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BHOPAL. डॉ. होमी जहांगीर भाभा भारत में परमाणु प्रोग्राम के जनक थे। 24 जनवरी, 1966 को मुंबई से न्यूयॉर्क जा रहे विमान के हादसे में उनकी मौत हो गई थी। वैसे तो उनकी मौत का कारण विमान में हुआ हादसा माना जा रहा था, लेकिन साल 2008 में छपी एक किताब में इस क्रैश को अमेरिका की खुफिया एजेंसी सीआईए की साजिश बताया गया। हालांकि, यह कभी साबित नहीं हो पाया। लेकिन इन आरोपों के बाद से होमी भाभा की मौत का रहस्य और ज्यादा गहरा गया था। दरअसल, मौत से तीन महीने पहले ही होमी भाभा ने कहा था कि भारत 18 महीनों के अंदर परमाणु बम बना सकता है।
हादसे में 117 लोगों की हुई थी मौत
होमी भाभा एयर इंडिया की फ्लाइट 101 में सवार होकर मुंबई से न्यूयॉर्क जा रहे थे। यात्रा के दौरान फ्लाइट यूरोप की सबसे ऊंची मोंट ब्लांक पहाड़ी से टकराकर क्रैश हो गई। क्रैश में सभी 117 लोगों की मौत हो गई, जिनमें होमी भाभा भी शामिल थे। घटना के बाद प्लेन क्रैश की वजह विमान के पायलटों और जिनेवा एयरपोर्ट के बीच मिसकम्युनिकेशन बताई गई थी।
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क्या अमेरिका नहीं चाहता था कि भारत के पास परमाणु शक्ति आ जाए
होमी भाभा की मौत के पीछे अमेरिका की खुफिया एजेंसी सीआईए का हाथ होने पर पहले भी चर्चा होती रही है। यहां तक कहा गया कि सीआईए ने भाभा की मौत की साजिश इसलिए रची, क्योंकि अमेरिका नहीं चाहता था कि भारत के पास परमाणु शक्ति आ जाए।
होमी ने पीएम जवाहर लाल नेहरू से कहा था- सिर्फ साइंस ही प्रगति का रास्ता है
भारत में परमाणु जनक के नाम से मशहूर होमी भाभा एक जाने-माने न्यूक्लियर फिजिसिस्ट थे। उन्होंने कैम्ब्रिज से पढ़ाई की थी, जहां उन्हें अपने काम को लेकर अंतराष्ट्रीय स्तर पर भी पहचान मिली थी। भाभा ने उस कैवेंडिश लाइब्रेरी में भी काम किया है, जहां कई बड़ी खोज की जा चुकी है। जब वर्ल्ड वॉर 2 चल रहा था तो होमी जहांगीर भाभा भारत आए हुए थे। भारत से उन्हें इतना लगाव हुआ कि यहीं रहने का मन बना लिया। भारत में होमी भाभा ने इंडियन इंस्टिट्यूट ऑफ साइंस में सीवी रमन की लैब में काम करना शुरू किया, जिसके बाद वे मुंबई में टाटा इंस्टिट्यूट ऑफ फंडामेंटल रिसर्च के फाउंडर और डायरेक्टर बने। भाभा का मानना था कि अगर भारत को वैश्विक शक्ति के रूप में आगे बढ़ना है तो अपनी परमाणु क्षमताओं को विकसित करना होगा और साथ ही एक एटम बम भी विकसित करना होगा। होमी भाभा ने अपने करीबी दोस्त और भारत के पूर्व प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू से कहा था कि सिर्फ साइंस ही प्रगति का रास्ता है।