचायत घूमन के खांधू गांव की निवासी रघुराई देवी योजना की पात्र होते हुए भी जुलाई 2016 से दिसंबर 2021 तक प्रधानमंत्री मातृत्व वंदना योजना का कोई फायदा नहीं ले पाईं। जुलाई 2016 में गर्भवस्था का पता चलने के बाद रघुराई देवी ने अपना रजिस्ट्रेशन गांव के आंगनवाड़ी केंद्र में करवाया। मार्च 2017 मे प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र डभौरा में रघुराई देवी की डिलीवरी के बाद गांव की आंगनवाड़ी कार्यकर्ता ने अप्रैल 2017 में रघुराई देवी के तीनों फार्म सभी दस्तावेज (बैंक खाता, पति और पत्नी दोनों के आधार कार्ड एवं समग्र ID की कॉपी) के साथ भरवाए। लेकिन अप्रैल 2017 के बाद से आज तक रघुराई देवी के खाते में इस योजना की कोई भी राशि नहीं आई।



जन्म के बाद बच्ची कुपोषण का शिकार: डिलीवरी के दौरान उनकी नवजात बेटी का वजन 2.7 किलो था, लेकिन बाद में बच्ची कुपोषण का शिकार (child malnourished) हो गई। इसके बाद जनवरी 2018 एवं दिसंबर 2018 में रघुराई देवी का फार्म दोबारा सभी जरूरी दस्तावेजों (आधार कार्ड, बैंक पास बुक की कापी, समग्र आईडी, मात्रु शिशु सुरक्षा कार्ड की कॉपी और बच्चे के जन्म प्रमाण पत्र की कॉपी) के साथ आंगनबाड़ी कार्यकर्ता द्वारा भरवाया गया। लेकिन इसके बाद भी 1 जनवरी 2022 तक रघुराई देवी के खाते में योजना कोई भी राशि नहीं आई। यह स्थिति तब है, जब प्रदेश में शिशु एवं मातृ मृत्यु दर को कम करना सरकार की प्राथमिकताओं में से एक है। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान (CM Shivraj on infant and maternal mortality) ने सभी कलेक्टरों को जिलों में हर महीने जिला स्वास्थ्य समिति की बैठक में विशेष निगरानी करने के निर्देश दिए हैं।



किस्त के लिए 30 दिन की समयसीमा, भुगतान के लिए इंतजार: द सूत्र की पड़ताल में यह बात सामने आई कि प्रधानमंत्री के नाम से लागू की गई इस योजना में पात्र महिलाओं को लाभ दिलाने के लिए प्रत्येक किस्त की समय सीमा भले ही 30 दिन निर्धारित की गई हो, लेकिन हकीकत में उन्हें पैसा समय पर नहीं मिल पा रहा। महिला बाल-विकास विभाग (Women and Child Development Department) के दस्तावेजों के अनुसार, योजना की शुरुआत से अब तक कुल 72 लाख 24 हजार 600 आवेदन मिले। इनमें से 70 लाख 02 हजार 822 आवेदनों का निपटारा किया गया। लेकिन 01 लाख 69 हजार 498 आवेदनों को भुगतान अभी भी बाकी है। यदि सिर्फ 2021 के आंकड़ों पर ही नजर डाली जाए तो कुल 2 लाख 86 हजार 324 आवदेनों में से अभी 75 हजार 742 आवेदनों का भुगतान होना बाकी है।



अक्टूबर-2021 में 5003 आवेदकों को देर से मिली सहायता राशि: यदि हम अक्टूबर 2021 के आंकड़ों पर नजर डालें तो करीब 5,003 आवेदकों को PMMVY की सहायता राशि निर्धारित समय से 2 महीने या उसके बाद मिली। इन आवेदकों में से 3589 आवेदकों को योजना की पहली किस्त, 251 आवेदकों को दूसरी किस्त, 1163 आवेदकों को तीसरी किस्त देर से मिली। इस महीने करीब 21 हजार 963 आवेदन योजना राशि के लिए लंबित थे। 






 






प्रधान मंत्री मातृ वंदना योजना की अक्टूबर महीने की स्थिति


(अक्टूबर 2021)





इतने आवेदनों को पहली किश्त देने में 2 महीनों से ज्यादा का समय लगा


3589





इतने आवेदनों को दूसरी किश्त देने में 2 महीनों से ज्यादा का समय लगा


251





इतने आवेदनों को तीसरी किश्त देने में 2 महीनों से ज्यादा का समय लगा


1163





लंबित आवेदन


21,963 






दिसंबर-2021 में इतनी महिलाओं को देर से मिली सहायता राशि: दिसंबर 2021 में करीब 3,941 आवेदकों को PMMVY की सहायता राशि निर्धारित समय से 2 महीने या उसके बाद मिल पाई। इन 3,941 आवेदकों में से 3063 आवेदकों को पहली किस्त, 73 आवेदकों को दूसरी किस्त, 805 आवेदकों को तीसरी किस्त देर से मिली। इस महीने के करीब 20,446 आवेदन राशि के भुगतान के लिए अभी भी लंबित हैं।









प्रधानमंत्री मातृ वंदना योजना की दिसंबर महीने की स्थिति


(दिसंबर 2021)





इतने आवेदनों को पहली किश्त देने में 2 महीनों से ज्यादा का समय लगा


3063





इतने आवेदनों को दूसरी किश्त देने में 2 महीनों से ज्यादा का समय लगा


73





इतने आवेदनों को तीसरी किश्त देने में 2 महीनों से ज्यादा का समय लगा


805





पेंडिंग आवेदन


20,446






मप्र में PMMVY की लंबित किस्तें: (30 दिसंबर 2021 तक)



1. 10 हजार 759 महिलाओं की पहली किस्त पेंडिंग है। 



2. 957 महिलाओं की दूसरी किस्त पेंडिंग है। 



3. 8,730 महिलाओं को तीसरी किस्त लंबित है। 



कभी-कभी देर हो जाती है: रघुराई देवी के केस में पूछताछ करने पर आंगनबाड़ी कार्यकर्ता फूलकली सिंह ने कहा कि हमने अपनी तरफ से सभी फार्म भरवा दिए थे। इसके बाद सेक्टर सुपरवाइज़र बताया कि रघुराई देवी की राशि आ जाएगी, कभी-कभार किसी मामले में लेट हो जाती है। ब्लॉक जवा की परियोजना अधिकारी पांडेय का कहना है कि मैंने रघुराई देवी का फार्म कार्यालय में फीड करा दिया है। उनकी राशि कुछ ही दिनों में आ जाएगी। वजह चाहे जो भी हो रघुराई देवी कोल प्रधानमंत्री मातृत्व वंदना योजना के तहत पात्र होते हुए भी विभागीय उदासीनता की वजह से योजना के लाभ से अब तक वंचित हैं। 



कई बार तकनीकी कारणों से भी भुगतान में देरी: योजना की पात्र महिलाओं को आवेदन की सारी प्रक्रिया पूरी करने के बाद भी राशि का भुगतान समय पर ना हो पाने के बारे में महिला एवं बाल विकास के अधिकारी तकनीकी कारणों को जिम्मेदार बताते हैं। उनका कहना है कि कई मामलों में आवेदक महिलाओं के बैंक खाते अपडेट नहीं होते। कई आवेदक जानकारी के अभाव में देर से आवेदन करती हैं, इसलिए उन्हें भुगतान मिलने में समय लग जाता है। प्रदेश में नेशनल हेल्थ मिशन (National Health Mission) की डायरेक्टर प्रियंका दास का कहना है कि वे भुगतान के सभी लंबित मामलों का गंभीरता से परीक्षण कराएंगी। साथ ही वे यह व्यवस्था भी सुनिश्चित कराएंगी कि आवेदन की प्रक्रिया पूरी होने के बाद महिलाओं को उनका पैसा समय पर मिले।



एक्सपर्ट का व्यू  

1. डॉ. शीला भंभल, (महिला एवं बच्चों की हेल्थ एक्सपर्ट)



महिलाओं के कल्याण के लिए प्रदेश में इतनी योजनाए चल रहीं हैं, तब भी MMR में गिरावट की दर इतनी कम है, क्योंकि जिन्हें इन योजनाओं का फायदा मिलना चाहिए, उन तक नहीं पहुंच पा रहा हैं। इसके लिए योजना के बारे में घर -घर तक जागरूकता लाना जरूरी है। इसके अलावा योजना पर अमल की निगरानी करने वाले अधिकारियों को यह भी देखना चाहिए कि मैदानी स्तर पर कहां, क्या गैप आ रहा है। उसकी पहचान के उसे प्राथमिकता के आधार पर दूर करना चाहिए।  



2. राकेश मालवीय (विकास संवाद समिति -सोशल रिसर्च, ट्रेनिंग एंड डॉक्यूमेंटेशन एंड एडवोकेसी ग्रुप)



मध्य प्रदेश में मातृत्व की स्थिति चिंताजनक रही है। प्रधानमंत्री ने जब PMMVY लांच की थी तो उम्मीद तो काफी बंधी थी, लेकिन इस योजना के 4-5 साल गुजरने के बाद भी इसका जमीनी स्तर पर कुछ खास रिजल्ट नहीं दिख रहा है। इसका कारण है कि कई बार हितग्राहियों को सही समय पर इस योजना का लाभ नहीं मिल पाता। कुछ मामलों में तो राशि मिलने में सालों लग रहे हैं। कई बार महिलाओं को योजना की सही जानकारी नहीं होती। गर्भवती महिलाएं जब फॉर्म भरती हैं तो उसका कोई एक्नॉलेजमेंट नहीं होता। हालांकि योजना की ग्राउंड-वर्कर्स इसमें उनकी काफी मदद कर रही है, लेकिन कई बार वो खुद भी दफ्तरों के चक्कर काटती रह जाती हैं, और उनको भी कोई इन्फॉर्मेशन नहीं मिल पाती। सूचना क्रांति के दौर नए टेक्नोलॉजी का उपयोग करते हुए सही सिस्टम के माध्यम से योजना और उसके इन्फॉर्मेशन के बीच के गैप को दूर किया जाना चाहिए। यदि इस योजना की राशि हितग्राहियों को समय पर नहीं मिल पाती तो योजना का उद्देश्य ही खत्म हो जाता है। ऐसे समय में जबकि प्रदेश में एनीमिया (Anemia) और कुपोषण एक बड़ा मसला है। तब अगर गर्भवती माताओं को PMMVY योजना की राशि समय पर मिलेगी तो उनका पोषण की जरूरत पूरी होगी, और इसका असर उनके स्वास्थ पर तो दिखेगा ही, साथ ही MMR की दर में भी कमी आएगी और साथ ही आने वाला बचपन भी खुशहाल और मजबूत होगा।


National Health Mission PMMVY aganwadi Maternity Safety Scheme Reality check scheme for Pregnant women mp infant mortality rate Ground report on Maternal mortality rate PM Modi on food security act Maternity Support Scheme CM Shivraj on infant and maternal mortality मातृ शिशु मृत्यु दर मातृत्व के लिए योजनाएं schemes for pregnent women