शिवपुरी. मध्यप्रदेश के पंचायतों चुनावों (mp panchayat election story) में लोकतंत्र का मजाक बनाया जा रहा है। ताजा मामला शिवपुरी जिले के कोलारस तहसील के इमलावदी गांव (Imlavadi village sarpanch election) का है। यहां की ग्राम पंचायत के सरपंच का पद आदिवासी वर्ग के लिए रिजर्व (Tribal Reserve seat) था। ऐसे में यादव बाहुल्य गांव में सरपंची के लिए नई तरकीब निकाली गई। यहां दूसरे वर्ग के एक व्यक्ति ने मंदिर के जीर्णोद्धार के लिए 31 लाख रुपए दिए हैं। इस कारण वह किसी आदिवासी व्यक्ति को डमी सरपंच बनाकर खुद राज करेगा।
बोरी भरकर ले गया था पैसे
इसके लिए गांव के हनुमान मंदिर में सरपंच के लिए बोली लगाने के लिए गांव का एक व्यक्ति बोरी भरकर पैसे ले गया। इन पैसों को गिना गया तो 31 लाख पर गिनती खत्म हुई। साथ ही समझौता हुआ कि सरपंच बनने के बाद जो आय होगी, उसका एक हिस्सा मंदिर के लिए दान दिया जाएगा। इसके बाद पूरे गांव में बतासे बांटकर उसके सरपंच बनने का जश्न मनाया गया। इसी तरह की चुनाव प्रक्रिया के लिए चंबल में गोली (परची)-बोली शब्द प्रचलित हो रहा है। ऐसे में सवाल पैदा होता है कि जो व्यक्ति 31 लाख रूपए देकर सरपंच बन रहा है। वह पंचायत में आने वाली निधि का कितना उपयोग पंचायत के विकास में खर्च करेगा?
जिम्मेदार अधिकारी ये बोले
शिवपुरी कलेक्टर (Shivpuri Collector) अक्षय कुमार सिंह ने बताया कि लोकतंत्र (Democracy) में इसे बिल्कुल भी उचित नहीं कहा जा सकता है। यह जांच का विषय है। मुझे भी इसकी जानकारी मिली है और राजस्व के अमले को वहां जांच के लिए भेजा दिया है। वे वहां पूछताछ कर रहे हैं। वहीं, गांव हरवीर सिंह यादव का कहना है कि चुनाव आते ही गांव में शराब और मांस बंटना शुरू हो जाता है। शराब पीकर इस दौरान रात में झगड़े भी होते हैं। जब गांव में सबकी सहमित से चुनाव हो गए तो विवाद का कोई कारण ही नहीं बनता।
द-सूत्र ऐप डाउनलोड करें :
द-सूत्र को फॉलो और लाइक करें:
">Facebook | Twitter | Instagram | Youtube