राहुल शर्मा । भोपाल. देश में खाने के तेल (Edable Oil) के दाम नियंत्रित करने के लिए विदेशों से आयात किए जाने वाले कच्चे तेलों (Impoted Edable Oil) पर कस्टम ड्यूटी (Custom Duty) घटाने का फैसला सोयाबीन उगाने वाले किसानों ( Soyabean Producers) के लिए भारी साबित हो रहा है। केंद्र सरकार (Central Government) के इस फैसले से मंडियों (Grain Market) में सोयाबीन की फसल का दाम 10 हजार रूपए प्रति क्विंटल से घटकर 5500 रुपये के स्तर पर आ गया है। जबकि बाजार (Market) में बाजार में तेल की रिटेल प्राइस में बमुश्किल 5 से 7 रुपये प्रति लीटर की कमी आई है। जानकारों का मानना है कि मंडियों में सोयाबीन की बंपर आवक से ठीक पहले आयातित तेल पर कस्टम ड्यूटी घटाने से सोयाबीन के भाव आधे हो गए हैं। इससे प्रदेश के करीब 38 लाख किसानों को खासा नुकसान हो रहा है।
क्या है केंद्र सरकार का निर्णय
केंद्र सरकार ने खाने के तेल की खुदरा कीमतों में कमी लाने के लिए 13 अक्टूबर को पाम (Palm Oil), सोयाबीन (Soyabean) और सूरजमुखी तेल (Sunflower Oil) की कच्ची किस्मों पर मार्च 2022 तक के लिए बेसिक कस्टम ड्यूटी घटा दी है। इन पर लगने वाला कृषि उपकर भी कम किया गया है। कच्चे पाम तेल पर आयात शुल्क 24.75 फीसदी से घटाकर 7.5 प्रतिशत कर दिया गया है। जबकि कच्चे सोया तेल और कच्चे सूरजमुखी तेल पर घटाकर 5.0 प्रतिशत की गई है। यह सब देश के आम उपभोक्ताओं को तेल के बेलगाम बढ़ते दामों से राहत दिलाने के नाम पर किया गया। लेकिन सरकार के इस कदम से तेल के दाम में मामूली कमी हुई है। इसके उलट सोयाबीन उत्पादक किसानों को नुकसान ज्यादा हुआ है।
मंडियों में गिरते गए सोयाबीन के भाव
खाने के तेलों के आयात पर कस्टम ड्यूटी घटाने से देश में सोयाबीन के रेट गिर गए। सितंबर के पहले सप्ताह में मालवा क्षेत्र की मंडियों में सोयाबीन 10 हजार रूपए प्रति क्विंटल तक बिका, जो अब घटकर 5500 के आसपास रह गया है। ऐसा इसलिए हुआ कि क्योंकि आयात शुल्क कम होने से विदेशों से आने वाला कच्चा तेल सस्ता हो गया। इसका नतीजा यह हुआ कि सोयाबीन के दाम गिरते चले गए।
रिटायर्ड IAS अधिकारी हीरालाल त्रिवेदी सरकार के फैसले पर सवाल खड़ा करते हुए कहते हैं कि जब देश की मंडियों में सोयाबीन की बंपर आवक हो रही हो तब आयात होने वाले खाने के तेलों से कस्टम ड्यूटी हटाने का क्या मतलब ? इसके पीछे तेल के कारोबार में शामिल बड़े कार्पोरेट घरानों को लाभ पहुंचाने की चाल है। इससे उन्हें किसानों को अपनी उपज कम दाम में बेचने के लिए मजबूर करने का मौका मिल गया है।
सिर्फ 5 से 7 रुपये की कम हुए तेल के दाम
ऐसा नहीं है कि आयात शुल्क घटाने के फैसले से खाने के तेल के दामों पर कोई असर नहीं हुआ। देश में तेल के दाम कम तो हुए लेकिन बहुत मामूली। आयात शुल्क घटाने से पहले बाजार में सोयाबीन का तेल 140 से 145 रूपए प्रति लीटर था जो अब घटकर 135 से 140 रूपए लीटर तक हो गया है। यानि आम जनता को तेल की कीमत में अभी तक महज 5 से 7 रुपए प्रतिलीटर की राहत ही मिली है। जबकि आम उपभोक्ताओं को सरकार के इस कदम से ज्यादा राहत की उम्मीद थी।
सोयाबीन के सीजन में आयातित तेल पर कस्टम ड्यूटी घटाने के फैसले से नाराज किसान नेता केदार सिरोही कहते हैं कि सरकार ने यह सब गौतम अडानी जैसे बड़े उद्योगपतियों को फायदा पहुंचाने के लिए किया है। उसे इस बात की कोई फिक्र नहीं कि सोयबीन के दाम गिरने से किसानों के लिए फसल की लागत निकालना भी मुश्किल हो रहा है।
स्टॉक लिमिट से आने वाले दिनों में और महंगा होगा खाने का तेल
भोपाल (Bhopal) में खाद्य तेल के थोक कारोबारी कृष्णकुमार बांगड़ के मुताबिक खाद्य तेलों की कीमत में अक्टूबर के पहले हफ्ते के मुकाबले अक्टूबर के आखिरी हफ्ते में 5 से 7 रूपए प्रति लीटर तक की गिरावट आई है। इंपोर्ट ड्यूटी कम होने से सोयाबीन तेल में 5 रूपए लीटर, सनफ्लॉवर तेल में 6 रूपए और पॉम ऑइल में 7 रूपए लीटर तक की कमी हुई है। वे स्पष्ट करते हैं कि हमारे देश में तेल के दाम अब अंतर्राष्ट्रीय वायदा बाजार (कमोडिटी) के आधार पर ही तय होते हैं। वहां तेल के दाम बढ़ने या घटने का सीधा असर भारत के बाजार पर पड़ता है। देश में तेल की स्टॉक लिमिट तय होने के बाद आने वाले दिनों में खाने का तेल और महंगा होने के आसार हैं।
ड्यूटी कम होने से पहले और बाद में खाने के तेल के दाम
खाद्य तेल - 01 अक्टूबर को कीमत - 30 अक्टूबर को कीमत - अंतर
सोयाबीन तेल - 140 रूपए लीटर - 135 रूपए लीटर - 5 रूपए कम
सनफ्लावर तेल - 145 रूपए लीटर - 140 रूपए लीटर - 5 रूपए कम
पॉम ऑइल - 135 रूपए लीटर - 129 रूपए लीटर - 6 रूपए कम
सोयाबीन का रकबा घटा पर उत्पादन बढ़ने के आसार
कृषि विभाग के आंकड़ों के मुताबिक प्रदेश में पिछले साल 66 लाख 73 हजार 869 हेक्टेयर में सोयाबीन फसल की बोवनी हुई थी। इस साल इसका रकबा घटकर 50 लाख 05 हजार 402 हेक्टेयर रह गया है यानि इसमें पिछले साल के मुकाबले गिरावट आ गई है। लेकिन इसके बाद भी सोयाबीन का उत्पादन बढ़ने के आसार हैं। इंदौर स्थित सोयाबीन प्रोसेसर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया (सोपा) के अनुसार इस साल प्रदेश में 52.3 लाख टन उत्पादन का अनुमान है। पिछले साल मध्य प्रदेश में 41.8 लाख टन सोयाबीन का उत्पादन हुआ था।