ग्वालियर का स्वास्थ्य महकमा घोटालों (Scams) से घिरा हुआ है। द सूत्र ने इन दावों की पड़ताल की तो चौंकाने वाले तथ्य सामने आए हैं। यहां गड़बड़ियों का जाल इस तरह फैला हुआ है कि फर्जी नियुक्तियों का आरोपी प्रमोशन का फायदा ले रहा है। CMHO के दफ्तर में अपने चहेतों को फायदा दिलाने के लिए एक ही बिल पर दो-दो बार भुगतान किया जा रहा है। सांठगांठ का आलम यह है कि कोर्ट में आरोपी के खिलाफ चालान भी पेश किया जा चुका है। लेकिन फिर भी दफ्तर में काम रहा है। ग्वालियर के स्वास्थ्य विभाग (Gwalior Health department) को कैसे इन कर्मचारियों ने दीमक लगाया है। द सूत्र की इन तीन रिपोर्ट से जानिए।
पहला मामला: चालान पेश होने के बाद भी कार्रवाई नहीं
सहायक वर्ग-3 के अधिकारी अजय सक्सेना पर धारा 420 और अन्य धाराओं में मुकदमा कायम हुआ था। 2019 में आरोपी के खिलाफ कोर्ट में चालान भी पेश किया गया था। लेकिन इसके बाद भी अधिकारी पर कोई कार्रवाई नहीं हुई। आरोपी के खिलाफ जांच को बरगलाने के लिए विभाग के रीजनल ज्वाइंट डायरेक्टर एक के दीक्षित के हस्ताक्षर से एक पत्र जारी किया गया था। इसमें एक फरियादी का नाम प्रशांत राजोरिया से बदलकर प्रशांत भदौरिया लिखा गया था। जेडी साहब ने दोषी को बचाने के लिए उक्त चालान की कॉपी को छुपाकर रखा लिया। इस मामले पर सिविल सर्जन डीके शर्मा ने बताया कि जेडी साहब अगर इस चालान की कॉपी को हमें भेजते तो कार्रवाई करने में आसानी होती।
दूसरा मामला: नियम विरुद्ध नियुक्तियों के आरोपी को प्रमोशन
वर्तमान में स्वास्थ्य विभाग के रीजनल ज्वाइंट डायरेक्टर एके दीक्षित के खिलाफ साल 2015 में न्यायालय ने कार्रवाई के आदेश दिए थे। एके दीक्षित ने बैतूल (Betul) में सीएमएचओ पद पर रहते हुए करीब 50 लोगों की नियम विरुद्ध नियुक्तियां (Appointments) की थी। जब यह पूरा मामला न्यायालय में पहुंचा तो अदालत (Court) ने आरोपी के खिलाफ कार्रवाई के आदेश जारी किए थे। लेकिन एके दीक्षित के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की गई। इसके साथ ही दीक्षित को प्रमोशन देकर ग्वालियर का रीजनल ज्वाइंट डायरेक्टर बना दिया गया।
तीसरा मामला: एक बिल पर दो बार भुगतान
तीसरा मामला जिला स्वास्थ्य अधिकारी यानी CMHO ग्वालियर के एकाउंट डिपार्टमेंट का है। जिसमें अपने चहेतों को लाभ देने के लिए एक ही बिल पर दो बार भुगतान किए गए। इस पूरे मामले में सीएमएचओ साहब की चहेती कर्मचारियों में शामिल रीना अवस्थी का नाम सामने आया। ऑडिट में मामला पकड़े जाने पर विभाग ने भुगतान वापस लिए जाने का ड्रामा रच दिया।