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BHOPAL. राजधानी भोपाल (Capital Bhopal) में सरकार की नाक के नीचे ही ग्रीनरी खत्म (greenery finish) हो गई और किसी के कान में जूं तक नहीं रेंग रही। अकेले राजधानी परियोजना प्रशासन (Capital Project Administration) यानी सीपीए (CPA) द्वारा 15 साल में जो 28 लाख पेड़ लगाए गए उनमे से ही 692 जगह इन हरेभरे पेड़ों को काटकर अतिक्रमण हो गया। द सूत्र ने समय-समय पर इस पूरे मामले को पुरजोर तरीके से उठाया। मामला नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (national green tribunal) यानी एनजीटी (NGT) पहुंचा तो एनजीटी ने 2 मार्च को 4 सदस्यीय ज्वाइंट कमेटी गठित कर 6 सप्ताह में रिपोर्ट सबमिट करने का आदेश दिया। पर ज्वाइंट कमेटी में शामिल अधिकारियों को हरियाली खत्म करने वाले 692 अतिक्रमण दिखे ही नहीं। न जाने ऐसा क्या हुआ कि जब वे उस इलाके में गए उनकी आंखे धुंधला गई और उनको अतिक्रमण दिखना बंद हो गया। पर्यावरणविदों का मानना है कि जिम्मेदारों की यह नेत्रहीनता भोपाल की हरियाली को पूरी तरह से बर्बाद करके रख देगी।
ज्वाइंट कमेटी में इन्हें किया गया था शामिल
एनजीटी ने जो 4 सदस्यीय कमेटी का गठन किया उसमें अर्बन डिपार्टमेंट, भोपाल नगर निगम, डीएफओ और मध्यप्रदेश पाल्युशन कंट्रोल बोर्ड के अधिकारियों को शामिल किया गया। आश्चर्यजनक रूप से इन चार विभागों के अधिकारियों को वो अतिक्रमण दिखे ही नहीं जिन्हें सीपीए ने चिन्हित किया था। द सूत्र के पास भी इन 692 अतिक्रमणकारियों (Encroachment) की पूरी सूची उपलब्ध है।
याचिका वर्ज पर लगे पेड़ों की, कमेटी की रिपोर्ट में मेट्रो, फ्लाईओवर शामिल
जब किसी को बचाना हो तो किस तरह रिपोर्ट में बातों को घुमाया जाता है, यदि आपको यह जानना है तो इससे अच्छा उदाहरण कोई और नहीं मिल सकता। पर्यावरणविद डॉ. सुभाष सी पांडे ने सड़क के सेंट्रल और साइड वर्ज पर लगे पेड़ों को काटकर किए गए अतिक्रमण को लेकर एनजीटी में याचिका दाखिल कि थी। पूरी याचिका ही इसी के इर्दगिर्द है, पर एनजीटी के आदेश पर जो ज्वाइंट कमेटी गठित हुई उसने सेंट्रल और साइड वर्ज पर लगे पेड़ों को काटकर किए गए अतिक्रमण का कहीं कोई जिक्र ही नहीं किया गया। उल्टा मेट्रो और फ्लाईओवर प्रोजेक्ट में कितने पेड़ कटे, कितने लगे सहित स्वर्ण जयंती पार्क, खानूगांव, बरखेड़ा पठानी में लगाए गए पौधों की जानकारी दे दी। डॉ. सुभाष सी पांडे ने कहा कि ज्वाइंट कमेटी ने एनजीटी में जो रिपोर्ट सबमिट की वह उनकी याचिका से संबंधित नहीं है। उन्हें वे अतिक्रमण मिले ही नहीं जिन्हें सीपीए ने चिन्हित किया था।
पेड़ काटकर किए गए अतिक्रमण की जगह दूसरी कार्रवाई की दी जानकारी
ज्वाइंट कमेटी ने अपनी जो रिपोर्ट एनजीटी में सबमिट की उसमें भोपाल शहर के उन अतिक्रमणों की कार्रवाई को शामिल किया गया जो इलीगल थे, पर इसमें पेड़ों को काटकर या सीपीए ने जो 692 अतिक्रमणकारियों की सूची नगर निगम को दी थी उस पर क्या कार्रवाई की गई, इसका कहीं कोई उल्लेख नहीं है। जबकि पूरी याचिका ही पेड़ और उसे काटकर किए गए अतिक्रमण को लेकर है। रिपोर्ट में जो सूची है उसमें कई तो अपराधियों के अतिक्रमण हैं जिसका याचिका से दूर दूर तक कोई वास्ता नहीं है। पर्यावरणविद् डॉ. सुभाष सी पांडे ने कहा कि ज्वाइंट कमेटी में जो अधिकारी शामिल थे, उन्होंने रसूखदारों को बचाने के लिए ऐसा किया और मूल बात को छोड़कर गिनाने के लिए दूसरी कार्रवाई की जानकारी दे दी।
जिम्मेदारों की नेत्रहीनता की ये है वजह...
- अरेरा कॉलोनी के ई-सेक्टर में दिलीप बिल्डकॉन के दिलीप सूर्यवंशी (Dilip Suryavanshi) का आलीशान बंगला है। बंगले के सामने सीपीए ने जिस जगह पर पेड़ लगाए थे, वहां पेड़ों को काटकर अब लग्जरी कारें खड़ी हो रही है। दिलीप सूर्यवंशी की सरकार से नजदीकी जग जाहिर है। ऐसे में इनके अतिक्रमण को देखते समय नेत्रहीनता आ जाना एक तरह से स्वाभाविक ही है।
यह सवाल भी हो रहे खड़े...
- सीपीए जिसने 692 अतिक्रमण को चिन्हित किया था, वह पहले भी फॉरेस्ट डिपार्टमेंट के अंतर्गत ही आता था। सीपीए खत्म होने के बाद उसके जिम्मेदारी फॉरेस्ट डिपार्टमेंट के पास ही है। ज्वाइंट कमेटी में डीएफओ का एक प्रतिनिधि भी शामिल था तो आखिर ऐसे कैसे हो सकता है कि विभाग के ही अधिकारी ने पहले जो अतिक्रमण चिन्हित किया, अब उसी विभाग के अधिकारी को यह मिल ही नहीं रहे हैं।
निगम के खुद के अतिक्रमण तो कार्रवाई कैसे करें!
सीपीए ने अतिक्रमणकारियों पर कार्रवाई करने के लिए भोपाल नगर निगम कमीश्नर को पूरी सूची उपलब्ध कराने के साथ 10 दिसंबर 2021 को एक पत्र लिखा, पर नगर निगम ने खुद हरियाली को खत्म कर अतिक्रमण किए है तो वह कार्रवाई कैसे करता। सीपीए के इस पत्र पर क्या कार्रवाई हुई, यह जानने आरटीआई तक लगाई गई, लेकिन कोई जवाब नहीं दिया गया। दरअसल 11 नंबर से 1100 क्वाटर के बीच ही दो जगह नगर निगम के अतिक्रमण हैं। रोड मास्टर बाइक शोरूम के पास निगम लोगों के बैठने के लिए जिस जगह चेयर लगाने वाला है, वहां पहले कभी पेड़ हुआ करते थे। वहीं साढ़े 10 नंबर चौराहे पर स्थित दुर्गादास राठौर की प्रतिमा को निगम ने चौराहे से हटाकर साइड में उसी जगह स्थापित किया जहां ग्रीनरी होना थी। प्रतिमा के पास लोगों के बैठने के लिए बेंच लगाई गई, जिससे एक बड़ा हिस्सा ग्रीनरी का चला गया।