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देव श्रीमाली, GWALIOR. अपवाद को छोड़ दिया जाए तो यह ग्वालियर देश का इकलौता शहर है जहां से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की काबीना में दो-दो पॉवरफुल मंत्री और प्रदेश की शिवराज सरकार में जिले से तीन मंत्री होने के बावजूद ग्रीन फील्ड सिटी की दौड़ से ग्वालियर को बाहर कर दिया गया। इस परियोजना को ग्वालियर की किस्मत खुलने वाला माना जाने वाला था। इसमें एक हजार करोड़ रुपए मिलने से बड़ा और आधुनिक शहर और व्यवसायिक एरिया विकसित होना था। इस प्रोजेक्ट को ग्वालियर को मिलने की पूरी संभावनाएं थी क्योंकि उसमें वांछित भूमि और अन्य जरूरतें पूरी हो रहीं थी, लेकिन भोपाल की सियासत में जाकर ग्वालियर कमजोर पड़ गया। एक्सपर्ट इसे राजनीतिक इच्छा शक्ति की कमी का परिणाम मानते है जबकि मेयर ने सीएम को चिट्ठी लिखकर इस भेदभाव पूर्ण रवैये को छोड़ इसमें ग्वालियर को शामिल करने की मांग की वहीं इससे सियासी माहौल गरमा गया है। कांग्रेस इसे बीजेपी की अंदरूनी गुटबाजी का कुफल बता रही है।
क्या है यह ग्रीन फील्ड सिटी
जिस तरह से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने स्मार्ट सिटी योजना लागू की थी उसकी अगली कड़ी में मोदी ग्रीन फील्ड सिटी की एक और महत्वाकांक्षी योजना लांच कर रहे हैं। स्मार्ट सिटी में जहां शहरों का इंफ्रास्ट्रक्चर विकसित करने का प्लान है वहीं ग्रीन फील्ड सिटी में मॉडल के रूप में एक अत्याधुनिक सुविधाओं वाली पूरी टाउनशिप विकसित की जाएंगी जिसमें रोजगार मूलक सेक्टर भी स्थापित होंगे। इस सिटी के लिए केंद्र सरकार एक हजार करोड़ रुपए की राशि प्रदान करेगी और जमीन राज्य सरकार को उपलब्ध कराना होगी।
आठ प्रदेशों का चयन किया गया
ग्रीन फील्ड सिटी के लिए देश के आठ राज्यों का चयन किया गया है। इनमे मध्यप्रदेश भी शामिल है। शहरी विकास मंत्रालय द्वारा आठ ग्रीन फील्ड सिटी तैयार करने के लिए हरेक के लिए एक एक हजार करोड़ की राशि मिलेगी। इस प्रोजेक्ट के लिए तीन शहरों ग्वालियर, इंदौर और जबलपुर ने प्रस्ताव तैयार करके भोपाल में प्रजेंटेशन दिया था, लेकिन यहां ग्वालियर को बाहर कर पीथमपुर (इंदौर) और जबलपुर का प्रस्ताव ही भारत सरकार को भेजने का निर्णय लिया गया। इसका प्रोजेक्ट बनाने का काम शासन स्तर पर सुप्रसिद्ध इवाय कम्पनी को सौंपा गया था।
क्यों ग्वालियर का दावा मजबूत था ?
ग्वालियर में यह सिटी बसाने का काम साडा क्षेत्र में प्रस्तावित किया गया था। इसमें ग्वालियर का दावा अनेक कारणों से मजबूत माना जा रहा था। इसका प्रजेंटेशन देते समय साडा के चेयरमैन संभागीय आयुक्त दीपक सिंह का दावा था कि इसके लिए एकमुश्त 650 हैक्टेयर जमीन चाहिए जो बाकी दोनों शहरों के पास नहीं है जबकि साडा में इसके लिए 650 एकड़ भूमि आरक्षित की है। एक और बड़ी वजह यह थी कि यह जगह बहुत उपयुक्त भी है। एक तो एनसीआर का हिस्सा है, दिल्ली से बहुत नजदीक है, आगरा-मुम्बई राष्ट्रीय राजमार्ग से एकदम सटी हुई है और इसके पास से ही वेस्टर्न बायपास गुजरने वाला है। इससे एकदम लगे एरिया में आईटीबीपी और एसएसबी जमीन ले चुका है। इसके अलावा प्रशासन ने एयरपोर्ट से साडा तक सीधे फोरलेन सड़क बनाने का प्रोजेक्ट भी आनन-फानन में तैयार किया था।
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सिंधिया ने भी लिखी थी चिट्ठी
ग्रीन फील्ड सिटी परियोजना में ग्वालियर को शामिल करने के लिए केंद्रीय नागरिक उड्डयन मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया ने भी प्रयास किए थे और शासन को पत्र भेजकर ग्वालियर को भी इस परियोजना की दावेदारी में शामिल करने के लिए कहा था। तब दावा किया जा रहा था कि इस आधार पर ही इंदौर के पीथमपुर, देवास व ग्वालियर का चयन किया गया है। लेकिन भोपाल में सिंधिया की चिठ्ठी को कोई तबज्जो नही मिली ग्वालियर का नाम आगे न बढ़ाने का फैसला लिया। अब पीथमपुर और जबलपुर के प्रस्ताव केंद्र सरकार को भेजने का फ़ैसला लिया गया।
ग्वालियर की दावेदारी इन वजहों से ग्रीन फील्ड सिटी की दौड़ से खारिज हुई
-साडा की आर्थिक स्थिति पहले से खराब है। यहां ग्रीन फील्ड योजना में इलेक्ट्रानिक क्लस्टर के लिए शासन से 100 करोड़ रुपए मांगे जाने थे, जबकि पीथमपुर व जबलपुर में ऐसी स्थिति नहीं है। जी-20 और इंवेस्टर्स समिट का सफल आयोजन इंदौर में किया गया। ऐसे में इंदौर की दावेदारी ज्यादा मजबूत हुई है।
- ग्वालियर में इंवेस्टर्स लाने के लिए अलग से प्रयास करने होंगे, जबकि इंदौर में अब बड़ी कंपनियां निवेश के लिए तैयार हैं। ग्रीन फील्ड सिटी योजना में एक हजार करोड़ रुपये मिलने पर इंदौर को मुंबई और पुणे के समकक्ष पहुंचाने में ज्यादा आसानी होगी।
-पीथमपुर में औद्योगिक क्षेत्र पहले से विकसित है, ऐसे में वहां नए उद्योग लाने में भी आसानी होगी।
मुख्य सचिव का वोट पीथमपुर को
इस मामले में मुख्य सचिव इकबाल सिंह बैंस का वोट इंदौर के पीथमपुर के खाते में गया है। पूर्व में साडा में किए गए निवेश के बावजूद यह इलाका वीरान होने के कारण यहां अतिरिक्त प्रयास करने की जरूरत होगी। इसको देखते हुए मुख्य सचिव ने पीथमपुर और जबलपुर के नाम आगे बढ़ाने का निर्णय लिया था। इसके बाद नगरीय प्रशासन विभाग ने अंतिम प्रस्ताव तैयार कर लिया है।
विशेषज्ञ बोले- राजनीतिक इच्छा शक्ति से मिलते हैं ऐसे प्रोजेक्ट
ग्वालियर, इंदौर और उज्जैन नगर निगम के कमिश्नर रह चुके अधोसंरचना विशेषज्ञ सेवा निवृत्त आईएएस विनोद का कहना है कि ग्रीन फील्ड सिटी ग्वालियर को मिलने से न केवल ग्वालियर बल्कि, समूचे अंचल की प्रगति के बड़े रास्ते खुल जाते। अंचल को बड़े व्यावसायिक और औद्योगिक केनवास पर जगह मिल जाती। इससे वर्षों से आबाद होने को तरस रहे साडा की बसाहट भी शुरू हो जाती। प्रोजेक्ट अच्छा और आकर्षक था, लेकिन बड़े प्रोजेक्ट राजनीतिक इच्छाशक्ति से मिलते हैं जो इस मामले में दिखाई नहीं दी।
ग्वालियर में सियासी घमासान, मेयर बोली- यह भेदभाव का एक और उदाहरण है
जैसे ही ग्वालियर का नाम ग्रीन फील्ड सिटी की दौड़ से बाहर करने की खबर आई वैसे ही की सियासत गरमा गई। मेयर डॉ. शोभा सिकरवार ने कहा कि यह सरकार द्वारा ग्वालियर के साथ किये जाने वाले भेदभाव का ही एक और नमूना है। उन्होंने कहा कि इसके लिए सबसे पहला चयन ग्वालियर का ही हुआ था, लेकिन अब ऐसी क्या वजह है कि राज्य सरकार ग्वालियर का प्रस्ताव ही नहीं भेज रही? उन्होंने कहा कि वे सीएम शिवराज सिंह को चिट्ठी लिखेंगी, केंद्रीय मंत्रियों से मिलकर इस अन्याय को बन्द कर ग्वालियर को ग्रीन फील्ड सिटी में शामिल करने का आग्रह करेंगी और अगर वे नहीं माने तो जनता के साथ मिलकर संघर्ष करेंगे।
मंत्री झांक रहे हैं बगलें
इस मामले में बीजेपी बचाव की मुद्रा में है। बीती रात अल्प प्रवास पर ग्वालियर पहुंचे केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर से जब इस पर सवाल किया तो वे बगलें झांकने लगे और इस मामले पर कुछ भी बोलने से कतराते दिखे। वहीं ऊर्जा मंत्री प्रद्युम्न सिंह तोमर ने भी कोई संतोषजनक जवाब नहीं दिया। उन्होंने गोलमोल जवाब दिया। बोले- प्रदेश के हर शहर का जरूरत के अनुसार विकास होना है। हमारा वरिष्ठ नेतृत्व सिंधिया, शिवराज और नरेंद्र तोमर ग्रीन फील्ड सिटी के लिए सामूहिक प्रयास करेंगे। प्रदेश के उद्यानिकी मंत्री बोले यह सही है कि ग्वालियर इससे बाहर हो गया है और हम फिर प्रयास करेंगे और उम्मीद है कि इस प्रतिस्पर्धा को भी जीतेंगे।
कांग्रेस ने शुरू किया आंदोलन
चुनाव का साल है और अब कांग्रेस इस मामले को राजनीतिक लाभ लेने की कोशिश में जुट गई है। आज कांग्रेस कार्यकर्ताओं ने आज सुनील शर्मा के नेतृत्व में धरना दिया। उन्होंने कहा कि बीजेपी की गुटबाजी में शहर का कोई धनिधौरी नहीं बचा और इसीलिए ग्रीन सिटी प्रोजेक्ट चला गया।
कलेक्टर बोले- साडा का विकास करेंगे
कलेक्टर कौशलेंद्र विक्रम सिंह का कहना है कि यह जानकारी मिली है कि ग्रीन फील्ड सिटी प्रोजेक्ट से ग्वालियर का नाम नहीं जा रहा है, लेकिन हम साडा के विकास के लिए प्रयास करेंगे।