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Indore. आपातकाल में जिन नेताओं को कांग्रेस ने जेल भेजा, उनमें से कई बरसों से न केवल कांग्रेस की ही राजनीति कर रहे हैं, बल्कि कांग्रेस से बड़े-बड़े पद भी पा चुके हैं। इनमें से कुछ तो मीसाबंदी की पेंशन भी ले रहे हैं।
आपातकाल के दौरान न केवल विपक्षी पार्टियों के नेताओं, गुंडों को जेल भेजा गया था, बल्कि उस दौरान जो युवा कॉलेज की राजनीति कर रहे थे उन्हें भी निशाने पर लिया गया था, इससे हुआ यह कि उनमें कई ऐसे नेता भी जेल भेज दिए गए जो छात्र राजनीति के दौरान कांग्रेस से ताल्लुक रखते थे। हालांकि इन्हें विपक्षी नेताओं की तरह लंबे समय तक जेल में नहीं रहना पड़ा। और दो-तीन महीने बाद रिहा कर दिया गया। जेल से छूटने के बाद इन्होंने पूरी तरह राजनीति की राह पकड़ी और कुछ कांग्रेस जुड़ गए कुछ जनता पार्टी और कुछ जनसंघ से जुड़ गए।
तुलसी सिलावट
शासकीय आर्ट्स एंड कॉमर्स कॉलेज में राजनीति करते हुए तुलसी सिलावट (Tulsi Silawat) पहले कॉलेज और फिर यूनिवर्सिटी के अध्यक्ष बने। अविभाजित मध्यप्रदेश में विद्याचरण शुक्ला से जुड़े रहे, उसके बाद में माधवराव सिंधिया का दामन थामा और फिर ज्योतिरादित्य सिंधिया का। जिस कांग्रेस शासन में आपातकाल में जेल गए, उसी कांग्रेस ने पहले पार्षद और फिर आपातकाल के नौ साल बाद 1984 में सांवेर से विधानसभा का टिकट दे दिया। जीत भी गए। उसके बाद करीब 36 साल कांग्रेस से ही जुड़े रहे। संसदीय सचिव, मंत्री रहे। कई बार विधायक बने, सांसद का चुनाव लड़ा। दो साल पहले उसी भाजपा में चले गए जहां मीसाबंदियों की भरमार है जो आपातकाल को कोसती रही है। अभी भाजपा सरकार में मंत्री हैं।
सज्जन सिंह वर्मा
आर्टस एंड कॉमर्स कॉलेज की राजनीति करते हुए सज्जन सिंह वर्मा (Sajjan Verma) कई पदों पर रहे। छात्र नेता होने के कारण कांग्रेस ने जेल भेजा। बाद में इसी कांग्रेस से पार्षद बने, विधायक और प्रदेश सरकार में मंत्री और सांसद भी बने। अभी भी कांग्रेस के अग्रिम पंक्ति के नेताओं में गिनती होती है। कमलनाथ के निकटतम नेताओं में शुमार।
के.के. मिश्रा
क्रिश्चियन कॉलेज के सफलतम और कद्दावर नेता के.के. मिश्रा (KK Mishra) जिस समय आपातकाल में जेल भेजे गए तब भी कट्टर कांग्रेसी थे और भाराछासं के पदाधिकारी थे, इसके बावजूद जेल भेजे गए। बरसों से कांग्रेस के प्रमुख प्रवक्ता हैं। द सूत्र से उन्होंने कहा-मैं तो मीसाबंदी की पेंशन भी ले रहा हूं।
महेंद्र हार्डिया
शासकीय आर्ट्स एंड कॉमर्स कॉलेज में राजनीति करते हुए महेंद्र हार्डिया ( Mahendra Hardiya) पहले कॉलेज और फिर यूनिवर्सिटी के अध्यक्ष बने। मूल रूप से कांग्रेस से जुड़े थे। आपातकाल में जेल गए। बाहर आए तो भाजपा (तब जनता पार्टी) के कद्दावर नेता राजेंद्र धारकर के साथ जनता पार्टी फिर भाजपा में चले गए। चार बार से विधायक हैं। प्रदेश सरकार में मंत्री भी रह लिए। हालांकि यह सब उन्हें कांग्रेस नहीं भाजपा से मिला।
सुरेश मिंडा
गुजराती कॉलेज के सफलतम छात्र नेता सुरेश मिंडा (Suresh Minda) यूं जिस समय आपातकाल में जेल गए तब समाजवादी विचारधारा के थे। जेल से बाहर आए तो कांग्रेसी हो गए। उसके बाद कांग्रेस से तीन बार पार्षद बने। एक बार विधायक का टिकट भी मिला। हालांकि हार गए।