Jabalpur. मध्यप्रदेश सरकार ने हाईकोर्ट में विचाराधीन अन्य पिछड़ा वर्ग आरक्षण संबंधी सभी याचिकाओं को सुप्रीम कोर्ट ट्रांसफर करने की अर्जी दायर की है। सुप्रीम कोर्ट में राज्य शासन की ओर से दायर की गई इस अर्जी पर 28 अप्रैल को सुनवाई होनी है। इधर हाईकोर्ट में ओबीसी आरक्षण के मामले की हियरिंग 24 अप्रैल को नियत है।
दरअसल बीते 4 सालों से हाईकोर्ट में यह मामला विचाराधीन है, 18 अप्रैल से हाईकोर्ट ने इस मामले में अंतिम स्तर की सुनवाई की है, हाईकोर्ट 27 फीसद आरक्षण के समर्थन और विरोध वाली याचिकाओं पर संयुक्त रूप से सुनवाई कर रहा है।
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छात्रों के भविष्य पर जताई थी चिंता
पिछली सुनवाई में हाईकोर्ट ने अपनी महत्वपूर्ण टिप्पणी में कहा था कि ओबीसी आरक्षण मामला लंबित होने के कारण प्रदेश के हजारों विद्यार्थी असमंजस में हैं, उनका भविष्य दांव पर लगा हुआ है। हाईकोर्ट को रोजाना सौ से ज्यादा खत भी मिल रहे हैं। लिहाजा अब यह मामला प्रतिदिन सुनवाई की तर्ज पर सुना जाएगा। हालांकि उसी दिन राज्य शासन की ओर से मामले में अतिरिक्त मोहलत मांगते हुए केस की तारीख बढ़ाने की मांग की गई थी, जिसे कोर्ट ने नामंजूर कर दिया था। उधर एससी-एसटी, ओबीसी एकता मंच की ओर से भी सुप्रीम कोर्ट में एक विशेष अनुमति याचिका दायर की गई है। जिसमें हाईकोर्ट द्वारा एक आवेदन में 20 मार्च, 2023 को पारित आदेश की वैधानिकता को चुनौती दी गई है।
इस मामले में नियुक्त विशेष अधिवक्ता रामेश्वर सिंह ठाकुर ने बताया कि हाईकोर्ट ने न्यूट्रल बेंच गठित करने का आवेदन खारिज कर दिया था, अदालत ने कहा था कि आवेदन में सुनवाई करने वाली बेंच के न्यायाधीशगण के विरुद्ध कोई व्यक्तिगत आरोप नहीं लगाए गए हैं।
बता दें कि सरकार अन्य पिछड़ा वर्ग को सरकारी नौकरियों में 27 फीसद आरक्षण देने का फैसला कर चुकी है, लेकिन यह मामला अदालत में लंबित है। इसके पीछे वजह यही है कि 27 प्रतिशत आरक्षण दिए जाने से आरक्षण 50 फीसदी की लक्ष्मण रेखा को पार कर जाएगा।