कमलेश सारदा, NEEMUCH. जिले के जावद(javad) में 436 आंगनवाड़ियों (aganwadi)को खिलौने(toys), टेलीविजन(tv) सेट और अन्य सामग्री खरीदने के लिए दिए गए 56 लाख रुपए एक साल बाद वापस मांगने के विवादास्पद(controversy) फरमान की जांच नगरीय चुनाव की आड़ में दफन (burry) होती नजर आ रही है। सरकार (mp government)के एक मंत्री (minister) के नाम पर आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं (aganwadi workers)से राशि वापस मांगें जाने का महिला बाल विकास (wcd) के प्रोजेक्ट ऑफिसर के वाट्सएप मैसेज की खबर मीडिया में आने के बाद नीमच कलेक्टर(neemuch collector) ने 03 जून को एसडीएम(sdm) जावद को इस मामले में जांच प्रतिवेदन(investigation report) तत्काल प्रस्तुत करने का आदेश दिया था। लेकिन कलेक्टर के आदेश के 13 दिन बीतने के बाद भी एसडीएम जांच रिपोर्ट देने तो दूर जांच भी नहीं कर पाए हैं। उनका कहना है कि वे नगरीय चुनाव(nagriy chunav) की प्रक्रिया में व्यस्त होने के कारण अभी मामले को देख नहीं पाए हैं।
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बता दें कि जावद के विधायक एवं सरकार में मध्यम,लघु एवं सूक्ष्म उद्यम (एमएसएमई) मंत्री ओमप्रकाश सकलेचा ने मार्च 2021 में अपने स्वेच्छानुदान से 56 लाख 68 हजार रुपए की आर्थिक सहायता राशि आंगनवाड़ियों में खिलौने, टीवी सेट एवं अन्य सामग्री खरीदने के लिए मंजूर की थी। इसके तहत जावद विधानसभा क्षेत्र की 436 आंगवाड़ियों में से हर एक आंगनवाड़ी कार्यकर्ता के खाते में 13-13 हजार रुपए डाले गए थे। लेकिन महिला बाल विकास जावद के प्रोजेक्ट ऑफिसर फखरुद्दीन बोहरा ने मई 2022 में संबंधित सभी 436 आंगनवाड़ी कार्यतर्ताओं को वाट्सएप मैसेज कर पिछले साल उनके खाते में जमा कराए गए 13-13 हजार रुपए वापस लौटाने को लिखा। उन्होंने मैसेज में इसके लिए मंत्री जी के आदेश का हवाला दिया था। लेकिन इसमें गौर करने वाले बात ये थी कि उन्होंने अपने मैसेज के साथ जिस बैंक खाते में राशि वापस जमा कराने को कहा था वो एक प्रायवेट फर्म का था।
यह मामला सामने आने के बाद द सूत्र के रिपोर्टर ने जब प्रदेश सरकार के एमएसएमई मंत्री ओपी सकलेचा से बात की तो उन्होंने आंगवाड़ियों को दी गई आर्थिक सहायता राशि वापस मांगे जाने से साफ इंकार किया। तब उन्होंने कहा था कि वे इस मामले में नीमच के कलेक्टर से चर्चा कर महिला बाल विकास विभाग के प्रोजेक्ट ऑफिसर की ओर से आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं को भेजे गए मैसेज की जांच कराएंगे। इसके बाद कलेक्टर मयंक अग्रवाल ने इस मामले में 03 जून को बकायदा एक आदेश जारी कर जावद के एसडीएम को जांच प्रतिवेदन तत्काल प्रस्तुत करने को लिखा था।
द सूत्र ने गुरुवार (16 जून) को मामले की जांच रिपोर्ट के मामले में कलेक्टर मयंक अग्रवाल के पूछा तो उन्होंने बताया कि अभी एसडीएम से जांच रिपोर्ट नहीं मिल पाई है। इस बारे में जावद के एसडीएम राजेंद्र सिंह से सवाल करने पर जवाब मिला कि नगरीय निकाय चुनाव में व्यस्त होने के कारण अभी मामले को नहीं देख पाया हूं।
आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं से लिखवाया जा रहा है सहमति पत्र
दूसरी ओर महिला बाल विकास विभाग के सूत्रों के अनुसार ये विवादित मामला मीडिया में सामने आने के बाद अब आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं से सहमति पत्र लिखवाया जा रहा है। उनसे लिखवाया जा रहा है कि वे अपनी स्वेच्छा से अपनी आंगनवाड़ी को अनुदान में दिए गए 13 हजार रुपए की राशि वापस जमा करा रही हैं। हालांकि इस बारे में कोई भी आंगनवाड़ी कार्यकर्ता या महिला बाल विकास विभाग का अधिकारी या कर्मचारी मुंह खोलने को तैयार नहीं है। बताया जा रहा है कि इस मामले में लीपापोती करने की तैयारी की जा रही है।
दिग्विजय सिंह ने जांच के लिए सीएम को लिखा पत्र
इधर राज्यसभा सदस्य और पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह ने इस मामले में घोटाले की आशंका जताते हुए मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान को पत्र लिखकर सरकार के किसी सीनियर अफसर से जांच कराने की मांग की है। उन्होंने लिखा है कि सरकार के कैबिनेट मंत्री ओमप्रकाश सकलेचा ने गत वर्ष 2021 में अपनी स्वेच्छानुदान मद से 56 लाख 68 हजार रुपये की राशि 436 आंगनबाडी केंद्रों को मंजूर किए थे। इस आवंटन के बाद जिला कलेक्टर की ओर से प्रत्येक आंगनवाड़ी कार्यकर्ता के खाते में 13-13 हजार रुपए के हिसाब से 56 लाख रुपए डाल दिए गए थे। ये राशि मिलने के बाद कई आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं ने अपने स्तर पर बच्चों के लिए खिलौने खरीद लिए। इस बीच जावद में महिला बाल विकास विभाग के परियोजना अधिकारी ने एसडीएम के हवाले से सभी आंगनबाडी कार्यकर्ताओं से 13-13 हजार रुपये एक निजी ठेकेदार के खाते में वापस जमा करने के निर्देश दिये। गया है कि अभी तक 70 से अधिक केंद्रों से एक निजी ठेकेदार के खाते में राशि जमा कराई जा चुकी है।
पिछले सालों में खरीदे गए 100 करोड़ के खिलौनों का वेरिफिकेशन कराए सरकार
दिग्विजय सिंह ने मुख्यमंत्री से पूछा है कि एक तरफ आप हाथ ठेला लेकर आंगनबाड़ी केन्द्रों के बच्चों के लिए घर-घर जाकर खिलौने एकत्र कर रहे हैं। वहीं आपके अधीन कार्यरत महिला बाल विकास विभाग के अधिकारी ठेकेदारों से सांठ-गांठ कर खिलौनों की खरीदी में लाखों रुपये का भ्रष्टाचार कर रहे हैं। मेरा मानना है कि राज्य शासन में प्रदेश की करीब 90 हजार आंगनवाड़ियों और उप आंगनवाड़ियों में आने वाले 60 लाख बच्चों के लिए विगत वर्ष करीब 100 करोड़ रुपये से खरीदे गए खिलौने यदि केन्द्रों तक पहुंच जाते तो आपको जनता से खिलौने मांग कर आंगनवाड़ियां चलाने की जरुरत ही नहीं पड़ती। आप प्रदेश के मुख्यमंत्री होने के साथ-साथ महिला एवं बाल विकास विभाग का अतिरिक्त दायित्व संभाल रहे हैं। मेरा आपसे निवेदन है कि नीमच जिले में खिलौनों की खरीदी में हो रहे भ्रष्टाचार की शासन स्तर से उच्च स्तरीय जांच कराई जाए। साथ ही पूरे प्रदेश में आंगनवाड़ियों के लिए विगत वर्षों में खरीदे गए करोड़ों रूपयों के खिलौनों का भी फिजीकल वेरिफिकेशन कराया जाए।