बहस से मिलने वाली क्षणिक विजय खोखली होती है। इससे सामने वाले के विचार नहीं बदलते। बल्कि मन में द्वेष और दुर्भावना ही उत्पन्न होती है। कुछ बोले बिना ही अपने काम से लोगों को प्रभावित करना असरदार होता है। बहस करना शोर करने जैसा है, इससे किसी नतीजे पर नहीं पहुंच सकते। आपका काम ज्यादा प्रभावी और अर्थपूर्ण होता है।
कम बोलें, ज्यादा सुनें, यही बुद्धिमानों का लक्षण है
समझदार व्यक्ति की पहचान होती है कि वो ज्यादा बात करने से बचता है। जब बात करता है, तो संक्षिप्त में अपनी बात रखता है। वह सुनता ज्यादा है। शोध बताते हैं कि आम आदमी केवल 25 प्रतिशत दक्षता के साथ सुनता है। यदि गौर करें तो हमारे दो कान और एक मुंह है, मतलब हम बोलने से ज्यादा सुन सकते हैं।
विचारों का असर सीधा शरीर पर पड़ता है
विचार सुंदर होंगे तो शरीर खूबसूरत होगा विचार और भावनाएं शरीर पर गहरा असर करती हैं। शरीर दिमाग की ही सुनता है। दिमाग जो कहता है, शरीर उसे ग्रहण कर लेता है। मलिन विचारों के निकलते ही शरीर तेजी से बीमारी और पतन की तरफ बढ़ने लगता है। खूबसूरत और संतोषजनक विचारों के बल पर शरीर भी खूबसूरत और ज्यादा जवां दिखने लगता है।
स्वस्थ तन और मन के लिए बिताएं अकेले में समय
जो लोग अकेले में समय बिताते हैं वो फिजिकल, मेंटल, इमोशनल स्ट्रेस से काफी हद तक मुक्त रहते हैं। शोध बताते हैं कि मनुष्य शरीर को ऐसे डिजाइन नहीं किया है कि हमेशा लोगों से घिरा रहे। लगातार लोगों से घिरे रहते हैं तो एकाग्रता और डिसीजन मेकिंग पर विपरीत असर पड़ता है। जल्दी गुस्सा आता है। (विभिन्न मोटिवेशनल पुस्तकों के आधार पर)