UJJAIN. भारत में नाम बदलने की सियासत तेजी चल रही है। शहरों, रेलवे स्टेशनों और तमाम चीजों के नाम बदले जा रहे हैं। जो विदेशी या मुगल शासकों की पहचान बने थे। इसी क्रम में अब मुहावरों में भी बदलाव किया जा रहा है। उज्जैन की विक्रम यूनिवर्सिटी ने इस मामले में पहल की है। यूनिवर्सिटी के कुलपति डॉ. अखिलेश कुमार पांडे का मानना है कि 'जो जीता वहीं सिकंदर' की जगह,अब 'जो जीता वहीं विक्रमादित्य' होगा। इससे गुलामी की मानसिकता से आजादी मिलेगी।
कुलपति ने ईसी बैठक में दिए निर्देश
बचपन से हम एक मुहावरा पढ़ते आ रहे हैं ‘जो जीता वही सिकंदर’ अर्थात जो जीतता है, वह सम्राट है’। अब इस मुहावरे में ‘सिकंदर’ का नाम हटाकर ‘सम्राट विक्रमादित्य’ का नाम होगा। यानी अब नया मुहावरा ‘जो जीता वही सम्राट विक्रमादित्य’ होगा। बुधवार, 19 अप्रैल को विक्रम विश्वविद्यालय कार्यपरिषद (ईसी) की बैठक हुई। बैठक में कुलपति प्रो. अखिलेश कुमार पांडे ने सभी प्रोफेसर्स को निर्देश दिए हैं। कहा गया है कि छात्रों को बदले हुए मुहावरे को पढ़ाया जाए। हालांकि, इस संबंध में कोई लिखित आदेश नहीं दिया गया है।
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सम्राट विक्रमादित्य हमारे आदर्श
यूनिवर्सिटी के कुलपति प्रो. पांडे ने बताया कि प्रचलित मुहावरा है, जिसमें कहा जाता है कि ‘जो जीता वही सिकंदर’। सिकंदर हमारे युवाओं के लिए आइकन कैसे हो सकता है? सम्राट विक्रमादित्य हमारे लिए आदर्श हैं, इसलिए मुहावरे में बदलाव कर रहे हैं। कोशिश है कि मुहावरा ‘जो जीता वही सम्राट विक्रमादित्य हो’। क्लास में हिंदी भाषा के शिक्षक से मुहावरे में सम्राट विक्रमादित्य का उपयोग करने के लिए कहा गया है।
कुलपति ने यह भी कहा
प्रो. पांडे का कहना है कि आगे भी किताबों से जहां जरूरत होगी, वहां सिकंदर की जगह विक्रमादित्य का नाम शामिल कराने का प्रयास किया जाएगा। इसके पीछे उद्देश्य है कि हमारे छात्र और युवा सोचें कि हमारी विरासत क्या है। हमारी विरासत का गौरवशाली व्यक्तित्व सिकंदर नहीं, बल्कि सम्राट विक्रमादित्य हैं। उम्मीद है कि इसे दूसरे भी स्वीकार करेंगे।