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योगेश राठौर, INDORE. इंदौर में पीएफआई केस में जासूसी करने की आरोपी लॉ इंटर्न छात्रा सोनू मंसूरी को आखिरकार सुप्रीम कोर्ट से जमानत मिल गई है। मंसूरी पर आरोप है कि पीएफआई केस की जिला कोर्ट में सुनवाई के दौरान वो वीडियो बना रही थी और उसे दूसरों को भेज रही थी। उसके पास से नकद राशि भी निकली थी। मौके पर मौजूद वकीलों ने उसे पकड़ा था और फिर पुलिस में केस दर्ज कराया था। जिला कोर्ट और हाईकोर्ट से उसकी जमानत याचिका खारिज हो जाने के बाद सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की थी, जहां बुधवार को उसे 5 हजार मुचलके पर जमानत दे दी गई।
मध्यप्रदेश शासन ने नहीं ली आपत्ति
सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को सोनू मंसूरी की ओर से दाखिल जमानत पर सुनवाई के दौरान मध्यप्रदेश सरकार की ओर से इस मामले में असिस्टेंट सॉलिसिटर जनरल केएम नटराज ने सुप्रीम कोर्ट में पक्ष रखा। मध्यप्रदेश सरकार की ओर से सुप्रीम कोर्ट में पेश हुए नटराज ने मंसूरी की जमानत याचिका खारिज होने का जिक्र करते हुए कहा कि मैं बीच में नहीं आना चाहता। उसे जमानत पर रिहा किया जा सकता है। सुप्रीम कोर्ट ने सोनू मंसूरी को जमानत दे दी है। मंसूरी की गिरफ्तारी 28 जनवरी को हुई थी, उस पर कोर्ट के भीतर वीडियो बनाकर उसे दूसरे लोगों तक पहुंचाने का आरोप है।
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पठान मूवी के प्रदर्शन के दौरान हुआ था विवाद
पठान फिल्म के विरोध में इंदौर के कस्तूरी सिनेमा पर हिंदू संगठनों द्वारा आपत्तिजनक नारे लगाने के मामले में पुलिस ने हिंदू संगठन से जुड़े कार्यकर्ताओं को गिरफ्तार किया था। 28 जनवरी को हिंदू संगठन से जुड़े कार्यकर्ताओं की कोर्ट में पेशी थी। इसी दौरान सोनू मंसूरी कोर्ट के अंदर वीडियो बना रही थी। वकीलों ने जब वीडियो को लेकर पूछताछ की तो वो कोई संतोषजनक जवाब नहीं दे पाई, इसके बाद पुलिस ने कोर्ट के भीतर वीडियो बनाकर दूसरे व्यक्ति तक पहुंचाने के मामले में सोनू को गिरफ्तार कर लिया था। आरोप है कि वो ये रिकार्डिंग एक वकील को भेज रही थी, जो पीएफआई की गतिविधियों से जुड़े केसों की सुनवाई करते हैं।