BHOPAL. मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने ऐलान किया है कि मध्यप्रदेश में जल्द ही सरकारी स्कूलों के छात्र-छात्राओं को मेडिकल की पढ़ाई के लिए रिजर्वेशन का प्रावधान किया जाएगा। मेडिकल कॉलेज में एडमिशन के लिए ये प्रावधान सभी जाति वर्ग के छात्रों के लिए किया जाएगा। इस योजना का पूरा खुलासा युवा नीति के साथ किया जाएगा। मुख्यमंत्री ने ये ऐलान बुधवार (22 फरवरी) को बालाघाट में विकास कार्यों के लोकार्पण और शिलान्यास समारोह में जनसभा को संबोधित करते हुए किया।
सभी जाति के छात्रों को मिलेगा लाभ : सीएम शिवराज
मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने बालाघाट में बड़ी घोषणा की है। उन्होंने जनसभा को संबोधित करते हुए कहा कि मेडिकल की पढ़ाई के लिए मेरिट के आधार पर नीट (NEET) परीक्षा लेता है। इस परीक्षा की मेरिट के आधार पर ही मेडिकल कॉलेजों में एडमिशन होते हैं, लेकिन इसमें हमारे सरकारी स्कूलों के बच्चों के एडमिशन कम होते हैं और प्राइवेट स्कूलों में पढ़ने वाले बच्चों के ज्यादा। इसलिए हम तय कर रहे हैं कि सरकारी स्कूलों में पढ़े बच्चों को मेडिकल की पढ़ाई के लिए मेडिकल कॉलेजों में रिजर्वेशन मिले। चाहे वो किसी भी जाति के हों। उन्होंने स्पष्ट किया कि मैं जिस दिन प्रदेश की युवा नीति की घोषणा करूंगा उसी दिन मेडिकल कॉलेजों में सरकारी स्कूलों के छात्र-छात्राओं को आरक्षण की योजना के बारे में भी विस्तार से खुलासा करूंगा।
मुख्यमंत्री की घोषणा चुनावी शिगूफा : डॉ. छापरवाल
मेडिकल कॉलेज में एडमिशन के लिए सरकारी स्कूलों के छात्र-छात्राओं को आरक्षण देने के मुख्यमंत्री के ऐलान को मेडिकल काउंसिल ऑफ इंडिया के पूर्व चेयरमैन डॉ. बीसी छापरवाल ने चुनावी शिगूफा बताया है। उन्होंने इसे लॉलीपॉप बताते हुए सरकारी स्कूलों के छात्रों के लिए मेडिकल कॉलेजों में अलग आरक्षण देने की बात को अव्यवहारिक और गैरकानूनी करार दिया है। उन्होंने कहा कि सरकार आरक्षण की संवैधानिक सीमा से अलग आरक्षण कैसे लागू कर सकती है। यदि वो ऐसा कोई प्रयास करती भी है तो उसे कोर्ट में चुनौती दिए जाने पर वो टिक नहीं पाएगा। डॉ. छापरवाल ने कहा कि मेडिकल कॉलेज में दाखिले के लिए होने वाली नीट एक प्रतिस्पर्धी परीक्षा है। इसमें अंकों की मेरिट के आधार पर एडमिशन के लिए चयन किया जाता है। इसमें ये नहीं देखा जाता कि मेरिट में आने वाले स्टूडेंट सरकारी स्कूल में पढ़े हैं या प्राइवेट स्कूल में।
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स्कूल शिक्षा के स्तर पर ध्यान दे सरकार
डॉ. छापरवाल ने कहा कि यदि मुख्यमंत्री को हकीकत में सरकारी स्कूलों में पढ़ने वाले छात्रों के भविष्य की चिंता है तो उन्हें प्रदेश में स्कूल शिक्षा का गिरता स्तर सुधारने पर ध्यान देना चाहिए। प्रदेश में सरकारी स्कूलों की बदहाली जगजाहिर है। सरकारी स्कूलों में ना पर्याप्त काबिल शिक्षक हैं और ना ही पढ़ाई के लिए जरूरी सुविधाएं। राज्य सरकार को अपनी कमियों का ठीकरा नीट जैसी प्रतिस्पर्धी परीक्षा प्रणाली पर नहीं फोड़ना चाहिए। उन्होंने सवाल उठाया कि यदि सरकार हेल्थ को स्टेट सब्जेक्ट मानकर कोई मेडिकल की पढ़ाई के लिए पूर्व में प्रदेश स्तर पर आयोजित की जाने वाले प्री मेडिकल टेस्ट (पीएमटी)जैसी कोई अलग परीक्षा कराने का निर्णय लेती है तो ये छात्रों के हित में नहीं होगा।