दमोह में 12 साल तक आया था स्वप्न, खुदाई के बाद पेड़ के नीचे से निकली थी भगवान परशुराम की प्रतिमा, अक्षय तृतीया पर लगता है जमघट

author-image
Rajeev Upadhyay
एडिट
New Update
दमोह में 12 साल तक आया था स्वप्न, खुदाई के बाद पेड़ के नीचे से निकली थी भगवान परशुराम की प्रतिमा, अक्षय तृतीया पर लगता है जमघट

Damoh. दमोह जिले में एकमात्र भगवान परशुराम का मंदिर दमोह की परशुराम टेकरी पर है। यहां भगवान परशुराम मंदिर आने वाले भक्तों की संतान प्राप्ति की मनोकामनाएं पूर्ण करते हैं। भगवान की प्रतिमा 320 फीट ऊंचे पहाड़ पर बरिया के पेड़ के नीचे खुदाई के दौरान सपना देकर निकली थी। भगवान ने बैजनाथ श्रीवास्तव किशुनगंज वाले दादा को 12 साल लगातार स्वप्न दिया था। जिसके बाद उन्होंने अपने साथी तुलसीराम से इस बारे में चर्चा की और जब पॉलिटेक्निक कॉलेज के बाजू से बने इस पहाड़ पर खुदाई की और बरिया के पेड़ को हटाया तो वहां भगवान परशुराम की अद्भुत प्रतिमा निकली। तभी से यह स्थान परशुराम टेकरी के नाम से पहचाना जाने लगा। जहां दमोह जिले के अलावा कई जिलों से श्रद्धालु अपनी मनोकामना लेकर आते हैं।



मंदिर निर्माण रुकवाने से हुआ था विवाद



मंदिर के पुजारी पंडित कृष्ण कुमार गर्ग ने बताया कि साल 1981 में बैजनाथ श्रीवास्तव के द्वारा इस पहाड़ पर खुदाई करवाई थी और बरिया के पेड़ के नीचे भगवान परशुराम की प्रतिमा निकली थी। 12 साल तक लगातार भगवान परशुराम उन्हें स्वप्न देते रहे इसके बाद जब उन्होंने खुदाई करवाई तब यह प्रतिमा बाहर निकली। इसके बाद यहां पूजन अर्चन शुरू हुआ और 1 साल के बाद 1982 में मंदिर निर्माण कार्य प्रारंभ किया गया। चूंकि यह पूरी जगह वन विभाग के अंतर्गत आती है इसलिए उस समय तत्कालीन डीएफओ अली साहब के द्वारा मंदिर निर्माण कार्य को रुकवा दिया गया। जैसे ही लोगों को इस बात की जानकारी लगी की वन विभाग के अधिकारी ने मंदिर का निर्माण कार्य रुकवा दिया है तो यहां विवाद की स्थिति निर्मित हो गई और काफी विवाद के हालात बन गए। उस दौरान तत्कालीन कलेक्टर ने इस विवाद को शांत करवाया और 48 घंटे के अंदर यहां मंदिर निर्माण कार्य शुरू करवाया और लाइट की व्यवस्था करवाई।



publive-image




  • यह भी पढ़ें 


  • बालाघाट में पुलिस ने 2 महिला नक्सलियों को मार गिराया, दोनों पर था 14-14 लाख का ईनाम, बंदूकें और कारतूस बरामद



  • संतान प्राप्ति की पूरी होती है मनोकामना




    पुजारी पंडित कृष्ण कुमार गर्ग ने बताया भगवान परशुराम ने सपने में दादा बैजनाथ श्रीवास्तव को यह भी बताया था कि आपके यहां तो कोई संतान नहीं होगी, लेकिन इसके बाद जो भी व्यक्ति अपनी संतान की मनोकामना लेकर मंदिर आएगा उसकी झोली जरूर भर जाएगी और आज यहां से कोई भी मां खाली हाथ नहीं लौटी।  मंगलवार और शनिवार को यहां विशेष रूप से भगवान का पूजन करने के लिए लोग आते हैं और अपनी मनोकामना भगवान परशुराम से मांगते हैं। सैकड़ों लोगों के यहां संतान की प्राप्ति हुई है इस बात का दावा भी मंदिर के पुजारी गर्ग करते हैं।  उन्होंने बताया कि जिले में भगवान परशुराम का कहीं भी दूसरा मंदिर नहीं है केवल दमोह में पॉलिटेक्निक कॉलेज के बाजू से जमीन से 320 फीट की ऊंचाई पर पहाड़ पर यह मंदिर है जिसे परशुराम टेकरी के नाम से जाना जाता है।



    अक्षय तृतीया के दिन निकली थी प्रतिमा



    श्री गर्ग ने बताया कि अप्रैल महीने में अक्षय तृतीया के दिन भगवान परशुराम का जन्म उत्सव मनाया जाता है उसी दिन यह प्रतिमा बरिया के पेड़ के नीचे से खुदाई के दौरान मिली थी। यहां हजारों की संख्या में ब्राह्मण समाज के लोग भगवान परशुराम का पूजन करने अक्षय तृतीया के दिन आते हैं।  पहले यह पूरा क्षेत्र जंगली एरिया हुआ करता था इसलिए लोग बहुत कम ही मंदिर तक आ पाते थे, लेकिन धीरे-धीरे विकास कार्य हुआ और दमोह शहर का विकास आगे बढ़ा और आज स्थिति यह है कि यह मंदिर शहर के बीचो-बीच स्थित है।  जंगल तो अब यहां कहीं नहीं दिखाई देते चारों ओर वन विभाग की भूमि जरूर पड़ी हुई है जहां लोग अपना निवास बनाकर रह रहे हैं।


    Lord Parshuram Jayanti दमोह न्यूज़ अक्षय तृतीया परशुराम टेकरी दमोह भगवान परशुराम जयंती Damoh News Parshuram Tekri Damoh Akshaya Tritiya