खाद पर बवाल: केंद्रीय कृषि मंत्री के क्षेत्र में खाद खत्म, नाराज किसानों का प्रदर्शन

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खाद पर बवाल: केंद्रीय कृषि मंत्री के क्षेत्र में खाद खत्म, नाराज किसानों का प्रदर्शन

मुरैना. प्रदेश के ग्वालियर-चंबल संभाग (Gwalior-chambal) में खाद की भारी कमी है। सोसाइटियों के बाहर किसानों की लंबी-लंबी लाइने लगी हुई है। किसान (Farmer) 12 अक्टूबर को सुबह चार बजे से ही सोसाइटी (Society) के बाहर लाइन में लग गए थे। SDM संजीव जैन ने कहा कि खाद (Fertilizer) नहीं है। दशहरा (Dussehra) के बाद से खाद मिलेगी। यह सुनकर किसान नाराज हो गए और उन्होंने SDM और वहां मौजूद अधिकारियों से नोकझोंक शुरू कर दी। इस दौरान किसानों ने सरकार के खिलाफ मुर्दाबाद के नारे लगाए। गौरतलब है कि केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर (Narendra Singh Tomar) भी इसी क्षेत्र से सांसद है।

किसानों ने लगाए मुर्दाबाद के नारे

किसान रात से खाद लेने के लिए सोसाइटी आ गए थे। सुबह SDM संजीव जैन ने किसानों से कहा कि जिन किसानों के पास आधार कार्ड के साथ किसान किताब होगी, उन्हीं को खाद मिलेगी। इसके ठीक 15 मिनट बाद उन्होंने घोषणा कर दी कि खाद नहीं है। दशहरा के बाद  मिलेगी। इससे किसानों के सब्र का बांध टूट गया तो उन्होंने सरकार के मुर्दाबाद के नारे लगाए। वहां मौजूद अधिकारियों ने उन्हें खदेड़ा लेकिन वह उन्हें कुछ हद तक ही खदेड़ सके। किसानों का कहना था कि सरकार उन्हें धोखे में क्यों रखे हैं। जब खाद नहीं है तो पहले से ही इंकार कर देना चाहिए।

फसलें खराब होने की कगार पर

जिले में किसानों के बीच डीएपी खाद की मांग उपलब्धता से ज्यादा है, जिसकी वजह से डीएपी (DAP) की भारी सार्टेज है, किसानों को पर्ची कटाने के हफ्ते भर बाद भी डीएपी नही मिल पा रही है, जिसकी वजह से किसान की खेती में खड़ी फसलें बर्बाद होने की कगार पर हैं। इसके साथ ही सरसों की बोहनी शुरू हो चुकी है। अगर शुरूआती स्टेज पर फसलों को खाद नहीं मिली थी तो किसानों की सारी मेहनत पर पानी फिर जाएगा। इसलिए खाद लेने के लिए किसान हर संभव प्रयास कर रहे हैं।

मांग की तुलना में 40 फीसदी खाद

जिला प्रशासन व कृषि विभाग ने सरकार को मुरैना के लिए 24500 टन डीएपी खाद की मांग भेजी गई थी। इसमें से अब तक मात्र नौ हजार 38 टन खाद ही मिली है। जिले के लिए यूरिया की मांग 54000 मीट्रिक टन भेजी है, जिसमें से केवल नौ हजार 865 टन यूरिया खाद ही मुरैना को मिली है। इस तरह प्रशासन की मांग की तुलना में केवल 40 फीसदी खाद ही मुरैना को मुहैया कराया गया है। 

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