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Jabalpur. जबलपुर में अधारताल एसडीएम के एक आदेश के बाद महाराजपुर में शिव मंदिर की जमीन की भूमाफिया ने जमकर बंदरबांट शुरू कर दी थी। अहस्तांतरित जमीन को भी लोगों ने अपने नाम दर्ज करा लिया और बटांक बनाकर खरीद-फरोख्त की और जब इसकी शिकायत की गई तो मामले को दबाने के लिए भी कई प्रयास किए गए। हालांकि मामले की जांच के बाद प्रशासन ने उक्त भूमि के क्रय-विक्रय पर रोक लगा दी है।
आदेश के बाद कब्जाधारियों में दहशत
भूमाफिया के सब्जबाग के चक्कर में कुछ लोगों ने अपनी गाढ़ी कमाई लगाकर उक्त जमीन पर प्लॉट ले लिए थे। अब इस आदेश के बाद ऐसे लोगों में दहशत फैल चुकी है। शिकायतकर्ताओं का कहना है कि कब्जा की गई जमीन को अतिक्रमणमुक्त किया जाना चाहिए। एसडीएम अधारताल द्वारा जारी किए गए आदेश में कहा गया है कि तहसीलदार अधारताल से शिकायत पर की गई जांच का प्रतिवेदन प्राप्त हुआ है, जिसमें कहा गया है कि शिकायतकर्ता भागचंद साहू द्वारा महाराजपुर स्थित भूमि से अवैध निर्माण हटाने की मांग की गई है। शिव मंदिर की इस जमीन पर कुछ लोगों ने अवैध कब्जा कर लिया था और प्लाट काटकर कॉलोनी विकसित की जा रही है। भूमि के समस्त दस्तावेजों की जांच होने तक उक्त भूमि के क्रय-विक्रय पर पूरी तरह से रोक लगाई जाती है।
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ट्रस्ट की जमीन का कैसे हो गया नामांतरण
दरअसल इस मामले में राजस्व विभाग की भी लापरवाही सामने आई है। किसी भी ट्रस्ट की जमीन की न तो रजिस्ट्री कराई जा सकती है और न ही खसरे में नामांतरण हो सकता है। बावजूद इसके भूमाफिया ने जमीन अपने नाम कैसे दर्ज करा ली यह भी जांच का विषय है।
भगवान को माना गया है नाबालिग
भारतीय कानून में भगवान को नाबालिग माना गया है, उनकी संपत्ति की सुरक्षा और देखरेख का काम जिला प्रशासन न्यासी के जरिए करवाता है। ऐसे में भगवान की संपत्ति पर एडवर्स पजेशन भी अमान्य है। इस सबके चलते महाराजपुर के कब्जाधारियों में दहशत फैल गई है।