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संजय गुप्ता, INDORE. शासकीय लॉ कॉलेज विवाद की जांच के लिए बनी कमेटी 7 सदस्यीय कमेटी ने अपनी रिपोर्ट मध्यप्रदेश शासन उच्च शिक्षा विभाग को दे दी है, जिसके बाद शासन ने हाथों-हाथ फैसला करते हुए प्रिंसिपल ईमानुर्रहमान और प्रोफेसर मिर्जा मोजिज को सस्पेंड कर दिया है। इसके साथ ही 3 अतिथि शिक्षकों को भी बाहर का रास्ता दिखा दिया गया है। इसमें प्रोफेसर अमीक खोखर, डॉ. फिरोज अहमद मीर और प्रोफेसर सुहैल अहमद वाणी शामिल हैं। कमेटी की रिपोर्ट में चौंकाने वाले खुलासे किए गए हैं। धारा-370 हटने के दिन लॉ कॉलेज में ब्लैक-डे मनाया गया था।
सामाजिक समरसता और माहौल बिगाड़ने का काम
जांच कमेटी में डॉ. मथुरा प्रसाद, डॉ. किरण सलूजा, डॉ. अनूप व्यास, डॉ. आरएस चौहान, डॉ. कूंभन खंडेलवाल, डॉ. आरसी दीक्षित और डॉ. संजय कुमार जैन शामिल थे। रिपोर्ट में है कि सामाजिक समरसता और माहौल बिगाड़ने का काम किया गया।
कमेटी की रिपोर्ट में चौंकाने वाले खुलासे
- कमेटी की रिपोर्ट में चौंकाने वाले खुलासे किए गए हैं। छात्रों और फैकल्टी के बयान और अन्य पड़ताल के बाद कमेटी ने पाया कि धारा-370 हटने के दिन 5 अगस्त को लेकर आरोपी अतिथि फैकल्टी ने ब्लैक-डे मनाने की बात कही। इस धारा को लेकर कई विवादित बातें कहीं गई।
प्रिंसिपल की नाक के नीचे सबकुछ चलता रहा
किताब को लेकर भी कमेटी ने पाया कि इसके कंटेट सामाजिक समरसता और सौहार्द माहौल बिगाड़ने वाला है। हालांकि कमेटी ने किताब खरीदी के समय साल 2014 के तत्कालीन कॉलेज प्रशासन को दोषी नहीं माना लेकिन वर्तमान प्रिंसिपल को लेकर जरूर ये पाया कि साल 2019 में भी किताब को लेकर विवाद उठा था। साल 2021 में किताब को लेकर लेखिका ने माफी भी मांगी लेकिन इसके बाद भी कॉलेज प्रशासन, प्रिंसिपल इस मामले को लेकर आंखे मूंदकर बैठा रहा और लाइब्रेरी से ना किताब हटाई और ना ही किसी तरह की कार्रवाई की। इसके लिए ये दोषी हैं।
पूरा विवाद इस तरह चला
2 दिसंबर - एबीवीपी और छात्रों ने कॉलेज में प्रदर्शन कर प्रोफेसर और प्रिंसिपल पर धार्मिक कट्टरता फैलाने के आरोप लगाए। विवादित किताब भी बताई, जिसमें हिंदू धर्म को लेकर आपत्तिजनक बातें थी। विवाद सामने आने के बाद प्रिंसिपल ईमानुर्रहमान ने 6 प्रोफेसर को 5 दिन के लिए शैक्षणिक काम से मुक्त कर जांच कराने की बात कही।
3 दिसंबर - विवाद बढ़ने पर अगले दिन प्रिंसिपल ने पद से इस्तीफा दे दिया। वहीं फरियादी छात्र लकी ने थाने में शिकायत कर दी। गृह मंत्री नरोत्तम मिश्रा ने भी जांच कर पुलिस को केस दर्ज करने के लिए कहा। इस पर प्रिंसिपल, प्रोफेसर, लेखिका और प्रकाशक पर केस दर्ज हो गया। जांच के लिए 4 सदस्यीय कमेटी भी बन गई।
द सूत्र ने कमेटी पर उठाए सवाल - द सूत्र ने जांच कमेटी पर सवाल उठाए क्योंकि इसमें डॉ. सुरेश सिलावट भी थे जिनकी पत्नी डॉ. सुधा सिलावट खुद इस कॉलेज में प्रिंसिपल रही हैं और उन्हीं के कार्यकाल में किताब खरीदी गई।
4 दिसंबर - इसके अगले दिन उच्च शिक्षा मंत्री मोहन यादव ने सिलावट को बाहर कर 7 सदस्यीय नई कमेटी गठित कर दी। उधर प्रिंसिपल ने केस दर्ज होने पर थाने पर पत्र भेजा कि इसमें मेरी गलती नहीं है किताब तो साल 2014 में खरीदी गई और मैंने 2019 में पद संभाला।
5 दिसंबर - नई कमेटी जांच के लिए इंदौर आ गई। पूछताछ शुरू हुई।
6 दिसंबर - उधर प्रकाशक गिरफ्तार हो गया तो लेखिका फरार हो गई, वहीं प्रिंसिपल और प्रोफेसर मिर्जा की अग्रिम जमानत याचिका कोर्ट ने खारिज कर दी। जांच कमेटी अभी बयान लेने का काम कर रही है।
7 दिसंबर - किताब की लेखिका पुणे में गिरफ्तार, स्वास्थ्य खराब होने के कारण जमानत दी गई और स्वस्थ होने पर पेश होने को कहा गया।
8 दिसंबर - जांच की पूरी रिपोर्ट शासन को सौंपी गई, इसके बाद प्रिंसिपल और प्रोफेसर को सस्पेंड किया गया।
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एबीवीपी ने की न्यायिक जांच की मांग
उधर इस मामले में एबीवीपी ने न्यायिक जांच की मांग की है। संगठन के मालवा प्रांत के प्रांत मंत्री धनंजय सिंह चौहान ने कहा कि न्यायिक जांच होने पर और भी कई खुलासे हो सकते हैं। साथ ही हमारी मांग बार काउंसिल और शासन से रहेगी कि पूरे मध्यप्रदेश में जहां भी ये किताब कॉलेज में हो उसे जब्त किया जाए। इस मामले में थाने में केस कराने वाले कॉलेज के एलएलएम के छात्र लकी ने भी कहा कि अभी और कठोर कार्रवाई होना चाहिए, इन्हें कहीं भी पढ़ाने की छूट नहीं मिलना चाहिए।