भोपाल के चिनार पार्क में 400 से अधिक अभिभावकों ने स्कूली बच्चों की किताबें जरूरत के हिसाब से बदली 

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Jitendra Shrivastava
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भोपाल के चिनार पार्क में 400 से अधिक अभिभावकों ने स्कूली बच्चों की किताबें जरूरत के हिसाब से बदली 

BHOPAL. भोपाल के चिनार पार्क में पालक संघ की ओर से आज यानी 11 मार्च को निशुल्क पुस्तक मेले का आयोजन किया गया। पुरानी किताबें आर्थिक बोझ को कम करने और किसी जरूरतमंद छात्र के पढ़ने के लिए उपयोगी साबित हो सकती हैं। समाज में परिवर्तन और पर्यावरण के प्रति हितैषी बने रहने के लिए उचित होगा। छात्र जब कक्षा में पास होकर दूसरी कक्षा में पहुंचता है तो वो किताबें बेकार हो जाती है इसलिए इन किताबों का सही जगह उपयोग करने के लिए यह पहल सही साबित होगी।





7 वर्षों से ये बुक एक्सचेंज मेला लगा रहा है





पालक महासंघ के कमल किशोर विश्वकर्मा और इस पुस्तक मेले के आयोजक ने बताया कि अभिभावकों के हितों के कार्य हमारा संघ हमेशा से करता रहा है। अभी हाल ही में बच्चों के रिजल्ट आ चुके हैं और जो कक्षा अभी पास की है उसकी किताबें उसके लिए अब कोई काम की नहीं है। इसलिए पालक महासंघ लगातार 7 वर्षों से ये बुक एक्सचेंज मेला लगा रहा है। चिनार पार्क में पहली बार इसका आयोजन किया गया है। 





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1 सवा करोड़ अभिभावकों को लुटवाया जा रहा है



  



सरकार और शिक्षा विभाग निजी स्कूलों से मिलकर और उनको संरक्षण देकर लगभग एक से सवा करोड़ अभिभावकों को लुटवाया जा रहा है। राज्य सरकार फीस एक्ट में कोई भी इम्प्लीमेंट नहीं करवाता है। 52 जिलों में ऐसे हालत हैं की जब कोई ज्ञापन या आवेदन देते हैं तो उस पर कोई कार्रवाई नहीं करते हैं और कोई मीडियाकर्मी पूछता है तो बोलते हैं की हमारे पास कोई शिकायत ही नहीं आई है।





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जरूरतमंद के लिए है फायदेमंद



 



डॉ. रंजना विश्नकर्मा मुझे बहुत ही अच्छा लगा की ऐसे कितबें मिल जाती है तो मैं अपने बच्चों की पुरानी किताबें लेकर आई और किताबों को बदलकर 8वीं की किताबें ले ली इससे मैं बहुत खुश हूं और लोगों से भी आग्रह करूंगी की ज्यादा से ज्यादा लोग इसमें आए।





किताबें देकर बहुत खुश हूं





साक्षी आरोनकर का कहना है की मैं अपने बच्चे की 8वीं की किताबें लेकर आई हूं जो किताबें अब मेरे बच्चे के किसी काम की नहीं है और जो किसी और बच्चे के पढ़ने के काम आ जाएंगी। मैं किताबें देकर बहुत खुश हूं मेरे बच्चे के लिए 9वीं की किताबें मिले या न मिले मैं फिर भी खुश हूं।





आसानी से किताबें मिल जाती है





मेले में आई एक महिला ने कहा कि मैं बुक एक्सचेंज मेले से लगातार 2 सालों से किताबें लेकर जा रही हूं। मुझे बहुत खुशी मिलती है की यहां इतनी आसानी से किताबें मिल जाती है। बच्चों के लिए नई बुक देर से आएगी, लेकिन जब तक इन किताबों से पढ़ेंगे तो उनको बहुत अच्छा लगेगा। जो समय फालतू खर्च हो जाता था अब वो समय भी बच्चों के पढ़ने में उपयोग हो जायेगा।





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