ग्वालियर. सीएम शिवराज सिंह चौहान (CM Shivraj) 6 अक्टूबर को किला स्थित दाता बंदी छोड़ गुरुद्वारे पहुंचे। इस मौके पर शिवराज को विरोध का सामना करना पड़ा। वो केवल 7 मिनट के अंदर गुरुद्वारे में माथा टेककर लौट गए। गुरुद्वारा के 400 साल पूरे होने पर तीन दिवसीय महोत्सव का आयोजन किया गया था। जिसमें शामिल होने के लिए सीएम पहुंचे तो रास्ते में सिंधु बार्डर और डबरा (Dabra) से आए कुछ सिख किसानों (Sikh Farmer) ने नारे लगाकर विरोध किया। समाज के लोगों का आरोप था कि भाजपा (BJP) लखीमपुर और कृषि कानून (Farm Laws) के लिए जिम्मेदार है, इसलिए सीएम को गुरुद्वारे में प्रवेश नहीं करने देंगे। इस दौरान कुछ किसानों ने काली पट्टी बांधकर विरोध जताया।
चर्चा के बाद माहौल शांत कराया
हंगामा होने पर प्रशासन और पुलिस अफसरों ने गुरुद्वारा प्रबंधन से चर्चा कर आक्रोश शांत कराया। शिवराज 4.34 बजे गुरुद्वारा दाताबंदी छोड़ की सीढ़ियों पर चढ़ते हुए अंदर पहुंचे। इसके बाद 4.41 बजे बाहर निकल गए। कहा जा रहा है कि CM चौहान के पास समय नहीं था, इसलिए शॉर्ट कार्यक्रम बनाया गया था। वहीं, गुरुद्वारा प्रबंधन ने किसी तरह के विरोध से इनकार किया है।
ऐतहासिक घटना को 400 साल पूरे
सिखों के गुरु हरगोविंद सिंह ने यहां 52 हिंदू राजाओं को मुगल बादशाह जहांगीर की कैद से आजाद कराया था। बताया जाता है कि जहांगीर को एक फकीर ने सपने में दर्शन दिए थे। जिसके बाद उसने गुरु हरगोविंद सिंह समेत 52 हिंदू राजाओं को आजाद कर दिया था। इसके 400 वर्ष पूरे होने पर गुरुद्वारे दाता बंदी छोड़ गुरुद्वारे में प्रकाश पर्व का आयोजन किया जा रहा है। इसमें लाखों की संख्या में सिख श्रद्धालु शामिल हुए हैं।