BHOPAL. मध्यप्रदेश के शिवपुरी जिले में स्थित माधव नेशनल पार्क में अब फिर से टाइगर दहाड़ेगा। सीएम शिवराज सिंह चौहान और केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया ने शुक्रवार दोपहर दो बाघों को पार्क में रिलीज किया। सुबह ही बांधवगढ़ से बाघिन और सतपुड़ा से बाघ को पार्क में लाया गया है। पन्ना से आने वाली बाघिन घायल है। इस कारण उसे नहीं लाया जा सका है। इस बाघिन को ठीक होने के बाद दो से तीन दिन में पहुंचाया जाएगा। बाघों को रिलीज करते समय सीएम और सिंधिया के अलावा मंत्री यशोधरा राजे सिंधिया, वन मंत्री विजय शाह, सांसद केपी यादव, प्रभारी मंत्री महेंद्र सिंह सिसौदिया के साथ ही सिंधिया के बेटे महाआर्यमन और पत्नी प्रियदर्शिनी राजे सिंधिया भी नेशनल पार्क पहुंची थीं।
#शिवपुरी में 27 साल बाद बाघ की दहाड़. #माधवनेशनलपार्क में मुख्यमंत्री @ChouhanShivraj और केंद्रीय मंत्री @JM_Scindia ने छोड़े दो बाघ.@JansamparkMP @TheSootr#Shivpuri #mpnews pic.twitter.com/FgqYhTTXzv
— Sunil Shukla (@sshukla1968) March 10, 2023
सतपुड़ा से बाघ सुबह 11 बजे शिवपुरी पहुंचा
नेशनल पार्क प्रबंधन के अनुसार बांधवगढ़ से बाघ सुबह साढ़े 8 बजे, जबकि सतपुड़ा से बाघ सुबह 11 बजे शिवपुरी पहुंचा। पन्ना से आने वाली बाघिन को गुरुवार रात तक पन्ना नेशनल पार्क की रेस्क्यू टीम पकड़ने में असफल रही थी। शुक्रवार सुबह 3 बजे से फिर पन्ना टाइगर रिजर्व की टीम ने उसे पकड़ने का रेस्क्यू अभियान चलाया, जो चार घंटे बाद सफल हुआ। सुबह करीब 7 बजे हाथियों की मदद से मादा बाघ को पकड़ा लिया गया, लेकिन मेडिकल टीम ने जब से चेक किया तो वह घायल मिली।
बाघों को सड़क मार्ग से 500 किमी बांधवगढ़ से शिवपुरी लाए
बांधवगढ़ 1 मादा टाइगर को यहां लाया गया है। वहीं, सतपुड़ा टाइगर रिजर्व नर्मदापुरम से एक नर बाघ आया है। माधव नेशनल पार्क की टीम गुरुवार दोपहर बांधवगढ़ पहुंच गई थी। टीम ने बाघिन को कब्जे में लिया और देर शाम वे सड़क मार्ग से रवाना हुए। बांधवगढ़ से शिवपुरी की दूरी 500 किमी है, जिसे 11 से 12 घंटे में पूरा कर लिया गया। वहीं, नर्मदापुरम के सतपुड़ा टाइगर रिजर्व से नर बाघ को पिंजरे में रखकर लाया गया। टीम ने 400 किमी दूर सतपुड़ा टाइगर रिजर्व से 11 से 12 घंटे का सफर पूरा कर लिया।
बाघों को भ्रम में रखने ट्रकों को स्टार्ट ही खड़ा रखेंगे
चूंकि, बाघ रास्ते में कुछ नहीं खाते, इसलिए उन्हें रास्ते में कुछ भी खाने नहीं दिया गया। ट्रकों को बाड़े के करीब ही खड़ा किया गया है, लेकिन इन ट्रकों को स्टार्ट ही रखा गया, जिससे तीनों बाघों को भ्रम रहे कि वे अभी भी सफर ही कर रहे हैं। अगर ट्रक स्टार्ट नहीं रखा जाएगा, तो वे परेशान हो जाएंगे। दोपहर में सीएम शिवराज सिंह चौहान बाघों को बाड़े में छोड़ देंगे। यहां उन्हें भैंस का मांस दिया जाएगा। बाड़े में बाघों के लिए पानी और मांस की व्यवस्था की गई है।
बांटा गया है 4000 हेक्टेयर के एनक्लोजर के 3 हिस्सों में
माधव नेशनल पार्क के सीसीएफ उत्तम शर्मा ने बताया कि पार्क के बीच बलारपुर के कक्ष क्रमांक 112 में बाघों की देख-रेख के लिए 4 हजार हेक्टेयर का बड़ा एनक्लोजर (बाड़ा) बनाया गया है। इस एनक्लोजर को तीन हिस्सों में बांटा गया है। बाड़े की ऊंचाई करीब 16 फीट है। तीनों बाघों के लिए अलग-अलग बाड़े बनाए गए हैं। बाड़ों के अंदर बाघों के लिए 6-6 हजार लीटर पानी की क्षमता वाले सोसर बनाए गए हैं। करीब एक महीने तक इनमें पानी भरकर टेस्टिंग की गई है। इनमें पानी भरने के लिए बाहर से ही पाइप का कनेक्शन दिया गया है।
वायरलेस के 6 फिक्स्ड स्टेशन, 11 माउंटेन वाहन और 90 हैंडसेट से करेंगे निगरानी
सीसीएफ शर्मा ने बताया कि बाघों की सुरक्षा के लिए माधव नेशनल पार्क में पुख्ता इंतजाम हैं। तीनों बाघों को सैटेलाइट कॉलर बीएचपी सुविधा के साथ लाया जा रहा है। नेशनल पार्क में वायरलेस सिस्टम लगाया गया है। वायरलेस के 6 फिक्स्ड स्टेशन, 11 माउंटेन वाहन और 90 हैंडसेट के जरिए निगरानी की जाएगी। बाघों के बनाए गए एनक्लोजर के इर्द-गिर्द लगभग 6 मचान भी बनाए गए हैं। जिनके जरिए बाघों की निगरानी की जाएगी। विशेष रूप से तीन वाहनों व 18 स्टाफ को टाइगर ट्रेनिंग और मॉनिटरिंग का प्रशिक्षण दिया जा चुका है। इमरजेंसी में एक रेस्क्यू वाहन, एक डॉग स्क्वायड, उड़नदस्ता भी तैनात किया गया है। इसके लिए कंट्रोल रूम भी बनाया गया है।
सतपुड़ा से आ रहे नर बाघ की उम्र करीब 3 साल है
तीनों बाघों को 10 से 15 दिनों तक निगरानी में रखा जाएगा। इसके बाद स्थिति सामान्य रही तो उन्हें पार्क में खुला छोड़ दिया जाएगा। माधव नेशनल पार्क के ऐसी जगहों को भी चिन्हित किया जा रहा है, जहां बाघ टेरेटरी बना सकते हैं। पार्क के झिरना क्षेत्र को माकूल जगह माना जा रहा है। क्योंकि यह ठंडा क्षेत्र है। यहां झरना होने के चलते पानी भी पर्याप्त मात्रा में है।
झरना होने के कारण अन्य जानवर भी यहां पानी पीने आते हैं। इसके चलते बाघ इस क्षेत्र में आसानी से शिकार कर सकेंगे। यहां एक गुफा जैसा भी हैं, जहां बाघ आसानी से कुनबे को बढ़ा सकेंगे। सतपुड़ा से आ रहे नर बाघ की उम्र करीब 3 साल है, लेकिन कद-काठी में वह वयस्क टाइगर की तरह दिखता है। उसकी हाइट और वजन अच्छा है।
एक मेल और एक फीमेल टाइगर छोड़ रहेः वन मंत्री
वन मंत्री विजय शाह ने कहा- आज माधव नेशनल पार्क में एक मेल और फीमेल टाइगर को आज छोड़ रहे हैं। इसके बाद तीन और बाघों को यहां रिलीज किया जाएगा। अभी पांच टाइगर को छोड़ने का प्लान है। जरूरत पड़ने संख्या को और बढ़ाया जाएगा। हालांकि, हमें उम्मीद है कि पांच टाइगर छोड़ने के बाद और बाघ रिलीज करने की जरूरत नहीं पड़ेगी। यह ग्वालियर और झांसी के बीच में है, इस कारण यहां टूरिज्म को खूब बढ़ावा मिलेगा।
सांसद बोले- टूरिज्म को बढ़ावा मिलेगा
सांसद केपी यादव ने कहा- यह बड़ी उपलब्धि है। यह युवाओं के लिए बड़ी सौगात है। हमारे यहां काेई बड़ी इंडस्ट्री नहीं है। न कोई मिनरल्स मिलते हैं। हमारे पास एक ही साधन है टूरिज्म। कूनो में चीता आए। माधव नेशनल पार्क में बाघ आ रहे हैं। अब यहां टूरिज्म बढ़ेगा। इससे रोजगार के साधन उपलब्ध होंगे।
ऐसा है माधव नेशनल पार्क
शिवपुरी जिला मुख्यालय से 12 KM दूर माधव नेशनल पार्क सटा है। पार्क विंध्याचल की पहाड़ियों पर बसा है। यह पार्क कभी मराठा, राजपूत और मुगल राजाओं के शिकार करने के लिए पसंदीदा जगह हुआ करता था। आजादी के 11 साल बाद 1958 में पार्क को राष्ट्रीय उद्यान का दर्जा मिला। शुरुआत में पार्क मात्र 167 वर्ग किलोमीटर में फैला था। बाद में 375 वर्ग किलोमीटर तक इसका विस्तार किया गया था, जो अब भी बरकरार है।
पार्क में प्रवेश के लिए दो एंट्री गेट हैं
इन गेटों में पहला NH-25 पर, जो शिवपुरी से 5 KM दूर है, जबकि दूसरा गेट NH-3 (आगरा-मुंबई रोड) पर शिवपुरी से ग्वालियर की ओर 7 KM दूर है। पार्क झीलों, जंगलों और घास के मैदानों से भरा है। माधव नेशनल पार्क में अभी नीलगाय, चिंकारा, चौसिंगा, हिरण, चीतल, सांभर और बार्किंग मृग रहते हैं। इसके अलावा तेंदुए, भेड़िया, सियार, लोमड़ी, जंगली कुत्ता, जंगली सूअर, शाही, अजगर आदि जानवर पार्क में देखे जाते हैं।