जबलपुर की आरडीयू में पहुंचे आयुक्त निःशक्तजन के प्रतिनिधि, भर्ती प्रक्रिया से जुड़े अधिकारियों के लिए बयान

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Rajeev Upadhyay
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जबलपुर की आरडीयू में पहुंचे आयुक्त निःशक्तजन के प्रतिनिधि, भर्ती प्रक्रिया से जुड़े अधिकारियों के लिए बयान

Jabalpur. जबलपुर के रानी दुर्गावती विश्वविद्यालय में चल रही बैकलॉग शिक्षक भर्ती में दिव्यांगों को दिए जाने वाले आरक्षण में गोलमाल की शिकायत आयुक्त निशक्तजन मध्यप्रदेश को की गई थी। जिसके बाद शिकायत की पड़ताल भी शुरू हो गई है। आयुक्त कार्यालय के प्रतिनिधि जांच के लिए रादुविवि भेजे गए। जिन्होंने विश्वविद्यालय के स्थापना विभाग और भर्ती प्रक्रिया से जुड़े अधिकारियों के बयान लिए हैं। उधर विश्वविद्यालय द्वारा जारी की गई अधिसूचना और राज्य शासन के नियमों का अवलोकन भी चल रहा है। गुरूवार से चल रही जांच प्रक्रिया आज भी चली जिसमें शिकायत कर्ता संजय यादव ने भी अपना पक्ष रखा है। 



शिकायतकर्ता ने बताया कि विश्वविद्यालय बीते कुछ सालों में जितनी भी भर्तियां निकाल रहा है, उनमें से किसी में भी दिव्यांगों के लिए आरक्षित पदों को स्पष्ट तौर पर नहीं दर्शाया जाता। जिस कारण उस व्यवस्था का लाभ हितग्राही को नहीं मिल पा रहा है। माना जा रहा है कि रानी दुर्गावती विश्वविद्यालय के प्रबंधन को बरकतउल्ला विश्वविद्यालय भोपाल की तरह टीचर्स भर्ती के लिए संशोधित विज्ञापन जारी करना होगा। जिसमें उन्हें दिव्यांगजनों और महिलाओं के लिए आरक्षित पदों को दर्शाना पड़ेगा। 




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  • बता दें कि आरडीयू प्रबंधन ने 19 अगस्त 2021 को बैकलॉग शिक्षकों के 70 पदों के लिए भर्ती के लिए सूचना जारी की थी। विश्वविद्यालय ने भर्ती के लिए 2019 में निर्धारित रोस्टर को आधार मानते हुए पदों को विज्ञापित किया था। जिसके तहत एससी-एसटी, ओबीसी वर्ग के लिए निर्धारित आरक्षण के साथ ही कौन सा पद किस श्रेणी के लिए आरक्षित किया गया है उसको भी विषयवार उल्लेखित किया लेकिन शासन द्वारा निर्धारित दिव्यांगों के 6 फीसद और महिला के लिए 33 फीसद आरक्षण को लेकर केवल यह कहा गया कि नियमों के मुताबिक आरक्षण का लाभ दिया जाएगा। जबकि नियमानुसार दिव्यांगजनों और महिलाओं के लिए आरक्षित पदों की तस्वीर भी विज्ञापन में स्पष्ट की जा नी चाहिए थी। 



    हाईकोर्ट भी तलब कर चुका है जवाब



    रानी दुर्गावती विश्वविद्यालय में चल रही भर्तियों में महिला और दिव्यांगजन आरक्षण के तहत पदों को दर्शाए नहीं जाने के मामले में एक याचिका एमपी हाईकोर्ट में भी दाखिल हुई है। याचिका की सुनवाई करते हुए हाईकोर्ट की मुख्य पीठ ने विश्वविद्यालय कुलपति, कुलसचिव और उच्च शिक्षा विभाग को नोटिस जारी करते हुए जवाब मांगा है। 


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