यू-ट्यूब से नकली नोट बनाने ली ट्रेनिंग, लॉकडाउन में छूटी नौकरी, छापे जाली नोट, 2 साल बाद आजीवन कारावास

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Neha Thakur
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यू-ट्यूब से नकली नोट बनाने ली ट्रेनिंग, लॉकडाउन में छूटी नौकरी, छापे जाली नोट, 2 साल बाद आजीवन कारावास

INDORE. मध्यप्रदेश इंदौरा जिला कोर्ट ने एक 26 वर्षीय युवक को नकली नोट छापने का कारोबार के जुर्म में उम्रकैद की सजा सुनाई है। दरसअल, युवक ने यू-ट्यूब से नकली नोट बनाने की कला सीखी थी। युवक असली नोट को घर पर ही स्कैन करके उसे प्रिंट करता था। जिसे युवक छोटी दुकानों पर चलाता था। युवक ने 100, 500 और 2 हजार के जाली नोट ज्यादातर छापे थे।



सश्रम कारावास और 3 हजार का अर्थदंड



इंदौरा जिला कोर्ट चतुर्थ अपर सत्र न्यायालय जयदीप सिंह ने शनिवार 6 मई को थाना अपराध शाखा, इन्दौर में निर्णय पारित करते हुए आरोपी राजरतन, निवासी- आजाद नगर, इंदौर को धारा 489-(A, B) भारतीय दंड संहिता में आजीवन कारावास तथा धारा 489 (C) भारतीय दंड संहिता में 7 वर्ष का सश्रम कारावास व कुल 3 हजार रुपए के अर्थदण्ड से दंडित किया।



2 साल पहले बरामद हुए थे जाली नोट



पुलिस ने आरोपी राजरतन को करीब दो साल पहले जाली नोट के साथ पकड़ा था। उसके पास से 2 लाख 53 हजार 100 रुपए के नकली नोट बरामद हुए थे। कुछ जाली नोट वो सब्जी मंडी, ठेलेवालों और शराब दुकान पर चला चुका था। आरोपी को कोर्ट ने शनिवार को आजीवन कारावास की सजा सुनाई है। इंदौर में ऐसा पहला मामला माना जा रहा है, जब नकली नोट छापने पर आरोपी को उम्र कैद की सजा हुई है।



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इस मामले में सुनाई सजा



9 जून 2021 को थाना काइम ब्रांच इंदौर के उपनिरीक्षक लोकेन्द्र सिंह को मुखबिर से सूचना मिली थी कि राजरतन तायडे निवासी आजाद नगर नकली नोट छापने का कारोबार कर रहा है। मुखबिर ने बताया था कि राजरतन 100, 500 व 2000 रुपए के नकली नोट लेकर सुबह 11:30 से 12 बजे के आसपास नकली नोटों का बंडल लेकर किसी को देने जाने वाला है। मुखबिर ने राजरतन के जामुनी रंग की टीवीएस रेडिऑन मोटरसाइकिल नंबर एमपी 09 वीएम 5336 से राजकुमार सब्जी मंडी में गणेश मंदिर के पास काले रंग के स्कूल बैग में नकली नोटों का बंडल लेकर आने की सूचना भी क्राइम ब्रांच को दी थी। करीब 10 मिनट इंतजार करने के बाद मुखबिर द्वारा बताए हुलिए का व्यक्ति भंडारी ब्रिज की तरफ से जामुनी रंग की मोटरसाइकिल से आया और कुछ देर इधर-उधर देखने के बाद अपनी पेंट की जेब से रुपए निकालकर देखने लगा। उसे टीम ने घेराबंदी कर पकड़ा।



नौकरी छूटी तो सीखा नकली नोट छापना



पुलिस की पूछताछ में आरोपी ने बताया कि वह 12वीं तक पढ़ा है। लॉकडाउन में नौकरी छूटने के कारण वो बेरोजगार हो गया था। यू-ट्यूब पर एक दिन उसने नकली नोट छापने का वीडियो देखा और इसके बाद उसने स्कैनर, प्रिंटर खरीद कर ले आया। शुरुआत के 20 दिन वो नकली नोट छापने की प्रैक्टिस करता रहा। पकड़ में आने के दो महीने पहले ही उसने नकली नोट छापने का काम शुरू किया था। पेट्रोल पंप, सब्जी मंडी, शराब दुकान, ठेले वालों को वो नकली नोट चला देता था। 100 रुपए के नोट आसानी से चल जाते थे। किसी को कोई शक भी नहीं होता था। इसलिए वह 100 रुपए के नोट ज्यादा छापता था।



ऐसे खारिज होते गए सारे तर्क



कोर्ट में अपर लोक अभियोजक हेमंत राठौर ने ये तर्क दिया कि आरोपों को मौके पर ही बड़ी मात्रा में जाली नोटों के साथ पकड़ा गया है। पूरी टीम मौके पर गई थी। आरोपी की पेंट की जेब और उसके पास मौजूद बैग से ही नकली नोट जब्त हुए। ऐसे में विवेचना में गड़बड़ी का आरोप निराधार है।



वकील ने कहा सजा कम हो



आरोपी को बचाने के लिए वकील ने कहा- आरोपी का यह पहला अपराध है। आरोपी के परिवार में अन्य कोई कमाने वाला सदस्य नहीं है। ऐसे में आरोपी को सजा देने में उदारता बरती जाए। लेकिन सरकारी वकील ने जवाब में कहा कि जिस तरह आरोपी ने बड़ी मात्रा में जाली नोट तैयार कर उन्हें अपने पास रखा। आरोपी का ये कृत्य भारतीय अर्थव्यवस्था पर गंभीर संकट है और विपरित प्रभाव डालने वाला है। लिहाजा आरोपी को कठोर दंड से दंडित किया जाए। जिसके बाद कोर्ट ने सजा सुनाई।


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