उज्जैन का महाकाल मंदिर बनेगा जीरो वेस्ट परिसर, कचरे को 3R टेक्नीक से किया जाएगा रिसाइकिल; कचरे से बनने वाली खाद पौधों के आएगी काम

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Vijay Choudhary
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उज्जैन का महाकाल मंदिर बनेगा जीरो वेस्ट परिसर, कचरे को 3R टेक्नीक से किया जाएगा रिसाइकिल; कचरे से बनने वाली खाद पौधों के आएगी काम

UJJAIN. उज्जैन के महाकाल मंदिर में महाकाल लोक के लोकार्पण के बाद से ही मंदिर में आधुनिक सुविधाएं लगातार बढ़ती जा रही हैं। अब मंदिर में पहला जीरो वेस्ट परिसर बनने जा रहा है। मंदिर से निकलने वाले कचरे को 3R टेक्नीक से रिसाइकिल किया जाएगा। इससे बने खाद से महाकाल लोक का गार्डन हरा-भरा होगा। इसकी शुरुआत 15 फरवरी से हो जाएगी। मंदिर परिसर को जीरो वेस्ट करने को लेकर महाकाल मंदिर प्रशासक संदीप सोनी ने कोशिश शुरू कर दी हैं। उन्होंने आसपास की दुकानों को नोटिस देकर सिंगल यूज प्लास्टिक पर रोक लगाने के आदेश दिए हैं। जल्द ही मंदिर से निकलने वाले गीला और सूखे कचरे को रिसाइकिल कर उससे खाद बनाने के लिए प्लांट लगाया जाएगा। मंदिर से निकलने वाले कचरे को इसी प्लांट के जरिए प्रोसेस किया जाएगा।



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ये है जीरो वेस्ट प्रक्रिया



जीरो वेस्ट वह प्रक्रिया है, जो किसी भी घर परिसर, फैक्ट्री या जगह से निकलने वाले कचरे को रिसाइकिल कर उसे काम में लाने वाला बनाया जा सके।



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पार्किंग सरफेस एरिया में OWC प्लांट लगाया जाएगा



महाकाल मंदिर के प्रशासक संदीप सोनी ने बताया कि महाकाल लोक के पार्किंग सरफेस एरिया में ORGANIC WASTE TO COMPOS (OWC) प्लांट लगाया जाएगा। इसकी मदद से मंदिर से निकलने वाले कचरे को यहीं पर 3R ( Reduce, Reuse, Recycle) टेक्नीक के माध्यम से गीले और सूखे कचरे का निपटारा किया जाएगा। खास तौर पर अन्न क्षेत्र और मंदिर में फूलों के वेस्ट से खाद बनाई जाएगी। महाकाल लोक का पहला फेज पूरा होने के बाद मंदिर परिसर का क्षेत्रफल बढ़ गया है। यहां आने वाले श्रद्धालुओं की संख्या भी बढ़ गई है। वर्तमान में रोजाना करीब 60 हजार लोग दर्शन करने आते हैं। शनिवार-रविवार और सोमवार को सवा लाख लोग दर्शन करते हैं। श्रद्धालुओं के बढ़ने से कचरा भी ज्यादा निकलेगा।



रोज 4 क्विंटल फूल अर्पित करते हैं भक्त



मंदिर में रोज आने वाले भक्त भगवान महाकाल को 4 क्विंटल के आसपास फूल चढ़ाते हैं। मंदिर समिति के अन्न क्षेत्र में करीब 5 हजार भक्त अन्न प्रसादी ग्रहण करते हैं। यहां से करीब एक क्विंटल वेस्ट निकलता है। इस तरह कुल 5 क्विंटल से ज्यादा कचरा निकलता है। इसके अलावा सूखा कचरा अलग है।



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निगम की प्रोसेसिंग यूनिट भेजा जाता था कचरा



अब तक मंदिर से निकलने वाले कचरे को नगर निगम की प्रोसेसिंग यूनिट भेजा जाता था। इससे यहां खाद बनाई जाती थी। लेकिन पूरा कचरा नहीं भेजा जाता था। अब प्रोसेसिंग प्लांट लग जाने से पूरे कचरे का निस्तारण मंदिर परिसर में ही किया जा सकेगा।



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गीले कचरे से बनने वाली खाद हजारों पौधों के काम आएगी



महाकाल लोक समेत मंदिर परिसर में बड़ी संख्या में पौधे हैं। इनको सुरक्षित रखने के लिए मंदिर समिति दूसरी जगह से खाद को खरीदती है, लेकिन प्लांट लगने के बाद गीले कचरे से बनने वाली खाद यहां लगे हजारों पौधों के काम आएगी। सभी दुकानों से निकलने वाले कचरे का ऑडिट कराया गया है। इस कचरे को ओडब्लूसी प्लांट से प्रोसेस किया जाएगा। इससे निकलने वाली खाद को महाकाल लोक के गार्डन में लगे हजारों पौधों के उपयोग में लाई जाएगी। इससे गार्डन हरा-भरा होगा। महाकाल मंदिर परिसर से निकलने वाले सूखे कचरे प्लास्टिक बोतल, थैली समेत प्रसाद में उपयोग होने वाला प्लास्टिक का पैकेट और कचरे को भी यहीं प्रोसेस कर किसी फैक्ट्री या रिसाइकिल यूनिट को दिया जाएगा। अब जो भी कचरा मंदिर से निकलेगा, वो मंदिर में ही प्रोसेस कर उपयोगी बना दिया जाएगा।


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