इंदौर में शशि थरूर ने बताया जिंदगी का फलसफा- मैं आज जो भी बना सिर्फ इसलिए क्योंकि जीवन के हर दिन, हर मिनट का इस्तेमाल किया

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Pratibha Rana
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इंदौर में शशि थरूर ने बताया जिंदगी का फलसफा- मैं आज जो भी बना सिर्फ इसलिए क्योंकि जीवन के हर दिन, हर मिनट का इस्तेमाल किया

संजय गुप्ता, INDORE. इंदौर में कांग्रेस नेता शशि थरूर ने अपनी जिंदगी का फलसफा बताया। उन्होंने कहा कि मैं आज जो भी बना हूं, यहां तक आया हूं, वह सिर्फ इसलिए क्योंकि जीवन के हर दिन, हर मिनट का उपयोग किया है। इंसान की जिंदगी, कमियों और मुश्किलों से भरी हुई है, जिसके पास कोई मलाल नहीं, समझो उसने जिंदगी को जिया है। इसलिए मुझे अब तक की जिंदगी का कोई मलाल नहीं है, जो जिया, जितना जिया, सब कुछ शानदार रहा। यह बातें उन्होंने मंगलवार (4 अप्रैल) को अपने इंदौर दौरे के दौरान अधिवक्ता अजय बागडिया के साथ एक टॉक शो में कही। उन्होंने यह भी कहा कि हर व्यक्ति के जीवन में चुनौतियां होती है और इसी से वह निखर कर सामने आता है। मेरे जीवन में भी चुनौतियां रही है। वह शाम को फिक्की के आयोजन में एक निजी होटल में शामिल हुए, यहां महिला एंत्रोप्रेन्योर, उद्योगपतियों ने उनके साथ जमकर सेल्फी ली और कई मिनट तक वह बिना परेशानी के सेल्फी खिंचवाते रहे।



शशि थरूर का इस तरह रहा टॉक शो



-एलोन मस्क द्वारा ट्विटर खरीदने के बाद कैसा हो गया है



थरूर- अब तो यह वर्स्ट हो गया है, पहले बेहतर था



- आप सपनों में क्या बनना चाहते हैं



थरूर- मैं हमेश शरलॉक होम्स बनना चाहता हूं, जासूसी का मजा अलग है



- क्या आपके बारे में दुनिया नहीं जानती है



थरूर- मैं ट्रेडमिल करते हुए भी फोन पर क्रिकेट स्कोर देखता हूं 



- आप अंग्रेजी इतनी क्यों बोलते हैं



थरूर- मलयालम मेरी मातृभाषा है, लेकिन उसे बोलूंगा तो कोई समझेगा नहीं, अंग्रेजी पूरी दुनिया और भारत में सुनी, समझी जाती है, इसलिए ग्लोबल स्तर पर अपनी बात पहुंचाने के लिए यह बोलता हूं।



लोग कहते हैं कि आप सिद्दांतवादी राजनेता नहीं है



थरूर- राजनीतिज्ञ और सिद्धांत में रिश्ता वैसा ही है जैसे शादीशुदा इंसान और खुशी के बीच का। दोनों का कभी तालमेल हुआ है क्या? दोनों ही अलग-अलग बाते हैं।



आप इतने शानदार वक्ता कैसे हैं?



थरूर- मैं मुंबई से केरल शिफ्ट हुआ तो वहां मलयालम सीखी, पहले ना टीवी थी ना कम्प्यूटर तो पढ़ने का बहुत शौक था, यह किताब पढ़ना कभी नहीं छूटा। इससे भाषा ज्ञान वृहद हुआ। मुझे कहानियां कहने का भी शौक रहा तो वक्ता भी बन गया। 



अंग्रेजी इतनी बेहतर कैसी है, कि खुद अंग्रेज चौंक जाते हैं?



थरूर- मैं बचपन से ही शब्दकोष से खेलता रहा हूं, भाषा मेरा टूल है और बोलना मेरा आनंद, एक बार मैंने फारगो शब्द कहा तो गूगल पर दस लाख ज्यादा लोगों ने उसे ढूंढा। 



प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष बबेले की किताब का भी विमोचन



इसी कार्यक्रम में पीसीसी चीफ कमलनाथ के मीडिया सलाहकार पियूष बबेल की किताब ‘गांधी: सियासत और सांप्रदायिकता’ का कमलनाथ और थरूर ने विमोचन किया। लेखक पीयूष बबेले पत्रकार रह चुके हैं और वर्तमान में कांग्रेस से संबद्ध हैं। उन्होंने बताया कि यह किताबमहात्मा गांधी के बारे में हैं। किताब गांधीजी के जिए, किए और कहे के आधार पर धर्म के बारे में उनके विचार और सांप्रदायिकता से उनके संघर्ष की तथ्यात्मक कथा सुनाती है। लेखक का कहना है कि सांप्रदायिकता से उनका संघर्ष इसलिए और ज्यादा महत्वपूर्ण है, क्योंकि विदेशी साम्राज्यवाद को तो उन्होंने जीते जी पराजित कर दिया, लेकिन भारत के भीतर बैठी सांप्रदायिकता अंततः उनके प्राण लेकर ही मानी। उन्होंने कहा कि ये किताब इस विडंबना को उजागर करती है कि जो सांप्रदायिक शक्तियां हिंदू-मुस्लिम फसाद और भारत के विभाजन के लिए जिम्मेदार हैं, वह कैसे अपने पाप गांधीजी के सिर मढ़ने की कोशिश कर रही हैं। यह शक्तियां आज भी देश में प्रभावशाली हैं और उनसे मुकाबला किए जाने की जरूरत है।


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