BHOPAL. संविदा शाला शिक्षक वर्ग-तीन के 755 पदों में से 450 पदों पर अकेले मुरैना जिले में दिव्यांगजनों की नियुक्ति से भर्ती प्रक्रिया पर संदेह पैदा हो गया है। मामला सामने आने के बाद आयुक्त निशक्तजन कल्याण संदीप रजक ने आयुक्त लोक शिक्षण और आयुक्त जनजातीय कार्य को पत्र लिखकर 15 दिन में इस संबंध में पूरी जानकारी मांगी है। पूरे प्रदेश में मुरैना जिले से इतनी अधिक संख्या में दिव्यांगों के चयन से इनके विकलांगता प्रमाण पत्र की प्रमाणिकता पर सवाल खड़े हो रहे हैं।
सजा का है प्रावधान
आयुक्त संदीप रजक ने कहा कि दिव्यांगजन अधिनियम-2016 के अनुसार कोई दिव्यांगजन के लिए मिलने वाले लाभ कपटपूर्वक लेता है या लेने का प्रयास करता है, तो वह दंडनीय है। ऐसे मामले में दो वर्ष तक का कारावास या एक लाख रुपए तक का जुर्माना या दोनों से दंडित किया जा सकता है।
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4 कैटेगरी में हुई भर्तियां संदेह के घेरे में
जनजाति व शिक्षा विभाग में संविदा शिक्षक वर्ग-3 में दिव्यांगों की चार कैटेगरी में 755 पदों पर अभ्यर्थियों का चयन हुआ है। इनमें अस्थि बाधित (एलएच), दृष्टि बाधित (वीएच), श्रवण बाधित (एचएच) व बहु विकलांग (एमडी) कैटेगरी शामिल हैं। हर कैटेगरी में 170 से 200 पद रिजर्व हैं। इन्हीं चारों कैटेगरी में मुरैना व ग्वालियर (हजीरा) से जारी विकलांगता प्रमाण-पत्र के आधार पर मुरैना के दिव्यांग अभ्यर्थियों को प्रदेश के अलग-अलग जिलों में ज्वाइनिंग मिली है।
थोक में बनवाए गए हैं प्रमाण-पत्र
उल्लेखनीय है कि 18 हजार से अधिक पदों पर चयन की सूची जारी की गई है। इसके लिए मुरैना और ग्वालियर के हजीरा अस्पताल से अस्थि, दृष्टि और श्रवण बाधित के प्रमाण-पत्र थोक में बनवाए गए हैं। प्रमाण पत्र सही हैं या गलत, इसकी जांच करा रहे हैं, जिसकी रिपोर्ट बनाकर कलेक्टर को सौंपी जाएगी।