इंदौर में यूनानी महिला डॉक्टर ने खुद को स्त्री रोग विशेषज्ञ बताकर करा दी डिलीवरी, पुलिस ने डॉक्टर और अस्पताल संचालक पर किया केस

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The Sootr
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इंदौर में यूनानी महिला डॉक्टर ने खुद को स्त्री रोग विशेषज्ञ बताकर करा दी डिलीवरी, पुलिस ने डॉक्टर और अस्पताल संचालक पर किया केस

संजय गुप्ता, INDORE. इंदौर में यूनानी महिला डॉक्टर (बीयुएमएस) द्वारा एक महिला की डिलेवरी कराने और इससे नवजात की जान पर बन जाने का मामला सामने आया है। फरियादी महिला की शिकायत पर पंढरीनाथ थाने में महिला डॉक्टर फरहानाज के साथ ही जिस अस्पताल में डिलेवरी हुई सेवालय अस्पताल के संचालक डॉ. विशाल डबकरा के खिलाफ केस दर्ज हो गया है। लेकिन धाराएं आईपीसी और 338 ही लगी है, जिसमें अधिकतम दो साल की सजा है और एक हजार रुपए का अर्थदंड।



डिलीवरी कराने में गड़बड़ी के चलते नवजात की आंख की रोशनी गई



इस मामले में फरियादी महिला की शिकायत पर सीएमएचओ द्वारा भी जांच कराई गई थी। इसमें सभी के बयान पर सामने आया कि महिला डॉक्टर ने खुद की पर्ची पर स्त्री रोग विशेषज्ञ लिखा हुआ है और यूनानी डॉक्टर होने का कहीं भी जिक्र तक नहीं किया है। डिलेवरी को लेकर शिकायत की गई थी कि अपात्र यूनानी चिकित्सक द्वारा प्रसूति के दौरान शिशु को खींचकर निकालने, चोट लगने से नवजात के पूरे शरीर में इंफेक्शन हो गया और इसके चलते एक आंख की रोशनी चली गई। नवजात की मां ने प्रसूति में लापरवाही को लेकर मानव अधिकार आयोग, मुख्य चिकित्सा अधिकारी, पुलिस आयुक्त और इंदौर कलेक्टर को की थी लिखित शिकायत की थी।



इंदौर के चंदन नगर क्षेत्र के मदर केयर क्लिनिक की यूनानी चिकित्सक एवं संचालिका डॉ फराहनाज़ जिन्हें ऑपरेशन और टांके लगाने की पात्रता ना होते हुए भी चीरा लगा कर करवाई थी प्रसूति। इंफेक्शन से नवजात की आंखों को बचाने के लिए 5 हजार रुपये रोज के इंजेक्शन आंखों में लगे,उसके बावजूद बच्चे की एक आंख की रोशनी चली गई। उपचार के दौरान माता-पिता के पांच लाख रुपए खर्च हो चुके हैं। 



एफआईआर में यह लिखा हुआ है



 पंढरीनाथ थाने में एफआईआर क्रमांक 59/23 दर्ज हुई है, धारा 337 और 338 में सेवालय अस्पताल के संचालक डॉ. विशाल डबकरा निवासी छत्रीबाग और डॉ. फरहानाज संयोग निवासी चंदननगर पर केस हुआ है। घटना 13 नवंबर 2022 की है। एफआईआर में यह लिखा है- फरियादी मुंजिला मंसूरी है-  जांच के बाद समिति इस निष्कर्ष पर पहुंची है कि यह केस प्रोलाग लेबर  का था औऱ् बाद में बच्चे में उत्पन्न हुई विविध जटिलताओं से यह प्रमाणित भी होता है। प्राईमी पेशेंट की डिलेवरी के समय प्रसूता व गर्भस्थ बच्चे की प्रापर मॉनीटरिंग ना होना स्त्री रोग विशेषज्ञ का प्रसव के समय स्वयं उपस्थित न होकर तथाकथित मात्र दूरभाष द्वारा निर्देशों से प्रसव को संचालित करना अस्पताल प्रबंधन की लापरवाही दर्शता है। 



गंभीर धाराएं लगने की है मांग



पीड़ित महिला के अधिवक्ता अब्दुल हसीब काजी ने कहा कि अभी पुलिस ने काफी छोटी धाराएं लगाई है, इसमें सजा और जुर्माना ना के बराबर है। हमारी मांग है कि यह पूरा फर्जीवाड़ा है, पीड़ित को गलत डिग्री बताई गई और गलत डिलेवरी कराई गई, इसलिए इसमें चार सौ बीसी, गलत दस्तावेज तैयार कराने के साथ ही अन्य गंभीर धाराएं लगना चाहिए।


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