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कटनी। राहुल उपाध्याय.किसान यूरिया खाद के लिए जिले में दर-दर की ठोकरें खाने को मजबूर हो रहे है। लेकिन फिर भी उन्हें यूरिया खाद नही मिल रही है। कटनी शहर के घंटाघर स्थित विपण न सहकारी समिति मर्यादित एवं कस्टम हायरिंग केंद्र में खाद लेने किसानों की कतारे लगी रही। बमुश्किल से कुछ ही किसानों को यहां खाद मिल पाई। कार्यालय में जैसे ही यूरिया खाद की गाड़ी पहुंची तो देखते ही देखते ही किसानों की लंबी-लंबी कतार लग गई। यूरिया खाद पाने के लिए किसान एक दूसरे से पहले लाइन में लगने के लिए दौड़ते नजर आए। यह स्थिति जिले भर में है।
किसानों ने बताया कि पिछले कई दिनों से यूरिया खाद लेने के लिए मंडियों में चक्कर काट रहे है, लेकिन खाद नहीं मिल रही। यह सरकार की जिम्मेदारी बनती है कि किसानों को समय पर खाद मुहैया करवाए, लेकिन सरकार आंखें बंद किए हुए बैठी है। एक ओर जहां सरकार किसानों को उन्नत खेती करने प्रोत्साहित करने का दावा करती है लेकिन जमीनी हकीकत कुछ और ही है, बीते दिनों खाद बीज से संबंधी शिकायतों के लिए टोल फ्री नंबर शासन द्वारा जारी किया गया था लेकिन इस नंबर की जानकारी किसानों को नहीं, वही समीतियों में जहां से खाद वितरित होती है उन्हें भी टोल फ्री नंबर के संबंध में जानकारी नहीं थी।
किसानों को हर समय खाद की किल्लत से जूझना पड़ता है। एक ओर प्रशासनिक दावों के बावजूद समितियों में खाद की किल्लत नजर आ रही है। किसानों को उनकी धान फसल के लिए एक बार और यूरिया की आवश्यकता है। लेकिन इसकी उपलब्धता आसान नहीं जिसके चलते किसान प्राइवेट दुकानों से महंगे दामो में खाद खरीद रहे है। और कृषि विभाग को शिकायत का इंतजार है। रैक पॉइंट होने के कारण यहां खाद की कमी उस तरह की नहीं होती जैसे अन्य जिलों में निर्मित होती है। लेकिन व्यापारियों और दुकानदारों को फायदा पहुँचाने के लिए परदे के पीछे यह खेल चलता है।
यूरिया, डीएपी काम्प्लेक्स का शासकीय गोदामो में 1171 मीट्रिक टन का स्टॉक है। इसमें यूरिया छोड़ दिया जाए तो डीएपी और काम्प्लेक्स की उपलब्धता 1078 टन है। लेकिन कृतिम संकटमें अन्नदाता ही पिसता है। शासन ने यूरिया 269 रुपये प्रति बोरी का भाव रखा है। किसानों को एक बोरी के लिए 350 रुपये तक चुकाने पड़ रहें है। इसी तरह से 1300 से 1350 रुपये के डीएपी खाद के लिए किसान अपनी जेब से 1600 रुपये तक खर्च कर रहें है। कृषि विभाग निगरानी नहीं कर रहा जिसके चलते व्यापारियों को मनमानी की छूट मिली है।