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देव श्रीमाली, GWALIOR. पूरी दुनिया प्रेम के प्रतीक संत वैलेंटाइन की याद में वैलेंटाइन दिवस मनाती है। यूं तो ताजमहल को प्रेम का अनूठा स्मारक माना जाता है, लेकिन ग्वालियर में स्थित स्मारक भी अपनी तरह का है। यह एक राजा की एक आम लड़की से प्रेम की कहानी हैं। इसमें विछोह और मिलन की रोमांचक दास्तान छिपी है।
खूंखार जंगली भैंसें से लड़ती दिखी थी गूजरी
राजा अपने भ्रमण के दौरान एक खूंखार जंगली भैंसें से लड़ते हुए एक गांव की लड़की को देखते है। फिर उसकी वीरता के इतने कायल हो जाते है कि उससे विवाह का प्रस्ताव रख देते है। लड़की विवाह के बदले अपनी तीन शर्तें रखती हैं। लड़की की सबसे बड़ी शर्त रहती है कि महल में वह अपने ही गांव का पानी पिएगी। राजा द्वारा उसकी मांग पूरी करने पर वह महलों की रानी बन जाती है और कहलाती है- मृगनयनी। यह किस्सा है ग्वालियर के राजा मानसिंह तोमर और निन्नी की प्रेम कहानी की।
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ऐसे हुई इस अमर प्रेम कहानी की शुरुआत
ग्वालियर के राजा मानसिंह तोमर को लेकर अनेक इतिहासकारों से लेकर साहित्यकारों तक ने लिखा। महान साहित्यकार वृंदावन लाल वर्मा ने इसको लेकर एक बेहद ही लोकप्रिय और चर्चित उपन्यास लिखा था, जिस पर एक शॉप ओपेरा भी बनाया गया। लेकिन यह प्रेम कहानी है ही इतनी गहराइयों में डूबी हुई कि कितनी भी पढ़ी और कही जाए सदैव अनकही सी ही लगती है। जीवाजी यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर और इतिहासकार प्रोफेसर राम अवतार शर्मा कहते हैं कि यह सिर्फ एक प्रेम कहानी नहीं बल्कि इसमें शौर्य, पराक्रम और सौंदर्य का अनूठा सम्मिश्रण है। वे बताते हैं कि लगभग 14वीं शताब्दी में ग्वालियर पर राज करने वाले राजा मानसिंह तोमर अपनी प्रजा का हाल जानने के लिए वह लाव-लश्कर के साथ भ्रमण पर निकले थे। तब ग्वालियर के आसपास गहरा और घना वन खंड था और चारों तरफ बलुई पत्थर के ऊंचे-ऊंचे पहाड़ भी। वर्तमान में जहां तिघरा डैम बना है, उसी के समीप एक राई गांव था जो कि 7 नदी के किनारे बसा हुआ था। राजा का काफिला जब इस दुरूह इलाके से गुजर रहा था तभी एक रोमांचक नजारा देखने को मिला। राजा मानसिंह तोमर ने देखा कि छरहरे बदन वाली एक युवती जिसके नाक नक्श बहुत ही सुंदर हैं, वह एक जंगली सांड से युद्ध कर रही है। इस दृश्य को देखने के लिए राजा वहीं ठहर गए। उन्होंने देखा कि कुछ ही देर में उस युवती ने उस सांड को बुरी तरह पछाड़ दिया और सांड अपने स्थान से विपरीत दिशा में भाग गया ।
सौंदर्य और वीरता के कायल हुए महाराज
किंवदंतियां है कि इस घटना से महाराज तोमर इतने प्रभावित हुए कि उस पराक्रमी और बला की खूबसूरत युवती के सामने विवाह का प्रस्ताव रख दिया। लेकिन उस युवती ने सीधे तौर पर महाराज से विवाह करने के लिए मना कर दिया। ग्वालियर रियासत के तत्कालीन महाराज को विवाह के लिए मना करने का साहस देख राजा और भी कायल हो गए। इस बीच वहां एकत्रित हुए ग्रामीणों यहां तक कि उसके परिजनों ने भी लड़की को समझाया, लेकिन वह टस से मस नहीं हुई। महाराज ने उससे नाम पूछा तो उसने बताया निन्नी... निन्नी गूजरी। महाराज ने निन्नी के परिजनों के पास प्रस्ताव भिजवाया। परिजनों ने भी निन्नी को समझाया कि यह प्रस्ताव किसी आम व्यक्ति की तरफ से नहीं बल्कि स्वयं राजा की ओर से आया है और उन्हें प्रस्ताव मान लेना चाहिए। परिवार से मिली समझाइश इसके बाद निन्नी विवाह के लिए तैयार तो हुई, लेकिन उन्होंने राजा के समक्ष तीन शर्ते रख दी और बोली कि अगर वे उसकी ये शर्ते पूरी कर देंगे तो ही वह राजा से शादी करेगी।
वे तीन कौन सी थी शर्तें?
पहली एक उसके सौंदर्य की वजह उसके गांव का पानी है। वह महल में भी अपने गांव का ही पानी पिएगी। दूसरी वह आलीशान महल में नहीं रहेगी, बल्कि सादा महल में रहेगी। तीसरी शर्त थी कि वह अन्य रानियों के साथ महल के निवास में कैद होकर नहीं रहेगी बल्कि हर समय रणभूमि में भी आपकी छाया बनकर रहेंगे। प्रेम में आसक्त राजा ने उसकी तीनों शर्तें मान ली, लेकिन इनका पूरा करना आसान नहीं था। खासकर राई गांव का पानी ग्वालियर के किले में उपलब्ध कराना वह भी छह सौ साल पहले तब न बिजली थी और न अत्याधुनिक उपकरण।
कैसे पूरी की राजा मानसिंह ने निन्नी की शर्तें पूरी
लड़की की पहली शर्त थी कि वह बड़े-बड़े आलीशान महलों में नहीं रहेगी, उनके लिए साधारण सा एक महल तैयार करवाया जाए। इसको पूरा करने के लिए राजा मानसिंह ने अपने किले पर ही एक महल का निर्माण कराया। इसे आज भी गूजरी महल के नाम से ही जाना जाता है और ये विश्व प्रसिद्ध मोरन्यूमेंट है। गूजरी महल स्थापत्य का बेजोड़ नमूना है, जिसमें लगभग 28 कक्ष हैं और संगीत साधना का स्थल भी। निन्नी महारानी बनकर आने और मृगनयनी बनने के बाद इसी महल में रहीं।
जल प्रेम की अनूठी प्रेम कहानी
निन्नी का अपने गांव का ही पानी पीने की शर्त जल प्रेम की अनूठी कहानी है। इतिहासकार शर्मा मानते है पहाड़ी इलाके में वर्षा का जो पानी निकलता था, उसमें शामिल मिनरल्स में सौंदर्य तत्व निखरने की बात उस अनपढ़ निन्नी को भी पता थी। इसलिए उसने कहा कि मेरे पराक्रम और सुंदर को देखकर आप सम्मोहित हुए हैं, उसका कारण इस सांक नदी का पानी है। अगर मुझे प्रतिदिन यही पानी मिलेगा तो ही मैं आपसे विवाह करूंगी। जो कि उस समय की सबसे बड़ी कठिन शर्त थी या यूं कहें कि एक प्रकार से असंभव थी। क्योंकि लगभग 16 मील लंबी दूरी को तय कर राई गांव से रोजाना पानी लाना संभव नहीं था, लेकिन राजा भी कहां मानने वाले थे। इसके लिए राजा ने राई नदी से सीधे पकी हुई मिट्टी के पाइप के जरिए किले के गूजरी महल तक एक पाइप लाइन विशेष रूप से डलवाई, ताकि वहां से यहां तक पानी लाया जा सके। राजा द्वारा लगभग 600 वर्ष पूर्व डलवाई गई, उस पाइपलाइन के साक्ष्य आज भी गूजरी महल में मौजूद है । तीसरी उनकी शर्त थी कि मैं आपकी अन्य रानियों की तरह महल में नहीं रहूंगी मैं सदैव आपके पर छाई बनकर आपके साथ रहूंगी तो वे सदैव उन्हीं के साथ रही ।
खूबसूरत बला थी मृगनयनी
वक्त के थपेड़ों के साथ संग्रहालय में तब्दील हो चुका ग्वालियर का ये वो खूबसूरत गूजरी महल है, जिसमें कभी यह बला सी खूबसूरत रानी रहा करती थी। हालांकि उनका कोई चित्र मौजूद नहीं है, लेकिन उनका संगीत कक्ष उनकी सादगी और किंवदंतिया आज भी उनके सौंदर्य के किस्से सुनाती है। किले की हर ईट, हर कोना, हर आशियाना आज भी उसके होने का एहसास कराता है और इसका अहसास पाने देश दुनिया से प्रेमी जोड़े यहां पहुंचते हैं।