BHOPAL. खेलो इंडिया यूथ गेम्स एमपी में संभावित 239 करोड़ रुपए खर्च हो रहे हैं। जिसमें से करीब आधी राशि इन खेलों पर, जबकि 118 करोड़ रुपए स्पोर्ट्स इन्फ्रास्ट्रेक्चर पर खर्च हुए हैं। यह एस्टीमेट एमपी स्पोर्ट्स डिपार्टमेंट के डायरेक्टर रविकुमार गुप्ता ने गुरुवार को मीडिया से बातचीत में बताई। खेलो इंडिया यूथ गेम्स की जोरदार ओपनिंग और खेल आरंभ होने के तीन दिन बाद आयोजकों ने मीडिया से बात करने का समय निकाला। जिसमें स्पोर्ट्स डायरेक्टर गुप्ता ने बताया कि इन खेलों के आयोजन से हम और विभाग के अधिकारी-कर्मचारियों को बड़े खेल आयोजन कराने का एक्सपीरियंस हो रहा है। अब हम राष्ट्रीय खेल तो करा ही सकते हैं। इसके अलावा यदि देश में एशियन गेम्स या ओलंपिक खेल होते हैं, तो उसमें भी मध्यप्रदेश पार्टीसिपेशन करने को पूरी तरह तैयार है।
आठ गोल्ड और तीन सिल्वर सहित 11 मेडल जीते
उन्होंने बताया कि इन खेलो में आज तब मेजबान मध्यप्रदेश ने आठ गोल्ड और तीन सिल्वर सहित 11 मेडल जीत लिए हैं। पिछले बार इन खेलों में मध्यप्रदेश 12 गोल्ड, 11 सिल्वर सहित कुल 38 मेडल जीतने के साथ आठवें स्थान पर रहा था। हालांकि, उन्होंने यह नहीं कहा कि मध्यप्रदेश पदक तालिका में टॉप में रहेगा। बस, इतना बताया कि मध्यप्रदेश इस बार बेहतर प्रदर्शन करेगा। उन्होंने कहा, नक्सल प्रभावित क्षेत्र बालाघाट और मंडला में भी इन खेलों की कुछ स्पर्धाएं हो रही हैं, उन्होंने बताया कि बालाघाट में हो रही बालिका फुटबाल में मध्यप्रदेश ने आज 17 गोल से मैच जीता है।
केंद्र से मिले 44 करोड़ रुपए
इन खेलों के बजट के सवाल पर स्पोर्ट्स डायरेक्टर गुप्ता ने बताया कि केंद्र सरकार से अभी तक करीब 44 करोड़ रुपए प्राप्त हो चुके हैं। इन खेलों पर कुल करीब 220 करोड़ रुपए में जीएसटी आदि लगाकर 239 करोड़ रुपए खर्च होंगे। इसमें से 118 करोड़ रुपए इन खेलों के लिए तैयार इन्फ्रास्ट्रक्चर पर खर्च हुए हैं। जिसमें तात्या टोपे स्टेडियम परिसर में स्थित मल्टीपरपज हॉल के रेनोवेशन,महेश्वर में सलालम सेंटर तक रोड आदि के निर्माण, मंडला में स्टेडियम में निर्माण पर यह राशि खर्च हुई है। मल्टीपरपज हॉल में बॉक्सिंग स्पर्धा चल रही है और बाद में कुश्ती के मुकाबले होंगे। महेश्वर में नर्मदा की सहस्त्र जलधारा में सलालम की स्पर्धा 6-7 फरवरी को होगी। मंडला में गटका और थांग-टा खेल की स्पर्धाएं होंगी। उन्होंने बताया कि इन खेलों के बड़े स्तर पर प्रचार-प्रसार के लिए 11 खेल स्पर्धाओं का सीधा प्रसारण किया जा रहा है।
खेलों का मकसद- प्रदेश से निकले टैलेंट
प्रेस कॉन्फ्रेंस में मौजूद प्रिंसिपल सेक्रटरी स्पोर्ट्स, दीप्ति गौड मुखर्जी ने बताया कि हम खिलाड़ियों पर अतिरिक्त दबाव नहीं बनाना चाहते हैं। जिससे वे अपने इवेंट्स में एकग्रता से फोकस कर सकें। हम सबसे उम्मीद करते हैं कि यदि खिलाड़ी आठवें अर्थात अंतिम स्थान पर भी आए तो उसे प्रोत्साहित करना चाहिए। स्पोर्ट्स डायरेक्टर गुप्ता ने भी इसमें अपनी सहमति जोड़ी। इन खेलों का उद्देश्य ही देश और प्रदेशों के लिए टैलेंट सर्च करना है और फिर उसे तराशना है। मुखर्जी ने बैडमिंटन में मध्यप्रदेश के क्लीन स्वीप अर्थात सूपड़ा साफ होने पर एक तरह से सफाई दी। यहां बता दें, मध्यप्रदेश के ग्वालियर में 2007 अर्थात 15 साल से राज्य बैडमिंटन अकादमी संचालित हैं। जिसके चीफ कोच कई साल तक पुलेला गोपीचंद रहे हैं और वर्तमान में भी उन्हीं के चेलों पर अकादमी में कोचिंग का भार है। गोपीचंद, ओलंपिक ब्रांज मेडलिस्ट साइना नेहवाल और सिल्वर मेडलिस्ट पीवी सिंधु सहित कई अंतर्राष्ट्रीय शटलर्स के कोच हैं।
एमपी के 56 एथलीट्स को मिला योजना का लाभ
खेलो इंडिया यूथ गेम्स 2018 से प्रारंभ हुए हैं और मध्यप्रदेश में 30 जनरवरी से 11 फरवरी तक इन खेलों का पांचवां आयोजन हो रहा है। यानी अब तक एमपी के 56 एथलीट्स को इन खेलों की स्कोरशिप स्कीम से जोड़ा गया है। यह जानकारी फिट इंडिया की डिप्टी डायरेक्टर जनरल एकता विष्ट ने की। उन्होंने बताया कि इस योजना में 3000 एथलीट्स को जोड़ना है। उसमें से इस साल अभी 500 एथलीट्स का चयन करेंगे। इसके लिए बाकायदा खेलो इंडिया की टैलेंट कमेटी हर इवेंट में पहुंच कर खिलाड़ियों को लिस्टेड कर रही है। इसमें जरूरी नहीं है कि केवल मेडलिस्ट बच्चों को ही चुना जाए। कमेटी को यदि लगता है कि बच्चा आगे कुछ अच्छा कर सकता है, तो नीची रैंकिंग वाले खिलाड़ियों का भी चयन किया जा सकता है। उन्होंने कहा, मध्यप्रदेश अच्छी मेजबानी कर रहा है। भारत सरकार और भारतीय खेल प्राधिकरण दोनों बेहद खुश है।