नवीन मोदी, GUNA. आत्माराम पादरी केस के फरार मुख्य आरोपी निलंबित एसआई रामवीर सिंह कुशवाह उर्फ दाऊ की अग्रिम जमानत याचिका आज स्पेशल कोर्ट ने सुनवाई के बाद खारिज कर दी। इस मामले में आत्माराम की पत्नी मरजीना ने आरोपी की जमानत पर लिखित अनापत्ति पेश की थी। जबकि वारदात की चश्मदीद गवाह सुलोचना और सरजुडी बाई ने लिखित आपत्ति पेश कर जमानत देने का विरोध किया था। कोर्ट ने सभी पक्षों को सुनने के बाद एट्रोसिटी एक्ट की धारा 18 का हवाला देते हुए जमानत याचिका खारिज कर दी। इस और सीआईडी की टीम कोर्ट में केस डायरी लेकर उपस्थित रही।
जमानत के लिए यह रखे ये तर्क
फरार आरोपी रामवीर की तरफ से उसके वकील ने अग्रिम जमानत आवेदन पेश कर तर्क रखे कि आरोपी को अपराध में झूठा फंसाया गया है, वह उपनिरीक्षक के पद पर कार्यरत है, उसका कार्यकाल बेदाग रहा है। उसने फरियादी सुलोचना के विरूद्ध रिपोर्ट दर्ज की थी, इसलिए झूठी कहानी बनाई है। यह तर्क भी दिया कि आरोपी ने जांच में सहयोग किया है और नोटिस जारी होने पर दो बार सीआईडी के सामने पेश हुआ है।
इन आधारों पर कोर्ट में लगाई आपत्ति
सीआईडी की तरफ से पेश विशेष लोक अभियोजक परवेज अहमद खान द्वारा अग्रिम जमानत आवेदन का विरोध किया गया। साथ ही चश्मदीद गवाहों सुलोचना और सरजूडी बाई ने जमानत का यह कहकर विरोध किया कि आत्माराम की पत्नी मरजीना आरोपियों को बचाने उनसे मिल चुकी है, वह घटना की चश्मदीद भी नहीं है। आरोपी रामवीर सिंह शातिर अपराधी है, उस पर जिले के थाना धरनावदा व सिटी कोतवाली में चार अपराध दर्ज हैं। वह राजनीतिक लोगों से संबंधों और पैसे के बल पर अधिकारियों को प्रभावित करता है। उसने सीआईडी को भी गुमराह किया है, और लाई डिटेक्टर टेस्ट नार्को टेस्ट नहीं कराया है। आरोपियों ने आत्माराम की हत्या कर उसके शव और कई सबूतों को खत्म कर दिया है, ताकि सजा से बच सके। आरोपी फरार है, उसे गिरफ्तार कर टेस्ट नार्को टेस्ट कराए बिना आत्माराम के शव के अवशेषों का पता नहीं चलेगा। यदि आरोपी को अग्रिम जमानत दे दी गई तो समाज में अच्छा संदेश नहीं जाएगा वह साक्ष्य को प्रभावित करेगा।
कोर्ट ने खारिज किया अग्रिम जमानत का आवेदन
स्पेशल जज रविंद्र कुमार भद्रसेन ने केस डायरी देखकर फरियादी अप्पीबाई की बहू मरजीना पत्नि आत्माराम पारदी द्वारा उसके पति आत्माराम के पता न चलने के संबंध में कलेक्टर गुना को दिनांक 12 अप्रैल 2016 को आवेदन दिया गया था, जिसे पुलिस अधीक्षक गुना ने 6 मार्च 2017 को एसडीओपी राघौगढ़ को जांच के लिए सौंपा था। जांच रिपोर्ट के आधार पर अज्ञात व्यक्तियों के विरुद्ध धरा 365 भादवि का अपराध पंजीबद्ध कर विवेचना में लिया गया। विवेचना के दौरान साक्षीगण के धारा 164 के अंतर्गत लिये गये। न्यायालयीन कथनों में आये तथ्यों के आधार पर आरोपी रामवीरसिंह कुशवाह एवं अन्य के विरूद्ध आईपीसी की धारा 365, 307 तथा एससीएसटी एक्ट की धारा 3(2)(5) के अंतर्गत अपराध पंजीबद्ध है। कोर्ट ने आदेश में लिखा है कि केस डायरी के अवलोकन से स्पष्ट है कि आवेदक के विरूद्ध प्रथम दृष्टया अनुसूचित जाति अनुसूचित जनजाति (अत्याचार निवारण) अधिनियम के अपराध के विशिष्ट कथन अभिलेख पर हैं। अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति (अत्याचार निवारण) अधिनियम की धारा 18 के द्वारा अग्रिम जमानत को वर्जित किया गया है इसलिए आरोपी रामवीर सिंह कुशवाह का अग्रिम जमानत आवेदन निरस्त किया जाता है।