Damoh. दुनिया में दानवीर कर्ण को ही सबसे बड़ा दानवीर कहा जाता है, लेकिन जन्मभूमि के प्रति अपना समर्पण रखने वाले एक दानवीर दमोह में भी हैं। जिन्होंने अपनी करोड़ों की संपत्ति दान करने के साथ अपना शरीर भी दान कर दिया ताकि छात्र मेडिकल की पढ़ाई कर सकें। यह बुजुर्ग आज पूरे क्षेत्र के लोगों के लिए प्रेरणास्त्रोत हैं। हम बात कर रहे हैं तेंदूखेड़ा ब्लॉक के रिटायर्ट बीएमओ डा. जेपी खरे की जिनकी आयु 83 वर्ष हो गई है और वह तेंदूखेड़ा से सात किलोमीटर दूर धनगोर गांव के रहने वाले है।
गांव में प्रारंभिक शिक्षा हासिल करने के बाद तेंदूखेड़ा से शिक्षा हासिल की उसके बाद वह डॉक्टर बने। शासकीय सेवा के दौरान उन्होंने कई जिलों में सेवाएं दी और रियायरमेंट के समय उनका स्थानांतरण हो गया, लेकिन वे ज्वाइन करने नहीं गए और शासकीय नौकरी से इस्तीफा देकर वीआरएस ले लिया। अपने क्षेत्र के लोगों की चिंता थी इसलिए तेंदूखेड़ा में लोक स्वास्थ्य केंद्र का संचालन शुरू कर दिया।
जहां कई सालों तक उन्होंने मरीजों का इलाज दस रुपये में किया, लेकिन धीरे-धीरे जैसे समय बीता तो उन्होंने फीस पचास रुपये कर दी। यह फीस भी इसलिए ली जाती है ताकि वह कर्मचारियों का वेतन दे सकें। इतना हीं नहीं जबलपुर और नागपुर के विशेषज्ञ डाक्टरों को भी श्री खरे तेंदूखेड़ा बुलाते हैं ताकि क्षेत्र के लोग अपना इलाज यहीं करा सकें और उन्हे भटकना न पड़े। यदि डाक्टर जेपी खरे किसी बड़े जिले में अपनी अस्पताल का संचालन करते तो मरीजों को देखने की फीस ही उनके लिए काफी रहती, लेकिन अपने क्षेत्र के लोगों की सेवा करने का विचार किया और यही बस गए। कई वर्षों से डॉक्टर खरे नगर और क्षेत्र के सैकड़ों परिवारों का निशुल्क इलाज करते आ रहे हैं। आज भी उनकी अस्पताल में प्रतिदिन आने वाले मरीजों में पचास प्रतिशत मरीजों को निशुल्क उपचार होता है। गरीब और बेसहारा लोगों से पचास रुपये भी नहीं लिए जाते।
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पेंशन भी कर देते हैं दान
डॉक्टर खरे ने शासकीय सेवाओं से कंपलसरी रिटायरमेंट लिया था इसलिए उनको पेंशन मिलती है, लेकिन वह अपनी सारी पेंशन को वर्षों से गायत्री शक्तिपीठ गौशाला में देते आ रहे हैं जिससे वहां के मवेशियों का भरण पोषण होता है और सेवा में लगे कर्मचारियों की वेतन बनती है। डाक्टर खरे ने अपना जीवन समाज सेवा के रूप में दिया है और पांच वर्ष पूर्व देहदान भी कर दिया है। साथ ही जिस अस्पताल में वह बैठकर वर्तमान समय में मरीजों का उपचार कर रहे हैं उससे भी मालिकाना हक छोड़ने की प्रक्रिया उन्होंने शुरू कर दी है।
डॉ जेपी खरे ने बताया कि 2017 में उन्होंने अपनी देह दान करने की प्रक्रिया जबलपुर मेडिकल कॉलेज में पूरी कर दी है और अब वह तेंदूखेड़ा के लोक स्वास्थ्य केंद्र के नाम से संचालित अस्पताल जो पांच बैड के लिए पंजीकृत है उसके मालिकाना हक को भी छोड़ेगे। इसके लिये डॉक्टर खरे ने प्रकिया शुरू कर दी है और एक ट्रस्ट बना रहे हैं। ट्रस्ट बनते ही अस्पताल ट्रस्ट को दे दी जाएगी और डॉक्टर खरे अपना मालिकाना हक खत्म कर देंगे। डाक्टर जेपी खरे का कहना है की उनकी कुछ जमीन है और भोपाल में दो बेटे भी बड़े पदों पर हैं उन्होंने परिवार की सहमति से अपनी पूरी संपत्ति, जमीन जायदाद एक ट्रस्ट के नाम कर दी है तेंदूखेड़ा में ही ट्रस्ट बन रहा है।
महानगरों से आते हैं डॉक्टर
डॉक्टर खरे ने बताया की तेंदूखेड़ा के गरीब लोग जबलपुर इलाज कराने के लिए जाते हैं जहां हजारों रुपए फीस और दवाओं पर खर्च होते हैं । उसे देखते हुए उन्होंने विशेषज्ञों को तेंदूखेड़ा में बुलवाना शुरू किया जो महज 100 रुपए फीस में मरीजों का इलाज करते हैं । सप्ताह में दो दिन आंख और हार्ट के विशेषज्ञ आते हैं। धंगोर में उनकी पुश्तैनी जमीन पर गो सेवा केंद्र खोला है इसमें करीब 1500 मवेशी और 10 कर्मचारी हैं। अपनी 40 हजार रूपए मासिक पेंशन से इन कर्मचारियों को वेतन दिया जाता है।
विधायक ने किया सम्मान
जबेरा विधायक धर्मेंद्र सिंह लोधी ने पूर्व मंत्री दशरथ सिंह और पूर्व सांसद चंद्रभान सिंह की मौजूदगी में डाक्टर खरे का बुधवार को सम्मान किया। विधायक ने कहा आज के समय में कोई व्यक्ति एक रुपए भी नही छोड़ता और हमारे क्षेत्र के रिटायर्ड बीएमओ ने अपनी करोड़ों की संपति के साथ अपना शरीर ही दान कर दिया वाकई आपसे बड़ा दानी कोई नही हो सकता। आपसे ही हमारे क्षेत्र की पहचान है।