Indore. इंदौर में रंगपंचमी की पूर्व संध्या पर हास्य कवि सम्मेलन बजरबट्टू के आयोजन की परंपरा है। कवि सम्मेलन से पहले क्षेत्र में एक शोभायात्रा निकाली जाती है। जिसमें इंदौर के वरिष्ठ नेता कैलाश विजयवर्गीय हर बार भिन्न रूप में नजर आते हैं। कार्यक्रम के आयोजकों से जब यह पूछा गया कि कवि सम्मेलन का नाम बजरबट्टू क्यों है, तो उन्होंने बताया कि वे एक गुदगुदाने वाले नाम की तलाश कर रहे थे। उनकी तलाश ऐसे शब्द की थी जिसे सुनते ही हास्य का पुट समझ आ जाए, अर्थ भले ही न समझ आए तो भी चलेगा। आयोजनकर्ताओं की यह तलाश पहाड़ी घोड़े बजरबट्टू से पूरी हो गई।
कार्यक्रम के आयोजक भूपेंद्र सिंह केसरी ने बताया कि हम लोग मल्हारगंज में हिंद मालवा के नाम से रंगारंग गेर का आयोजन करते थे। कुछ साल यह सिलसिला चला फिर हास्य कवि सम्मेलन के आयोजन का विचार आया। कवि सम्मेलन के नाम को लेकर काफी मंथन किया गया। फिर तय हुआ कि बजरबट्टू नाम रखा जाए।
संयोजक अशोक चौहान ने बताया कि पहले निकाली जाने वाली गेर में पूरे परिवार को शामिल नहीं कर पाते थे। अश्लीलता और फूहड़ता के चलते महिलाएं आती नहीं थीं। ऐसे में गेर को बंद कर शोभायात्रा निकालने का मन बनाया। साल 1999 से यह जारी है। वरिष्ठ नेता कैलाश विजयवर्गीय का भी इसमें बहुत सहयोग मिला।
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केसरी ने बताया कि विजयवर्गीय कहते हैं कि मेरे कार्यकर्ता मेरे लिए साल भर काम करते हैं तो एक दिन उनके लिए ऐसे रूप धरने में क्या परेशानी है। इस शोभायात्रा में 14 सालों से कैलाश विजयवर्गीय भिन्न-भिन्न और गुदगुदाने वाले रूपों में जनता के बीच आते हैं।
विजयवर्गीय के लिए मेकअप आर्टिस्ट मुंबई से आते हैं, इसका जिम्मा टीम के दादा पांडे के पास है। टीम ही उनका रूप तय करती है। इसकी जानकारी सिर्फ मेकअप टीम व विजयवर्गीय को ही रहती है कि वे क्या बनने वाले हैं। जब वे बाहर आते हैं तब ही लोगों को पता चलता है कि वे क्या बने हैं। इसके पूर्व लोगों में उनके रूप को लेकर काफी कौतूहल रहता है। उन्हें मेकअप दो घंटे करने में लगते हैं।
विजयवर्गीय का सीक्रेट रूप बताने पर मिलता है ईनाम
आयोजकों ने 2019 से विजयवर्गीय के नए रूप के बारे में बताने पर इनाम देने की परम्परा शुरू की। हालांकि 2020, 2021 और 2022 में कोरोना और सड़क निर्माण के कारण कार्यक्रम स्थगित करना पड़ा था। इस बार पहला इनाम 1.50 लाख, दूसरा इनाम 1 लाख व तीसरा इनाम 50 हजार रु. है। इस बार 25 हजार के करीब प्रविष्ठियां आ चुकी हैं।