कहते हैं अगर कुछ कर जाने का जोश और जुनून हो तो इंसान हर चुनौती का सामना कर सकता है। ऐसा ही कुछ भारत की मशहूर बैडमिंटन स्टार साइना नेहवाल के साथ भी हुआ था। साइना जिनका निक नेम स्टेफी है उन्होंने अपनी ट्रेनिंग के दिनों में 7 साल तक ना कोई पार्टी की ना कोई रेस्टोरेंट गईं ना ही थिएटर में जाकर पिक्चर देखीं।
साइना के पैदा होने पर दादी ने देखा तक नहीं था
17 मार्च 1990 को हरियाणा के हिसार में जन्मीं साइना के पैदा होने पर उनकी दादी ने साल भर तक उनका चेहरा सिर्फ इसलिए नहीं देखा था क्योंकि वो एक लड़की थीं. साइना के माता-पिता दोनों ही बैडमिंटन के स्टेट चैंपियन रह चुके हैं. बैडमिंटन कोर्ट से उनका नाता तब से है जब उन्होंने चलना भी नहीं सीखा था।
पिता की वजह से आईं इस फील्ड में
हरियाणा में बच्चों की बैडमिंटन कोचिंग नहीं होने की वजह से साइना के पिता ने उन्हें कराटे सीखने भेजा, यहां वो ब्राउन बेल्ट तक पहुंची। साइना की इस खेल में भी एंट्री इस वजह से हुई थी कि पिता चाहते थे कि वो फिट रहें, लेकिन मां ऊषा रानी का सपना था कि वो भारत के लिए बैडमिंटन में मेडल लाएं। जब स्पोर्ट्स होरिटी ऑफ इंडिया के कोच नैनी प्रसाद राव ने साइना का खेल देखा तब वो उनसे काफी इम्प्रेस हुए और साइना को अपने समर कैंप में आने के लिए इंवाइट किया। कैंप साइना के घर से कैंप 20 किमी दूर था इसलिए उनके पिता उन्हें स्कूटर से लेकर जाते थे। कैंप के बाद साइना को स्कूल भी जाना होता है जिस वजह से वो बीच रास्ते में ही नींद में सो जातीं थी। साइना नींद में गाड़ी से गिर ना जाएं इसलिए उनकी मां भी साथ में कैंप जाय करती थीं।
सात साल तक नहीं की कोई पार्टी
साइना के पिता ने एक न्यूज चैनल को बताया कि, अपने ट्रेनिंग के दिनों के दौरान साइना ने लगभग सात साल तक ना कोई पार्टी की ना किसी रेस्टोरेंट में जाके खाना खाया। साइना नंबर वन रैंक और लंदन ओलंपिक में मेडल के बाद भी संतुष्ट नहीं हुई और लगातार रिकार्ड्स अपने नाम करतीं रहीं। साइना का मानना है की उन्हें बस सुधार करते जाना है वो फिट रहेंगी तो जीत निश्चित है।