Shahdol. शहडोल की पंडित शंभूनाथ शुक्ल यूनिवर्सिटी में असिस्टेंट प्रोफेसर और गैर शैक्षणिक कर्मचारियों की नियुक्ति में बीजेपी नेताओं के परिजनों और रिश्तेदारों को तवज्जो देने के आरोप लगे हैं और ये आरोप लगाए हैं अस्थाई प्राध्यापक संघर्ष मोर्चा ने जो इन नियुक्तियों को नियम के खिलाफ बताकर आंदोलन भी कर रहे हैं। आरोप ये भी हैं कि नियुक्तियों में गोलमाल के इस खेल में मध्यप्रदेश विधानसभा अध्यक्ष गिरीश गौतम की बेटी रजनी गौतम को भी उपकृत किया गया है। हालांकि विस अध्यक्ष गिरीश गौतम का कहना है कि जो लोग आरोप लगा रहे हैं उन्हें इंसाफ के लिए कोर्ट का दरवाजा खटखटाना चाहिए।
नियुक्तियों में जो घोटाले के आरोप लगे हैं उसे लेकर द सूत्र ने उच्च शिक्षा मंत्री मोहन यादव से बात की तो उन्होंने पल्ला झाड़ लिया और साफ तौर पर नजर आया कि वो घोटाले को लेकर जवाब नहीं देना चाहते और पूरे मामले से बचते नजर आए। इन आरोपों को लेकर विधानसभा अध्यक्ष गिरीश गौतम का कहना है कि जो भी नियुक्तियां हुई हैं वो विधिसम्मत हुई हैं और जो लोग आरोप लगा रहे हैं उन्हें कोई आपत्ति है तो वो कोर्ट की शरण में जा सकते हैं। विधानसभा अध्यक्ष ने ये भी कहा कि क्या कोई ऐसा नियम है कि किसी नेता का बेटा या बेटी इंटरव्यू नहीं दे सकती।
वहीं, जिस तरीके से उच्च शिक्षा मंत्री का कैमरे के सामने रवैया नजर आया, उसे देखकर एक कहावत याद आती है चोर की दाढ़ी में तिनका और इसीलिए कांग्रेस इस पूरे मामले को विधानसभा में उठाने की तैयारी कर रही है। पूर्व वित्त तरुण भनोट ने कहा कि ये मामला बेहद गंभीर है और ऐसा सिर्फ शहडोल में नहीं बल्कि पूरे प्रदेश में हो रहा है।
68 पदों पर नियुक्ति के लिए विज्ञापन निकाला गया था
शहडोल यूनिवर्सिटी में नियुक्तियों की गई मनमानी के खिलाफ आंदोलन कर रहे अस्थाई प्राध्यापक संघर्ष मोर्चा का आरोप है कि असिस्टेंट प्रोफेसर के अलग-अलग विषयों में 68 पदों पर नियुक्ति के लिए विज्ञापन निकाला गया था लेकिन भर्ती सिर्फ 24 पदों के लिए ही की गई। विश्वविद्यालय प्रशासन ने नियुक्ति प्रक्रिया में आरक्षण रोस्टर एवं स्क्रीनिंग प्रक्रिया का पालन ही नहीं किया। भर्ती प्रक्रिया में नियमानुसार एक पद के विरुद्ध 10 से 12 प्रतिभागी ही बुलाने चाहिए थे लेकिन विश्वविद्यालय प्रशासन ने मनमानी करते हुए एक पद के विरुद्ध 25 से 30 आवेदकों को इंटरव्यू के लिए बुलाया।
आनन-फानन में जॉइनिंग कराई गई
ऐसा इसलिए किया गया ताकि जिन चहेते प्रतिभागियों को चुनना था वे मेरिट में 20 से 30 वें नंबर पर थे। चुने गए आवेदकों की मेरिट लिस्ट यूनिवर्सिटी की वेबसाइट पर जारी नहीं की गई। ऐसा इसलिए किया गया ताकि नियुक्ति प्रक्रिया में वाइस चांसलर डॉ.रामशंकर दुबे और रजिस्ट्रार आशीष तिवारी के काले कारनामे सामने न आ पाएं। इसके लिए चहेते आवेदकों को कम अंकों के बाद भी गुपचुप तरीके से व्यक्तिगत रूप से ईमेल के माध्यम से 08 नवंबर 2022 को नियुक्ति पत्र भेजे गए। जिन आवेदकों को नियुक्ति दी जानी थी वे पहले से ही शहडोल के एक निजी होटल में आकर रुके हुए थे। इन सभी को दूसरे दिन यानी 09 नवंबर को आनन-फानन में सुबह 10.30 बजे यूनिवर्सिटी मे जॉइनिंग करा दी गई।
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विधानसभा अध्यक्ष की बेटी को भी मिली नियुक्ति
संघर्ष मोर्चा के पदाधिकारियों का आरोप है कि यूनिवर्सिटी प्रशासन ने जिन खास आवेदकों को असिस्टेंट प्रोफेसर के पद पर जॉइन कराया है उनमें विधानसभा अध्यक्ष गिरीश गौतम की बेटी रजनी गौतम का नाम भी शामिल है। उन्हें कॉमर्स सब्जेक्ट के असिस्टेंट प्रोफेसर के पद पर नियुक्त किया गया है। जानकारों ने बताया कि उन्हें चयन सूची की मेरिट में कम अंक के बाद भी चुना गया है। जबकि कॉमर्स सब्जेक्ट की मेरिट में एक अन्य उम्मीदवार डॉ.राजू रैदास को 100 में से 92 अंक होने के बाद भी नहीं चुना गया।
विधानसभा अध्यक्ष बोले- जिसे भी आपत्ति है वो हाई कोर्ट जाए
इस बारे में विधानसभा अध्यक्ष गिरीश गौतम से सवाल करने पर उन्होंने कहा कि यदि कोई 20 साल से कॉलेज में पढ़ा रहा है तो क्या उसे यूनिवर्सिटी में इंटरव्यू देने का अधिकार नहीं है। क्या ऐसा कोई नियम है कि किसी नेता का बेटा या बेटी कोई परीक्षा या इंटरव्यू देने का अधिकार नहीं है। जहां तक चयन प्रक्रिया का सवाल है तो परीक्षा और इंटरव्यू के बाद ही मेरिट के अनुसार आवेदकों को चुना गया है। वहां आवेदकों के इंटरव्यू के लिए दूसरी यूनिवर्सिटी से एक्सपर्ट बुलाए गए थे। आरोप तो कोई भी लगा सकता है, हमें उसकी चिंता नहीं है। जिसे भी आपत्ति है वो हाई कोर्ट जाए। यदि कुछ गलत हुआ है तो कोर्ट फैसला करेगी।
यूनिवर्सिटी में ये 24 बने असिस्टेंट प्रोफेसर
यूनिवर्सिटी में जिन 24 असिस्टेंट प्रोफेसर की भर्ती हुई है उनमें डॉ शरद कुमार बर्वे, रुचि सिंह- गणित, डॉ. नीलेश शर्मा, डॉ. सुषमा नेताम- इतिहास, डॉ. पूर्णिमा शर्मा- राजनीति शास्त्र, डॉ. वंदना राम मत्स्य विज्ञान, सौरभ शिवा, डॉ. मनीष सिंह नेगी- भूगोल, प्रज्ञा यादव, डॉ. रजनी गौतम- वाणिज्य, डॉ.बृजेंद्र कुमार पांडे, डॉ धनीराम जामोद- संस्कृत, डॉ. सिद्धार्थ मिश्र, जितेंद्र सेन- समाज शास्त्र, डॉ. मौसमीकर-इलेक्ट्रॉनिक्स, मनीषा शुक्ला, योगिता बसेने- बायोटेक्नोलॉजी, डॉ.ज्योति सिंह, शुभम यादव-अंग्रेजी, अंजनी सूर्यवंशी-अर्थशास्त्र, अजय सोनवानी, हेमंत पाठक- वनस्पति शास्त्र, रचना मिश्रा, डॉ.मनीष ताराम-कंप्यूटर साइंस शामिल हैं।
द सूत्र के सवाल, रजिस्टार के जवाब
असिस्टेंट प्रोफेसर के पद पर नियुक्तियों में भ्रष्टाचार और अनियमितता के आरोपों पर द सूत्र में यूनिवर्सिटी के रजिस्ट्रार आशीष तिवारी से चर्चा की। उन्होंने सभी आरोपों को निराधार बताते हुए कहा कि सभी नियुक्तियां योग्यता के आधार पर ही की गईं हैं।
सवाल : मैरिट में कम नंबर वाले आवेदक सिलेक्ट किए गए ?
जवाब : ऐसे आरोप पूरी तरह से निराधार हैं। नियमानुसार सलेक्शन कमेटी होती है, पैनल होता है, जिसमें बाहर के एक्सपर्ट भी होते हैं। सभी बाहर के थे तो ऐसा कुछ हुआ ही नहीं कि हमारे यहां से कोई पक्षपात हुआ हो।
सवाल - चयनित आवेदकों की मेरिट लिस्ट जारी क्यों नहीं हुई ?
जवाब- कोई जवाब नहीं।
सवाल- सामान्यत: हर स्टेप पर मेरिट लिस्ट वेबसाइट पर सार्वजनिक की जाती है लेकिन ऐसा क्यों नहीं हुआ?
जवाब : जिन-जिन आवेदकों का सलेक्शन हुआ था, उनका नाम न्यूजपेपर में भेजा जा चुका है। इसके अलावा संबंधित कैंडिडेट को उसके ईमेल पर सूचना भी दी जा चुकी है।
सवाल : कंप्यूटर साइंस के इंटरव्यू के लिए जबलपुर से मैथ्स सब्जेक्ट के एक्सपर्ट को बुलाया गया, क्या यह सही है?
जवाब : एक्सपर्ट का नाम तय करना कुलपति के अधिकार क्षेत्र में है। राजभवन से लिस्ट जाती है, एक जो नॉमिनी रहते हैं वह गवर्नर के क्षेत्राधिकार के रहते हैं।
सवाल : आरोप है कि मेरिट में नंबर कम होने के बाद भी विधानसभा अध्यक्ष की बेटी रजनी गौतम का चयन हुआ?
जवाब : पूरे सलेक्शन योग्यता के आधार पर ही हुए हैं।