मध्यप्रदेश में 30 दिन में क्या शिवराज खत्म कर पाएंगे 3 साल पुरानी शिकायतें, बीजेपी के लिए एक महीना है बहुत खास, जानिए क्यों?

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Jitendra Shrivastava
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मध्यप्रदेश में 30 दिन में क्या शिवराज खत्म कर पाएंगे 3 साल पुरानी शिकायतें, बीजेपी के लिए एक महीना है बहुत खास, जानिए क्यों?

BHOPAL. बीजेपी के लिए अग्नि परीक्षा का वक्त शुरू हो चुका है। वैसे तो चुनाव में अभी तकरीबन छह माह का वक्त है, लेकिन बीजेपी के लिए ये वक्त बहुत कम है। जो करना है वो अभी करना है। क्योंकि अब भी एक्टिव नहीं हुए तो मध्यप्रदेश में दूसरा कर्नाटक दोहराने में देर नहीं लगेगी। इसलिए अब आने वाले तीस दिन मध्यप्रदेश में बीजेपी के लिए किसी अग्नि परीक्षा से कम नहीं होने वाले हैं।





बीजेपी में शिकायत रूपी अंगारे अग्नि परीक्षा के ताप को बढ़ा रहे हैं





कार्यकर्ताओं की नाराजगी, दिग्गज नेताओं की बगावत, सत्ता संगठन में तालमेल की कमी, एंटीइंकंबेंसी- ये सब महज शिकायतें या चुनौतियां नहीं हैं। ये वो अंगारे हैं जो इस अग्नि परीक्षा के ताप को बढ़ा रहे हैं। इन अंगारों की तपिश को कम करने के लिए ठंडी बौछार जरूर होगी, लेकिन ये बौछार शिवराज सिंह चौहान या वीडी शर्मा के नाम की नहीं होगी। नए चेहरे के साथ नई दलीलें लेकर बीजेपी कार्यकर्ता और जनता से रूबरू होगी। कोशिश होगी कि अग्नि परीक्षा के अंगारे पार कर लिए जाएं ताकि 2023 की राह कुछ आसान हो जाए।





बीजेपी के लिए आने वाला एक महीना बेहद खास





बीजेपी के लिए आने वाला एक महीना बेहद अहम है। ये महीना एक तारीख से नहीं बल्कि, 30 तारीख से शुरू होगा। मई की तीस तारीख से लेकर जून की तीस तारीख तक बीजेपी का हर दिग्गज नेता एड़ी चोटी का जोर लगाएगा। ताकि, हर उस मुश्किल को खत्म कर सके जो 2023 और उसके बाद 2024 की जीत में रोड़ा बन सकती है। इन दिग्गजों में सीएम शिवराज सिंह चौहान और वीडी शर्मा सरीखे प्रदेश स्तर के बड़े नेता तो शामिल होंगे ही। पीएम नरेंद्र मोदी का भी बड़ा दौरा होगा।





कार्यक्रमों को जरिए बीजेपी हर इकाई को एक्टिव करेगी





23 जून को श्यामा प्रसाद मुखर्जी की पुण्यतिथि के मौके पर पीएम मोदी देशभर के दस लाख बूथों पर वीसी के जरिए जुड़ने वाले हैं। इसमें मध्यप्रदेश के बूथ भी शामिल होंगे। इससे पहले 21 जून को योग दिवस पर पार्टी के बड़े नेताओँ सामूहिक भोज करेंगे। संयुक्त सम्मेलन, हितग्राही सम्मेलन और घर-घर संपर्क अभियान भी होगा। बीजेपी के वरिष्ठ नेता 52 रैलियों के जरिए 396 लोकसभा सीटों पर जाएंगे। 250 विशिष्ट परिवारों से भी संपर्क होगा। इन परिवारों में खेल, कला, उद्योग और शहीदों के परिवार शामिल होंगे। कुल जमा ऐसे कार्यक्रम होंगे जिसके जरिए बीजेपी की एक-एक इकाई एक्टिव हो जाए। कार्यकर्म के फोकस में तो लोकसभा सीटें हैं, लेकिन मध्यप्रदेश की विधानसभा सीटें भी इससे अछूती नहीं रहेंगी। जहां कार्यकर्ताओं से जुड़ने और जोड़ने का सिलसिला फिर शुरू होगा। खास बात ये होगी कि इस बार नाराज कार्यकर्ताओं को मनाने के लिए नरेंद्र मोदी के लोकप्रिय चेहरे पर दांव खेला जाएगा। 





लाड़ली बहना योजना का लिटमस टेस्ट भी जून में 





प्लानिंग 2024 को फोकस में रख कर की गई है, लेकिन ये एक महीना मध्यप्रदेश में बीजेपी की सत्ता के लिए भी खास साबित होगा। बीजेपी फिलहाल कई मोर्चों पर निढाल है। अपनों की नाराजगी और बगावत ही अब प्रदेश स्तर पर संभाल पाना मुश्किल हो रहा है। कैबिनेट मंत्री और विधायकों को लेकर कार्यकर्ताओं में जबरदस्त नाराजगी है। इन सबको दूर करने के लिए इस एक महीने में पीएम मोदी के चेहरे का जमकर इस्तेमाल होगा। लाड़ली बहना योजना का लिटमस टेस्ट भी पहली किश्त बंटने के साथ ही हो जाएगा। सबसे बड़ा दांव किसानों पर है। जो पिछली बार कांग्रेस के साथ निकल गए थे। इस बार खुद पीएम मोदी अपने हाथों से उन्हें सौगात देने इन्हीं 30 दिनों में मध्यप्रदेश आएंगे। एक अप्रैल को आए थे कोशिश विंध्य की नाराजगी दूर करने की थी। इस बार आएंगे तो बुंदेलखंड के गिले शिकवे मिटाएंगे। 





मोदी सरकार के नौ साल पूरे होने का जश्न मनाकर कार्यकर्ताओं में नई ऊर्जा फूंकने की कोशिश





मोदी सरकार के नौ साल पूरे होने पर बीजेपी हर लोकसभा सीट पर अलग-अलग तरह से पहुंचेगी। प्लानिंग से  साफ नजर आता है कि पार्टी 2024 के चुनावों के लिए गियर अप होने को तैयार है, लेकिन उससे पहले ही तीन अहम राज्यों के चुनाव होने हैं। जिसमें मध्यप्रदेश भी एक है। कर्नाटक के बाद बीजेपी को ये अंदाजा हो गया है कि मध्यप्रदेश की जंग उनके लिए केट वॉक साबित होने वाली नहीं है। यहां भी कदम-कदम पर मुश्किलें हैं। अब ये एक महीना मोदी सरकार के नौ साल पूरे होने का जश्न मनाकर पार्टी कार्यकर्ताओं में नई ऊर्जा फूंकना चाहती है। पार्टी को ये अंदाजा हो चुका है कि मोदी नाम के मंत्र से ही नई ऊर्जा का संचार हो सकता है। यही वजह है कि पीएम मोदी का खास कार्यक्रम आयोजित किए जाने की तैयारी है। ये कार्यक्रम बुंदेलखंड के बीना में हो सकता है। जहां से पीएम किसानों के खाते में 3 हजार करोड़ की भारी रकम ट्रांसफर करेंगे। पिछले चुनाव में बीजेपी ने किसान और बुंदेलखंड दोनों से मात खाई थी। इस बार एक तीर से दो निशाने लगाने की कोशिश है।





विंध्य में किसान, बुंदेलखंडी और दलित वोट बैंक साधने की कोशिश





अभी एक अप्रैल को पीएम नरेंद्र मोदी विंध्य का दौरा करके गए हैं। ये वो अंचल है जहां से पिछली बार बीजेपी को सबसे ज्यादा सीटें मिली थीं। अब बारी बुंदेलखंड की है। बुंदेलखंड में पहले प्रीतम लोधी मामले को लेकर खासी उठा पटक मच चुकी है। जिसके बाद यहां ओबीसी महासभा एक्टिव हुई। सपा बसपा भी ऑप्शन तलाश रही है। चंद्रशेखर रावण भी यहां मौके की फिराक में है। अब पीएम मोदी के जरिए कार्यकर्ताओं की नाराजगी कम करने और एंटीइंकंबेंसी पर लगाम कसने की कोशिश है। वैसे भी प्रदेश की दलित आबादी का बड़ा हिस्सा बुंदेलखंड में रहता है। एक सभा के जरिए किसान, बुंदेलखंडी और दलित तीन वोट बैंक साधने की कोशिश होगी। जो लोग राजनैतिक चश्मे की नजर को समझते हैं वो अंदाजा लगा सकते हैं कि बात भले ही लोकसभा की, की जा रही हो लेकिन डेढ़ से दो महीने के अंतराल में दोबारा पीएम का एमपी दौरा करना इस बात का साफ इशारा करता है कि इस प्रदेश में ये उनके फेस का भी इम्तिहान है।





बीजेपी की एक महिने में माहौल बदलकर सत्ता तक पहुंचने की कोशिश 





इस एक महीने को खास बनाने के लिए बीजेपी कोई कोर कसर नहीं छोड़ना चाहती है। ये बात ओर है कि इससे जुड़ी प्लानिंग के लिए बुलाई गई बैठक कांग्रेस को कोसने और कर्नाटक की यादें मिटाने की भेंट चढ़ गई। पर बीजेपी को भी ये अंदाजा है कि इस एक महीने में अगर माहौल बदल सके तो सत्ता के नजदीक पहुंचने में कामयाब हो सकते हैं। 





ये महीना बीजेपी के लिए कबड्डी के खेल की बॉर्डर लाइन 





समझ लीजिए कि ये महीना बीजेपी के लिए कबड्डी के खेल की बॉर्डर लाइन है और, उसके पाले में सर्वमान्य खिलाड़ी बचा है एक। जिसे बॉर्डर के उस पार जाना है और सांस रोक कर ज्यादा से ज्यादा लोगों को खींचकर बॉर्डर लाइन तक वापस आना है। जो इसमें कामयाब हुए तो अपने ज्यादा से ज्यादा कार्यकर्ताओं को जिताने में कामयाब होंगे। और, जो ये दांव भी काम नहीं आया तो साफ है कि आने वाला वक्त बीजेपी के लिए और कठिन होगा।



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